महिला और पुरूष क्रिकेटरों को अब समान मैच फीस देगा BCCI

नयी दिल्ली. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश के सबसे लोकप्रिय खेल में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के मकसद से केंद्रीय अनुबंधित महिला और पुरूष क्रिकेटरों को समान मैच फीस देने का फैसला किया है. नयी व्यवस्था के तहत बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों को भी अब पुरुष क्रिकेटरों के समान प्रत्येक टेस्ट के लिए 15 लाख रूपये, वनडे के लिए छह लाख और टी20 के लिए तीन लाख रूपये मैच फीस देगा.

इससे पहले महिला खिलाड़ियों को प्रत्येक एकदिवसीय और टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए एक लाख रुपये दिए जाते थे जबकि टेस्ट मैच की फीस चार लाख रुपये थी. बीसीसीआई की शीर्ष परिषद की आपात बैठक में यह फैसला किया गया. बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने कहा, ‘‘इस फैसले से क्रिकेट की प्रगति और विकास का मंच तैयार होगा. मेरा मानना है कि यह महिला क्रिकेट और कुल मिलाकर खेल के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा.’’ बीसीसीआई सचिव जय शाह ने कहा, ‘‘यह एक ऐतिहासिक फैसला है और हम भारतीय क्रिकेट के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं. मैं बीसीसीआई की शीर्ष परिषद में अपने साथियों को धन्यवाद देना चाहता हूं.’’ इस साल की शुरुआत में न्यूजीलैंड क्रिकेट समान मैच फीस लागू करने वाला पहला बोर्ड था जबकि क्रिकेट आॅस्ट्रेलिया की लैंगिक असमानता को दूर करने की दिशा में काम कर रहा है.

भारत समान वेतन की व्यवस्था लागू करने वाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ दूसरा देश है. कोविड-19 महामारी के कारण मुकाबलों के रद्द और स्थगित होने के बावजूद भारत की पुरुष टीम ने पिछले दो साल में 21 टेस्ट मैच खेले जबकि इसी दौरान महिला टीम ने इंग्लैंड और आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक-एक टेस्ट खेला. इससे कुछ दिन पहले ही बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष और अब आईपीएल अध्यक्ष अरुण धूमल ने घोषणा की थी कि देश के क्रिकेट बोर्ड के खजाने में पिछले तीन साल में लगभग छह हजार करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है.

उम्मीद के मुताबिक क्रिकेट जगत ने इस कदम का स्वागत किया है. भारत की महान क्रिकेटर मिताली राज ने कहा ,‘‘ यह ऐतिहासिक कदम है . महिला क्रिकेट के लिये यह नया सवेरा है. समान मैच फीस और महिला आईपीएल महिला क्रिकेट को वहां तक ले जाने की दिशा में उठाये गए कदम हैं जहां पुरूष क्रिकेट आज है .’’ उन्होंने कहा ,‘‘ महिला क्रिकेट समुदाय का हिस्सा होने के नाते मैं बीसीसीआई और सचिव जय शाह को इसके लिये धन्यवाद देती हूं . हम 2017 से महिला क्रिकेट की लोकप्रियता और विकास देखते आ रहे हैं . यह सही दिशा में उठाया गया कदम है .’’

शीर्ष परिषद की निवर्तमान सदस्य और भारत की पूर्व खिलाड़ी शांता रंगास्वामी ने कहा ,‘‘ यह क्रांतिकारी फैसला है . इससे साबित होता है कि भारत में महिलाओं को बराबरी की नजर से देखा जाता है और कोई पक्षपात नहीं है .मैं जय शाह, रोजर बिन्नी और राजीव शुक्ला को धन्यवाद देता हूं .’’ भारत के पूर्व खिलाड़ी हरभजन सिंह ने भी बीसीसीआई के फैसले का स्वागत किया.

उन्होंने कहा ,‘‘ बीसीसीआई ने दूसरे खेल संघों के लिये मानक स्थापित किये हैं .इससे महिलाओं को खेल में भागीदारी की प्रेरणा मिलेगी. ऐतिहासिक कदम .’’ भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में एशिया कप में श्रीलंका को हराकर खिताब जीता था . इसके अलावा र्बिमंघम राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक भी जीता. बीसीसीआई ने पिछली सालाना आम बैठक में अगले साल महिलाओं का पहला आईपीएल कराने की घोषणा की थी .

पुरुष और महिला क्रिकेटरों को समान वेतन से नए युग की शुरुआत होगी: एनसीडब्ल्यू

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने गुरुवार को कहा कि महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर मैच फीस मिलने से समान मौकों के नए युग की शुरुआत होगी और लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने लैंगिक भेदभाव से निपटने के लिए महत्वपूर्ण फैसला करते हुए अपने केंद्रीय अनुबंधित महिला और पुरुष खिलाड़ियों को समान मैच फीस देने की घोषणा की है.

नई फीस प्रणाली के अनुसार भारतीय महिला क्रिकेटरों को अब प्रत्येक टेस्ट के लिए 15 लाख, प्रत्येक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय के लिए छह लाख और प्रत्येक टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए तीन लाख रुपये मिलेंगे तो पुरुष खिलाड़ियों को मिलने वाली मैच फीस के बराबर है.

अनुबंधित भारतीय महिला खिलाड़ियों को पुरुषों के समान वेतन देने के बीसीसीआई के फैसले का एनसीडब्ल्यू ने स्वागत किया है.
देश भर की महिला क्रिकेट के लिए बड़ी जीत करार देते हुए एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि यह भारत में महिला क्रिकेटरों के लिए ऐतिहासिक फैसला है. उन्होंने कहा कि आखिर महिला क्रिकेटरों की आवाज को सुना गया.

एनसीडब्ल्यू ने बयान में कहा कि महिला क्रिकेटरों को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर मैच फीस मिलने से समान मौकों के नए युग की शुरुआत होगी और लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. आयोग ने उम्मीद जताई कि इस फैसले से युवा प्रतिभा को खेल में अपने जुनून को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी और अन्य खेल संगठनों को बीसीसीआई के उदाहरण पर अमल करना चाहिए.

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