अजहर पर प्रतिबंध: अमेरिका-भारत के प्रयास पर चीन का अड़ंगा; नयी दिल्ली ने राजनीति से प्रेरित बताया

संयुक्त राष्ट्र/नयी दिल्ली. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई एवं पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के दूसरे नंबर के ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित कर दिया. नयी दिल्ली में सरकार के सूत्रों ने इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ कदम बताया.

अब्दुल रऊफ 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी814 के अपहरण, 2001 में संसद पर हमले और 2016 में पठानकोट में वायु सेना के अड्डे को निशाना बनाने समेत भारत में अनेक आतंकवादी हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में शामिल रहा है.

चीन ने बुधवार को रऊफ का नाम काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और अमेरिका के समर्थन वाले संयुक्त प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी. सुरक्षा परिषद के अन्य सभी 14 सदस्य देशों ने इस कदम का समर्थन किया था.
पाकिस्तान में 1974 में जन्मे रऊफ को प्रतिबंधित करने का परिणाम यह होता कि उस पर यात्रा प्रतिबंध लग जाता और पाकिस्तान को उसकी संपत्तियों पर रोक लगाने के साथ हथियारों तथा संबंधित सामग्री तक उसकी पहुंच को समाप्त करना पड़ता.

भारत में सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के किसी भी आतंकवादी को काली सूची में डालने के प्रयास को बाधित करने के चीन के ‘‘राजनीति से प्रेरित’’ ये कदम, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति की कार्यपद्धति की शुचिता को कमजोर करते हैं. यह दो महीने से भी कम समय में दूसरा मौका है, जब चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव को बाधित किया है.

चीन ने इससे पहले इस साल जून में पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के भारत तथा अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव पर आखिरी क्षण में अडंगा लगा दिया था. मक्की लश्कर-ए-तैयबा के सरगना एवं 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है.

भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के लिए एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को अंतिम क्षण में बाधित कर दिया. सूत्रों ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक कारणों के चलते प्रतिबंध समिति को उसका काम करने से रोका गया. आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा लड़ाई की बात करें तो चीन की कार्रवाई उसके दोहरे मानदंड और कथनी करनी में अंतर को उजागर करती है.’’ मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को चीन द्वारा बाधित किये जाने के बाद सरकार के सूत्रों ने कहा था कि यह कदम आतंकवाद से लड़ने के चीन के दावे का विरोधाभासी है.

अमेरिका के वित्त विभाग ने दिसंबर 2010 में जैश-ए-मोहम्मद के आला ओहदेदार अब्दुल रऊफ अजहर को जैश के लिए काम करने की वजह से प्रतिबंधित किया था. चीन ने अपने इस कदम का बचाव करने का प्रयास करते हुए कहा कि उसे आवेदन का आकलन करने के लिए और वक्त चाहिए.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने प्रेस वार्ता में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, ‘‘ हमें इस आदमी पर पाबंदी लगाने के आवेदन का आकलन करने के लिए और वक्त चाहिए.’’ वांग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के संगठनों तथा व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया और कार्यक्रम के संबंध में स्पष्ट प्रावधान हैं.

रऊफ अजहर को काली सूची में डालने के अमेरिका और भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में बाधा डालने के सवाल पर वांग ने कहा , ‘‘चीन ने समिति के नियमों और प्रक्रियाओं का हमेशा कड़ाई से पालन किया है और उसके काम में सकारात्मक तथा जिम्मेदाराना तरीके से भाग लिया है. हमें उम्मीद है कि अन्य सदस्य भी ऐसा करेंगे.’’ चीन द्वारा भारत के ताजा प्रस्ताव को बाधित किये जाने से एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज ने चीन की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा था कि बिना कोई उचित कारण दिए आतंकवादियों को काली सूची में डालने के अनुरोध पर रोक लगाना रुकना चाहिए.

उन्होंने कहा कि किसी को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की विश्वसनीयता अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच राष्ट्र – अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस – स्थायी सदस्य हैं. इनके पास ‘वीटो’ का अधिकार है यानी यदि उनमें से किसी एक ने भी परिषद के किसी प्रस्ताव के विरोध में वोट डाला तो वह प्रस्ताव पास नहीं होता.

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