सीबीआई ने दो लापता मणिपुरी छात्रों के मामले में मुख्य षड्यंत्रकर्ता को किया गिरफ्तार

नयी दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो लापता मणिपुरी छात्रों के मामले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने के संदेह में 22 वर्षीय एक युवक को पुणे से गिरफ्तार किया है. दोनों छात्रों के बारे में माना जा रहा है कि उनकी हत्या कर दी गई. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

मुखबिरों की सूचना और तकनीकी निगरानी का इस्तेमाल करके अपराधियों को पकड़ने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करने वाली सीबीआई को इस घटना के मुख्य षड्यंत्रकर्ता के तौर पर पाओलुनमांग की कथित संलिप्तता के बारे में पता चला था. टीम तुरंत उसे एक निर्दष्टि अदालत में पेश करने के लिए गुवाहाटी ले गई, जिसने उसे 16 अक्टूबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई यह पुष्टि करने के लिए दोनों छात्रों के शवों की भी तलाश कर रही है कि क्या उनके लापता होने के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी.

फिजाम हेमनजीत (20) और 17 वर्षीय लड़की हिजाम लिनथोइंगंबी छह जुलाई को लापता हो गए. कथित तौर पर उनके शव वाली तस्वीरें 25 सितंबर को सामने आईं, जिसके बाद मुख्य रूप से छात्रों ने मणिपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था, ”सरकार जांच में सीबीआई का सहयोग करेगी और दोनों युवाओं की हत्या में शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा.” केंद्रीय एजेंसी ने एक अक्टूबर को मामले में दो पुरुषों पाओमिनलुन हाओकिप, स्मालसॉम हाओकिप और दो महिलाओं ल्हिंगनेइचोंग बैतेकुकी, टिननेइलिंग हेंथांग को गिरफ्तार किया था.

पीड़ितों के माता-पिता की शिकायतों के आधार पर, लापता छात्रों से संबंधित दो मामले पहले क्रमश? आठ जुलाई और 19 जुलाई को इंफाल पुलिस और लाम्फेल पुलिस में दर्ज किए गए थे. सीबीआई ने 23 अगस्त को इन दोनों मामलों की जांच अपने हाथ में ली थी. 25 सितंबर को तस्वीरें सामने आने के बाद, सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने एजेंसी के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में एक विशेष टीम भेजी, जो जांच में मदद और निगरानी के लिए 27 सितंबर को मणिपुर पहुंची. अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई से मणिपुर में हुई जातीय झड़पों में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए.

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