सीएए का संबंध एनआरसी से है : ममता बनर्जी

जलपाईगुड़ी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़ा हुआ है, इसलिए वह इसका विरोध कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह असम जैसे हिरासत केंद्र (डिटेंशन कैंप) पश्चिम बंगाल में नहीं चाहती हैं. उन्होंने कहा “सीएए का संबंध एनआरसी से है इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं.” बनर्जी ने यह भी दावा किया कि सीएए लोकसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक चाल है.

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है. जलपाईगुड़ी में एक प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नागरिकता प्रक्रिया अन्य देशों से अलग है.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने सीएए के दायरे से मुसलमानों को बाहर करने की आलोचना की और कहा कि इसका उद्देश्य देश की आबादी के बीच विभाजन पैदा करना है. उन्होंने कहा ”सीएए का उद्देश्य देश के लोगों को विभाजित करना है.” उन्होंने कहा कि सीएए आवेदन प्रक्रिया में स्पष्टता की कमी है. बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने प्रशासन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.

उन्होंने संकल्प लिया “हम जमीन के स्वामी नहीं हैं, लेकिन जागरुक संरक्षक हैं. पश्चिम बंगाल से किसी को भी निकाला नहीं जाएगा. सभी शरणार्थियों को यहां स्थायी ठिकाना मिलेगा.” बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह ”हिंदू धर्म की विकृत व्याख्या का समर्थन करती है.” तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवारों के चयन के खिलाफ अपने भाई बाबुन बनर्जी के बयान के बाद ममता बनर्जी ने उनके साथ सभी संबंध खत्म करने की घोषणा की.

उन्होंने कहा, “मैं और मेरा परिवार उनके (बाबुन बनर्जी) साथ सभी रिश्तों को खत्म करते हैं. मुझे लालची लोग पसंद नहीं हैं. मैंने सुना है कि उन्होंने क्या कहा है.” बनर्जी ने कहा “वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संपर्क में हैं और वह जो चाहें, कर सकते हैं. कृपया, मुझे उनके साथ नहीं जोड़ें.” प्रशासनिक बैठक के दौरान बनर्जी ने भूमि स्वामित्व प्रदान करने वाली ‘चा सुंदरी’ योजना का विस्तार किया और चाय बागान श्रमिकों के लिए आवास निर्माण की खातिर धन आवंटित किया.

इसके अलावा उन्होंने उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों के लिए कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की. उन्होंने कहा “केंद्र वह पैसा हमें नहीं दे रहा जो हमारा बकाया है. अगर उन्होंने भुगतान कर दिया होता तो हम और अधिक काम कर सकते थे.” उन्होंने कहा “वे (भाजपा नेता) कहते हैं कि हमारी सरकार ने 100-दिवसीय नौकरी कार्यक्रम जैसी विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत पैसा हड़प लिया है, जो गलत है क्योंकि पैसा सीधे लाभार्थियों को मिलता है… हम अपनी जेब से पैसा दे रहे हैं. हमें आत्मनिर्भर बनना होगा.”

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