
रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर जिले में स्थित कोपरा जलाशय को रामसर स्थल का दर्जा देने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित कोपरा जलाशय को राज्य सरकार ने प्रस्तावित रामसर स्थल घोषित करने की दिशा में बड़ी पहल की है. प्राकृतिक और मानव निर्मित विशेषताओं से युक्त यह जलाशय पूरे क्षेत्र के लिए जलसंसाधन, सिंचाई और जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है.
रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व के लिए ‘रामसर संधि’ के तहत सूचीबद्ध किया गया है. यह संधि 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई थी, जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमि का संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करना है. देश में वर्तमान में 94 रामसर स्थल हैं. अधिकारियों ने बताया कि वन मंत्री कश्यप ने उम्मीद जताई है कि कोपरा जलाशय के रामसर स्थल बनने से क्षेत्र को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी.
उन्होंने बताया कि कोपरा जलाशय मुख्य रूप से वर्षा जल और आसपास के छोटे नालों से भरता है. यह जलाशय स्थानीय ग्रामीणों की जल आवश्यकताओं को पूरा करता है और किसानों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है. जलाशय के आसपास की भूमि अत्यंत उपजाऊ मानी जाती है, जिससे क्षेत्र के कई गांवों और छोटे कस्बों की कृषि पूरी तरह इस जलाशय पर निर्भर है.
इसके अलावा यह क्षेत्र वर्षभर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों, जलचर जीवों और वनस्पतियों का सुरक्षित आवास बना रहता है. खासकर प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या यहां हर वर्ष दर्ज की जाती है. जलाशय में मछलियां, जलीय पौधे, उभयचर, सरीसृप और अनेक प्रकार के कीट-पतंगे बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे इसकी जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है.
राज्य वेटलैंड प्राधिकरण के अनुसार कोपरा जलाशय रिवर टर्न, कॉमन पोचार्ड और इजिप्शियन वल्चर जैसे दुर्लभ और महत्वपूर्ण पक्षियों के संरक्षण के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान है. विशेषज्ञों के मुताबिक यह जलाशय रामसर मानदंड संख्या दो, तीन और पांच की पूर्ति करता है, जो इसे एक उत्कृष्ट वेटलैंड इकोसिस्टम का उदाहरण साबित करता है.
अधिकारियों ने बताया कि इस महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे रामसर स्थल घोषित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा है. यदि इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है, तो कोपरा जलाशय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण मिलेगा और इसका वैज्ञानिक, पर्यावरणीय तथा पर्यटन संबंधी महत्व और बढ़ जाएगा.
उन्होंने बताया कि सरकारी योजनाओं के तहत इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, जैव विविधता संवर्धन तथा ग्रामीण आजीविका विकास से जुड़ी गतिविधियों को और मजबूत करने की तैयारी है, जिससे स्थानीय आबादी और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके.



