साइरस मिस्त्री की कार चला रहीं अनाहिता पंडोले और उनके पति को मुंबई स्थानांतरित किए जाने की संभावना
मुंबई. महाराष्ट्र में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की लग्जरी कार को चला रहीं अनाहिता पंडोले और उनके पति को रविवार को हुई दुर्घटना में घायल होने के बाद सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराए जाने की संभावना है. पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी.
दुर्घटना में जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोले (55) और उनके पति डेरियस पंडोले (60) बच गए, जबकि मिस्त्री (54) और डेरियस के भाई जहांगीर पंडोले की मौत हो गई. यह दुर्घटना मुंबई से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर अपराह्न करीब तीन बजे हुई.
गौरतलब है कि टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की लग्जरी कार मुंबई से सटे पालघर जिले में एक डिवाइडर से टकरा गई. इस दुर्घटना में मिस्त्री की मौत हो गई. उस समय मिस्त्री अहमदाबाद से मुंबई जा रहे थे.
दुर्घटना के बाद अनाहिता पंडोले और डेरियस पंडोले को गुजरात के वापी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस अधिकारी ने रविवार रात बताया, ”उन्हें सोमवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में स्थानांतरित किए जाने की संभावना है.”
एकांत पसंद साइरस मिस्त्री ने सम्मान के लिए टाटा समूह से लड़ी थी जंग
टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त होने के पहले तक साइरस मिस्त्री अधिक जाना-पहचाना चेहरा नहीं थे. उस समय तक वह सिर्फ अपने पारिवारिक कारोबार तक ही सीमित थे. वर्ष 2012 में जब मिस्त्री सिर्फ 44 साल की उम्र में टाटा संस के चेयरमैन बनाए गए तो वह शापूरजी पलोनजी ग्रुप की कंपनियों की अगुवाई कर रहे थे. इतनी कम उम्र में उन्होंने 100 अरब डॉलर से अधिक कारोबार वाले टाटा समूह के मुखिया के तौर पर रतन टाटा जैसे दिग्गज की जगह ली थी.
ऐसी चर्चा थी कि टाटा समूह की प्रतिनिधि कंपनी टाटा संस की बागडोर संभालने को लेकर मिस्त्री अनिच्छुक थे. लेकिन खुद रतन टाटा ने उन्हें इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए मना लिया था. टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर वह चार साल तक पद पर रहे और अक्टूबर 2016 में उन्हें अचानक ही पद से हटा दिया गया. अंदरूनी मतभेदों के बाद न सिर्फ मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया बल्कि खुद रतन टाटा ने कुछ समय के लिए इसकी कमान संभाली. बाद में एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन बना दिया गया.
‘बॉम्बे हाउस के फैंटम’ कहे जाने वाले पलोनजी शापूरजी मिस्त्री भी उस समय अपने बेटे साइरस की मदद नहीं कर पाए थे. साइरस ने टाटा संस के निदेशक मंडल पर गंभीर आरोप लगाए थे. लेकिन इस मामले ने उस समय तीखा मोड़ ले लिया जब साइरस मिस्त्री ने चेयरमैन पद से अपनी बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती दी. उनका कहना था कि टाटा संस का निदेशक मंडल कुछ महीने पहले तक उनके काम की तारीफ कर रहा था लिहाजा उन्हें अचानक हटाए जाने के कारण बताए जाएं.
टाटा संस में सर्वाधिक 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले मिस्त्री परिवार ने इस विवाद के गहराने के बाद अपनी समूची हिस्सेदारी की बिक्री तक की पेशकश कर दी थी. इससे टाटा संस के मूल्यांकन को लेकर अटकलें लगने लगी थीं. टाटा समूह की कमान संभालने के दौरान मिस्त्री महत्वपूर्ण फैसलों के क्रियान्वयन के लिए काफी हद तक एक समूह कार्यकारी परिषद (जीईसी) पर निर्भर थे. इस परिषद में टाटा समूह के भीतर से चुने हुए प्रतिनिधियों के अलावा अकादमिक जगत के भी लोग थे. उस समय मिस्त्री को एक ऐसा गंभीर बैकरूम कार्यकारी माना गया जो तीक्ष्ण बुद्धि रखता है.
स्वाभाव से एकांत पसंद मिस्त्री अपने काम के जरिये ही बोलने में यकीन रखते थे. इस वजह से उनके बारे में बहुत कम जानकारी ही सामने आ पाती थी. उन्होंने बॉम्बे हाउस में पदासीन रहते समय मीडिया को एक भी साक्षात्कार नहीं दिया था लेकिन पद से हटते ही वह खुलकर बोलने लगे.
बॉम्बे डाइंग के नुस्ली वाडिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के अलावा मिस्त्री का साथ देने के लिए कॉरपोरेट जगत का कोई भी बड़ा नाम सामने नहीं आया था. समय बीतने के साथ मिस्त्री भी एक बार फिर से पुराने अंदाज में चुपचाप रहकर काम करने लगे थे. जन्म से आयरिश नागरिक मिस्त्री पलोनजी शापूरजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे थे. उन्होंने मुंबई से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियंिरग और लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री ली थी.