अश्विन ट्रायल पर नहीं, टीम में सूर्यकुमार की जगह को खतरा नहीं: द्रविड़

मोहाली. भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला की शुरुआत से पहले गुरुवार को कहा कि रविचंद्रन अश्विन की क्षमता के गेंदबाज को ‘ट्रायल’ पर नहीं रखा जाता जबकि सूर्यकुमार यादव जैसी क्षमता के खिलाड़ी को विश्व कप टीम में अपनी जगह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.

अश्विन और वाशिंगटन सुंदर को अक्षर पटेल के संभावित विकल्प के रूप में टीम में जगह दी गई है और अगर यह स्पिन गेंदबाजी ऑलराउंडर जांघ की चोट से उबरने में नाकाम रहता है तो इन दोनों में से किसी एक को टीम में जगह मिल सकती है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला को अश्विन और वाशिंगटन के बीच ट्रायल के रूप में देखा जा रहा है. द्रविड़ हालांकि अनुभवी ऑफ स्पिनर अश्विन के दर्जे के खिलाड़ी के लिए ‘ट्रायल’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहते.

द्रविड़ ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, ”मैं यह नहीं कहूंगा कि यह उसके (अश्विन के लिए) लिए ट्रायल या कुछ और है, हमें उसके स्तर का पता है. यह उसके पास इस प्रारूप में खेलने का मौका है और हम बस उसे दो या तीन मैच खेलने का मौका देना चाहते हैं.” उन्होंने कहा, ”अगर हमारे पास अश्विन जैसा खिलाड़ी है तो किसी के चोटिल होने पर हम और किस पर भरोसा कर सकते हैं, यह हमारे लिए दुआ की तरह है. यह उसके लिए खुद को परखने का मौका है क्योंकि वह लंबे समय से 50 ओवर का क्रिकेट नहीं खेला है.”

अश्विन ने 113 मैच में 151 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय विकेट चटकाए हैं लेकिन पिछले छह साल में 50 ओवर के सिर्फ दो मैच खेले हैं. अक्षर अगर टीम में जगह नहीं बना पाते हैं तो अश्विन अपने वर्षों के अनुभव के साथ आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के आदर्श दावेदार होंगे.

अश्विन को 19 महीने बाद इस प्रारूप में खिलाने के कारण पर द्रविड़ ने कहा, ”अश्विन जैसा खिलाड़ी आपको अनुभव देता है, आठवें नंबर पर बल्ले से योगदान देने की क्षमता. ऐसे व्यक्ति जिसके बारे में मौका बनने की स्थिति में हमने हमेशा सोचा है, जो निश्चित तौर पर हमारी योजना का हिस्सा है.” सूर्यकुमार के मामले में द्रविड़ ने कहा कि टीम टी20 के इस दिग्गज खिलाड़ी का इस प्रारूप में प्रभाव छोड़ने के लिए पूरा समर्थन करेगी जिसमें 27 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में उनका औसत 25 से भी कम है. तो क्या सूर्यकुमार को 27 सितंबर को लेकर चिंतित होना चाहिए जिस दिन भारत अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा करेगा.

द्रविड़ ने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि सूर्या को 27 सितंबर को लेकर चिंता करने की जरूरत है. इसीलिए हमने विश्व कप के लिए अपनी टीम नहीं चुनी, और सूर्या उसमें हैं और हम इसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं.” उन्होंने कहा, ”हम उसका (सूर्या का) समर्थन करते हैं क्योंकि उसमें क्षमता और स्तर है जो हमने देखा है. ”

कोच ने कहा कि सूर्यकुमार अगर तीनों नहीं तो शुरुआत दो मैच में तो खेलेंगे और उन्हें भरोसा है कि यह तेज गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन करेगा. यह भी पता चला है कि श्रृंखला के दौरान तेज गेंदबाजों को रोटेट (बदलकर इस्तेमाल करना) किया जाएगा जिससे कि उन्हें विश्व कप के लिए तरोताजा रखा जा सके. इसी को देखते हुए टीम प्रबंधन ने रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों को भी आराम दिया है.

