नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर विपक्ष ने गौरव के क्षण को ‘विरोध’ की भेंट चढ़ा दिया: मोदी

अजमेर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने को लेकर बुधवार को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया और कहा कि ऐसा करके उन्होंने ना सिर्फ देश की भावनाओं और आकांक्षाओं का अपमान किया बल्कि भारत के गौरव के क्षण को भी ‘अपने स्वार्थी विरोध’ की भेंट चढ़ा दिया.

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यहां आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने यह आरोप भी लगाया कि भारत की कामयाबी विपक्षी दलों को पच नहीं रही है. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में देश की हर सफलता के पीछे भारत के लोगों की मेहनत है और देश को आगे ले जाने के लिए हर भारतवासी ने जो संकल्प दिखाया है, वह अद्वितीय है.

उन्होंने कहा कि महामारी के बावजूद बाद देश की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंची और आज दुनिया कह रही है यह दशक भारत का दशक है, यह सदी भारत की सदी है. मोदी ने कहा, ”लेकिन भारत की उपलब्धियां, भारत के लोगों की यह कामयाबी कुछ लोगों को पच नहीं रही है.” उन्होंने गत रविवार को नये संसद भवन के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए जनता से सवाल किया कि इससे उन्हें गर्व का अनुभव हुआ कि नहीं हुआ? इस दौरान उत्साही भीड़ ने ‘हां-हां’ कहकर जवाब दिया.

इस पर मोदी ने कहा, ”लेकिन कांग्रेस और उसके जैसे कुछ दलों ने इस पर भी राजनीति का कीचड़ उछाला. कई-कई पीढि.यों के जीवन में ऐसे अवसर एक बार ही आते हैं. लेकिन कांग्रेस ने भारत के गौरव के क्षण को भी अपने स्वार्थयुक्त विरोध की भेंट चढ.ा दिया.” मोदी ने आरोप गया कि कांग्रेस ने 60,000 श्रमिकों के परिश्रम और देश की भावनाओं व आकांक्षाओं का अपमान किया है.
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को गुस्सा इस बात का है कि ‘एक गरीब का बेटा’ उनके अहंकार के आड़े आ रहा है, उनकी मनमानी चलने नहीं दे रहा है और उनके भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद पर सवाल खड़े कर रहा है.

कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की मांग की थी और ऐसा ना होने पर उन्होंने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था. मोदी ने रविवार को नये संसद भवन का उद्घाटन किया और इस अवसर पर उन्होंने इसे 140 करोड़ भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब करार दिया. उन्होंने कहा था कि यह इमारत समय की मांग थी और इसके कण-कण से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के दर्शन होते हैं.

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