बालासोर हादसा: कांग्रेस ने सीबीआई जांच के औचित्य पर सवाल उठाए, ‘हेडलाइन मैनेजमेंट’ बताया

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बालासोर रेल हादसे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के औचित्य पर मंगलवार को सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ‘हेडलाइन मैनेजमेंट’ में लगी हुई है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने वर्ष 2016 में कानपुर के निकट हुए एक रेल हादसे का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि उस मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक पता नहीं चल पाया कि उस जांच का नतीजा आखिर क्या निकला.

उन्होंने दावा किया कि बालासोर रेल हादसे के मामले में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच का ऐलान कर दिया गया. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार की शाम घोषणा की थी कि बालासोर रेल हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ”करीब 300 लोगों की जान चली गई है और आज भी इस सवाल का जवाब नहीं है क­ि इन मौतों का जिम्­मेदार कौन है? कल जब हम-आप, आपका पर­विार, देश के लोग रेल में बैठेंगे तो यह याद रखें क­ि आप यह सफर अपने जोखिम पर कर रहे हैं, सरकार की कोई ज­म्मिेदारी नहीं है. ”

उन्होंने आरोप लगाया, ”जब नैतिक ज.म्मिेदारी लेकर रेल मंत्री को इस्तीफ.ा देना चाहिए, तब ध्यान भटकाने के लिए नई-नई कहानी गढ़ी जा रही है. इस सरकार में कोई जवाबदेही नहीं है.” सुप्रिया ने कहा, ”सवाल है कि क्या सीबीआई और एनआईए सच में कुछ कर पाएंगी? कानपुर और कुनेरु रेल हादसे की जांच एनआईए को सौंपी गई थी, आज सात साल बाद भी इन मामलों में आरोपपत्र दायर नहीं हुआ है. जो इस मामले में विशेषज्ञ हैं उनसे इसकी जांच करानी चाह­िए. सरकार की व­फिलता से ध्­यान हटाने के ल­िए एनआईए और सीबीआई को इन मामलों में शाम­लि नहीं करना चाह­िए.”

उन्होंने सवाल किया, ”क्या सीबीआई पता करेगी कि पटरी की मरम्मत और नई पटरियां बिछाने का बजट जो 2018-19 में 9607 करोड़ रुपये था वह 2019-20 में घटकर 7417 करोड़ रुपये क्यों हुआ? क्या सीबीआई यह पता करेगी कि रेल चिंतन शिविर में जब हर ज.ोन को सुरक्षा पर बोलना था, वहां सिफ.र् एक ही ज.ोन को क्यों बोलने दिया गया और इस शिविर में सारा ध्यान ‘वंदे भारत’ पर केंद्रित क्यों था?” कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा, ”कैग की रिपोर्ट में जिक्र है कि 2017-21 के दौरान 10 में से करीब सात हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए. क्या सीबीआई इस बारे में पता करेगी?”

उन्होंने कहा, ”क्या सीबीआई पता लगाएगी कि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष की फंडिंग 79 प्रतिशत कम क्यों की गई है? क्या सीबीआई मालूम करेगी कि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का बजट क्यों आवंटित नहीं हुआ, जैसा कि वादा था? क्या सीबीआई पता लगाएगी कि तीन लाख से ज़्यादा पद रेल विभाग में खाली क्यों हैं और लोको चालक से 12 घंटे से ज़्यादा की ड्यूटी क्यों कराई जा रही है?”

रमेश ने ट्वीट कर कहा, “रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा बालासोर रेल हादसे के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई. यह कुछ और नहीं, बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है.” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने एक बयान में कहा कि 2017 में रेल बजट की व्यवस्था खत्म किया जाना मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी गलती थी और अब रेलवे के लिए अलग से बजट लाने की व्यवस्था बहाल होनी चाहिए.

एक दिन पहले, सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बालासोर रेल हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए इस मामले के सभी पहलुओं की जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने कहा था कि सीबीआई की जांच से ‘तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं’ की जवाबदेही तय नहीं हो सकती. उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है.

उल्लेखनीय है कि ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम करीब सात बजे ‘लूप लाइन’ पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए. उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा कर पटरी से उतर गए. इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की जान चली गई तथा लगभग 900 से अधिक लोग घायल हो गए. इस मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की गई है.

सरकार आंकड़ों के जरिये आर्थिक संकटों को छिपा नहीं सकती: कांग्रेस

कांग्रेस ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम की मांग करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि का हवाला देते मंगलवार को कहा कि सरकार आंकड़ों के ‘हेडलाइन मैनेजमेंट’ से उन आर्थिक संकटों को नहीं छिपा सकती, जिनका सामना जनता कर रही है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ”मोदी सरकार ‘रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह’ को लेकर बहुत हंगामा करती है, जो एक अपेक्षित गणितीय वास्तविकता के अलावा कुछ नहीं है…लेकिन आप ढोल पीटने वालों को मई में मनरेगा के तहत काम की मांग करने वाले लोगों की रिकॉर्ड संख्या के बारे में बात करते हुए नहीं सुनेंगे.” उन्होंने दावा किया कि पिछले महीने 3 करोड़ से अधिक परिवारों ने इस योजना के तहत काम की मांग की है.

रमेश ने कहा, ”जीडीपी वृद्धि या जीएसटी संग्रह के आंकड़ों से हेडलाइन मैनेजमेंट करके भारत के लोग जिस तरह की आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं, उसे छुपाया नहीं जा सकता है. मनरेगा की मांग केवल एक सदी में एक बार होने वाली महामारी के दौरान अधिक थी. यह ग्रामीण भारत में आर्थिक संकट के स्तर को दर्शाता है, जिसे हमने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान बार-बार देखा और महसूस किया.”

उल्लेखनीय है कि कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही. इसके साथ पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई.
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह मई में 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.57 लाख करोड़ रुपये रहा है.

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