रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र, RBI की दक्षिण एशियाई देशों से बातचीत जारी: दास

नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक की दक्षिण एशियाई देशों से बात चल रही है. दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) परीक्षण चरण में है और आरबीआई डिजिटल रुपये की पेशकश को लेकर बहुत ही सतर्कता तथा सावधानीपूर्वक आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में भूटान जैसे कुछ देशों और नेपाल जैसे अन्य देशों के साथ हमने यूपीआई को लेकर समझौते पहले ही कर लिए हैं. इस क्षेत्र में सीमा-पार भुगतान को और सुगम बनाने के लिए हम यूपीआई सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं.’’ दास ने कहा, ‘‘आरबीआई ने भारत सरकार के साथ मिलकर जो अन्य पहल शुरू की हैं, वे हैं अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये की व्यवस्था जमाना. दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सीमा पार व्यापार में रुपये को चलन में लाने के लिए क्षेत्र के कुछ देशों के साथ हमारी बातचीत चल रही है.’’

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक ने सीबीडीसी की पायलट परियोजना शुरू की है. उन्होंने कहा, ‘‘यह अभी प्रायोगिक चरण में है, हम बहुत ही सतर्कता से और ध्यानपूर्वक आगे बढ़ रहे हैं. अगर क्लोंिनग या ऐसा कुछ होता है तो यह बहुत ज्यादा जोखिमभरा हो सकता है. यह एक और क्षेत्र है जिसमें दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग की संभावना है.’’

थोक डिजिटल रुपये के लिये एक नवंबर 2022 को आरबीआई की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की पायलट परियोजना की सफल शुरुआत के बाद पिछले वर्ष एक दिसंबर को उसने खुदरा सीबीडीसी की पायलट परियोजना शुरू की थी. दास ने कहा कि 2022-23 के लिए वैश्विक व्यापार परिदृश्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में व्यापक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार से वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

दास ने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक के स्तर पर, सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है साझा लक्ष्यों और चुनौतियों पर एक दूसरे से सीख लेना. … सीमा पार व्यापार में रुपये को बढ़ावा देना और सीबीडीसी जिसकी दिशा में आरबीआई ने पहले ही आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, इन क्षेत्रों में भी सहयोग को और बढ़ाया जा सकता है.’’ उन्होंने कोविड, मुद्रास्फीति, वित्तीय बाजार में सख्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए छह नीतिगत प्राथमिकताओं के बारे में भी बताया.

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘अनेक बाहरी झटकों से दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर कीमतों का दबाव आया है. मुद्रास्फीति को सफलतापूर्वक कम करने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीति कार्रवाई, लक्षित आपूर्ति-पक्ष हस्तक्षेप, वित्त, व्यापार नीति और प्रशासनिक उपाय प्रमुख साधन बन गए हैं.’’ दास ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए दामों की स्थिरता को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है.

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