द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने पर ओडिशा में जश्न का माहौल

रायरंगपुर/भुवनेश्वर. ‘‘ओडिशा की बेटी’’ द्रौपदी मुर्मू के सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने का जश्न मनाते हुए यहां लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना की, मिठाइयां तथा चावल से बनी देसी बीयर बांटी और आदिवासी संगीत की धुनों पर थिरकें. मयूरभंज जिले में राष्ट्रपति मुर्मू के गृह नगर रायरंगपुर की गलियां कुछ समय के लिए वीरान हो गयीं क्योंकि लोग उनका शपथ ग्रहण देखने के लिए टेलीविजन पर नजरें गड़ाए रहे. शपथ ग्रहण समारोह के लिए शहर में बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स लगायी गयी थीं.

उनके पैतृक उपरबेड़ा गांव में बच्चों से लेकर स्थानीय संथाली बुजुर्गों तक ने ‘घुसा’ और ‘मर्दाल’ की धुनों पर सड़कों पर नृत्य किया और ‘जाहेर’ (पूजा स्थल) में भगवान मारांगबुरु और देवी एरा की विशेष पूजा अर्चना की. गांव में ‘गवर्नमेंट अपर प्राइमरी स्कूल’ के हेडमास्टर मनोरंजन मुर्मू ने कहा कि इस अवसर पर मिठाइयां बांटी गयी और बच्चों ने पौधे लगाए. राष्ट्रपति ने सातवीं कक्षा तक इसी स्कूल से पढ़ाई की थी.

राष्ट्रपति मुर्मू के ससुराल पहाड़पुर के निवासियों ने ड्रम की धुनों पर थिरकते हुए गांव में जश्न मनाया जबकि मुर्मू के मामा के गांव जमादा में धार्मिक सभा का आयोजन किया गया. उनके मामा दसमथ मरांडी ने कहा, ‘‘हमने अपने रीति-रिवाज के अनुसार अपने देवता तथा पूर्वजों को चावल से बनी देसी बीयर ‘हंडिया’ परोसते हुए इस अवसर का जश्न मनाया.’’ रायरंगपुर शहर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए जश्न मनाया गया. शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए बड़ी एलईडी स्क्रीन्स लगायी गयीं. ‘श्री अरंिबदो इंटीग्रल स्कूल’ के बच्चों ने नृत्य करके अपनी पूर्व शिक्षिका के देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने का जश्न मनाया.

इस अवसर पर जिला मुख्यालय बारिपदा में भी कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां संथाल समुदाय की ‘झाल’ साड़ी पहनकर महिलाओं ने आदिवासी संगीत की धुनों पर नृत्य किया. इस मौके पर नजदीकी मंदिर में पटाखे भी फोड़े गए. इस अवसर पर शहर के कुबेरपुरी बयाबसाई संघ ने एगिना इलाके के लक्ष्मीनारायण मंदिर में 100 किलोग्राम का एक लड्डू बनवाया, जिसे गरीबों में बांटा गया.

शिक्षा पर श्री अरविंद के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

अध्यापन कार्य से जुड़ी रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि शिक्षा पर श्री अरविंद के विचारों ने उन्हें निरंतर प्रेरित किया है. संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीय न्यायमूर्ति एन वी रमण ने मुर्मू को देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी. शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान इस बात का उल्लेख किया कि ओडिशा के श्री अरविंद इंटीग्रल स्कूल में एक शिक्षिका के तौर पर उन्हें कार्य करने का अवसर मिला था.

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिनों बाद, हम श्री अरविंद की 150वीं जयंती मनाएंगे. शिक्षा पर श्री अरविंद के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है.’’ अरविंदो ने कहा था कि शिक्षा कुछ और नहीं बल्कि प्रतिभाओं को निखारना है. राष्ट्रपति ने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थानों से सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं, जनप्रतिनिधि के रूप में विभिन्न पदों पर सेवा दी और फिर राज्यपाल के रूप में भी उनका शिक्षण संस्थानों के साथ सक्रिय जुड़ाव रहा.

मुर्मू ने कहा, ‘‘मैंने देश के युवाओं के उत्साह और आत्मबल को करीब से देखा है. हम सभी के श्रद्धेय अटल जी कहा करते थे कि देश के युवा जब आगे बढ़ते हैं तो वे सिर्फ अपना ही भाग्य नहीं बनाते बल्कि देश का भी भाग्य बनाते हैं. आज हम इसे सच होते देख रहे हैं.’’ ओडिशा के मयूरभंज जिले से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमादेवी वुमंस कॉलेज से कला (आर्ट्स) में स्रातक की उपाधि हासिल की और ओडिशा सरकार में सिंचाई एवं बिजली विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर सेवा दी. उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरविंद इंटीग्रल स्कूल में मानद सहायक शिक्षिका के तौर पर भी सेवा दी.

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