सैन्य अधिकारी ने मणिपुर में हिंसा पीड़ित विधवाओं, बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया

पुणे: मणिपुर में जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों की दुर्दशा से आहत होकर भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल ने विधवाओं को आजीविका कमाने में मदद करने और संघर्ष से प्रभावित बच्चों की शिक्षा के लिए धन जुटाने के लिए एक अभियान शुरू किया है।
पुणे में पिछले माह सेना दिवस परेड के अवसर पर ले. कर्नल एल. मनोंगबा (सेवानिवृत्त) को इस पहल के लिए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी द्वारा ‘वेट्रन अचीवर’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। मणिपुर में 35 विधवाओं की आजीविका के लिए उन्हें छोटे उद्यम शुरू करवाने और अपने पिताओं को खो चुके 60 बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के लिए उनकी पहल को सराहना मिली।
पूर्वोत्तर राज्य में मई 2023 से जातीय ंिहसा जारी है और इस हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। ले. कर्नल मनोंगबा ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘‘ंिवग्स आॅफ होप’ पहल के माध्यम से हम मणिपुर में जातीय हिंसा से तबाह हुए लोगों के जीवन को फिर से पटरी पर लाने और आशा की किरण जगाने के अपने लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।’’
वह पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के 56 वें कोर्स के 1979 कैडर के अधिकारी रहे और सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने खुद को मणिपुर के पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए सर्मिपत कर दिया।
बाद में उन्होंने अपने सहपाठियों और मित्रों की मदद से ‘ंिवग्स आॅफ होप’ नाम के एक धर्मार्थ गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य उत्तर-पूर्वी राज्य में जारी हिंसा से प्रभावित विधवाओं और बच्चों का उत्थान करना था।
ट्रस्ट के गठन के बाद उनकी टीम ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविरों का दौरा करना शुरू किया।‘ंिवग्स आॅफ होप’ ने दो प्रमुख योजनाएं शुरू कीं – बच्चों की शिक्षा के लिए धन मुहैया कराना और विधवाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सहायता करना। उन्होंने बताया कि 60 बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए वित्तपोषण किया गया जबकि 35 विधवाओं को ऋण उपलब्ध करवाकर विभिन्न उद्यमों से जोड़ा गया।