भारतीय बल्लेबाज गेंदबाजी क्यों नहीं करते? पांच क्षेत्ररक्षकों का नियम दोषी: द्रविड़

भारतीय क्रिकेट टीम का ‘थिंक टैंक’ हाल के वर्षों में और अधिक हरफनमौलाओं को खिलाने पर जोर दे रहा है जिसका लेना देना शीर्ष क्रम की मौजूदा पीढ.ी का गेंदबाजी नहीं करना है जबकि बीते समय में उनके सीनियर क्रिकेटर ऐसा किया करते थे. भारतीय टीम की अक्षर पटेल या वाशिंगटन सुंदर को मैदान पर उतारने की बेताबी दो चीजों पर आधारित है कि बल्लेबाज इतनी गेंदबाजी नहीं कर रहे हैं और पुछल्ले बल्लेबाज बल्ले से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं.

द्रविड़ ने अपनी टीम में विशेषकर विराट कोहली, रोहित शर्मा, श्रेयस अय्यर और सूर्यकुमार यादव (जो गेंदबाजी नहीं करते) के बचाव में कहा, ”मुझे लगता है कि ऐसा नियम बदलने की वजह से हो सकता है. अचानक से ही आप सर्कल के अंदर चार क्षेत्ररक्षकों से पांच क्षेत्ररक्षकों को रखने लगे. मुझे लगता है कि इससे कामचलाऊ गेंदबाज की मध्य के चरण में गेंदबाजी करने की काबिलियत में तेजी से बदलाव हुआ है. ” सूर्यकुमार को कुछ वर्ष पहले मुंबई इंडियंस के मैच के दौरान संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के लिए बुलाया गया था जिसके बाद से उन्होंने कभी गेंदबाजी नहीं की. सूर्यकुमार से पहले शिखर धवन कभी कभार ऑफ स्पिन किया करते थे लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्हें संदिग्ध एक्शन के लिए बुलाया गया और इसके बाद उन्होंने गेंदबाजी बिलकुल बंद ही कर दी.

वहीं अगर बीते समय की बात की जाये तो सचिन तेंदुलकर इनस्विंगर, आउटस्विंगर, लेग ब्रेक, ऑफ ब्रेक किया करते थे जिससे उन्होंने 154 वनडे विकेट झटके. सौरव गांगुली ने भी 100 विकेट झटके हैं जबकि युवराज सिंह की गेंदबाजी ने भारत को 2011 विश्व कप जिताने में अहम भूमिका अदा की जिन्होंने 111 विकेट हासिल किये. ये सभी विशेषज्ञ बल्लेबाज शीर्ष पांच बल्लेबाजी क्रम में शामिल थे. वीरेंद्र सहवाग ने 96 विकेट झटके और सुरेश रैना ने 36 विकेट हासिल किये.

द्रविड़ ने कहा, ”अगर आप याद करो और इन नामों (सचिन, सौरव, सहवाग, युवराज, रैना) की गेंदबाजी का जिक्र इस चरण में करो तो इनमें से ज्यादातर खिलाड़ियों ने तब गेंदबाजी शुरु की जब सर्कल में केवल चार क्षेत्ररक्षक हुआ करते थे. ” उन्होंने कहा, ”इस परिस्थिति (सर्कल के अंदर पांच क्षेत्ररक्षक) में आप कामचलाऊ गेंदबाज गंवा सकते हो और ऐसा हमारे साथ ही नहीं हुआ बल्कि काफी टीमों ने ऐसा किया. अगर आप ध्यान दो तो अन्य टीमों में भी कामचलाऊ गेंदबाजों की संख्या में कमी आयी है. ” द्रविड़ ने कहा, ”ऐसा सिर्फ भारतीय टीम के लिए नहीं है. ”

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