छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर लगाई अंतरिम रोक

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग में आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. अधिवक्ता रवि कुमार भगत ने बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की एकल पीठ के समक्ष मंगलवार को बेदराम टंडन की याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में केवल पुलिस कर्मचारी/अधिकारियों के बच्चों को दी जाने वाली छूट पर आपत्ति जताते हुए आरक्षक संवर्ग 2023-24 की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

भगत ने बताया कि अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कहा कि पुलिस महानिदेशक ने केवल पुलिस कर्मचारियों/अधिकारियों के बच्चों को छूट देने के लिए नियम बनाए हैं, इसलिए 20 अक्टूबर 2023 के विज्ञापन के अनुसार चयन प्रक्रिया अगली सुनवाई की तारीख तक स्थगित रहेगी.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता भगत ने बताया कि राज्य के अनेक जिलों में आरक्षक संवर्ग 2023-24 के अलग-अलग पदों पर र्भितयां होने वाली थी. इनमें याचिकाकर्ता के पुत्र ने राजनांदगांव में होने वाले कांस्टेबल- जनरल ड्यूटी के लिए आवेदन किया था. उन्होंने बताया कि राजनांदगांव जिले में इस श्रेणी के तहत 143 पदों के विज्ञापन जारी किए गए थे. विज्ञापन जारी होने और आवेदन करने के बाद पुलिस महानिदेशक ने सचिव को इस नियुक्ति प्रक्रिया में पुलिस विभाग में कार्यरत/एक पूर्व कर्मचारियों के बच्चों को छूट देने संबंधी पत्र लिखा था.

पत्र में सुझाव देते हुए लिखा गया था कि भर्ती नियम 2007 पैरा 9(5) के तहत भर्ती प्रक्रिया के मानदंडों को शिथिल किया जा सकता है. इसमें शारीरिक परीक्षा के दौरान सीने की चौड़ाई और ऊंचाई जैसे कुल नौ बिंदु शामिल थे. अधिवक्ता ने बताया कि अवर सचिव ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि इसे याचिकाकर्ता ने अदालत में चुनौती दी थी. अधिवक्ता भगत ने बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि केवल अपने विभाग के कर्मचारियों के बच्चों को छूट देना आम नागरिकों के साथ भेदभाव है.
भगत ने बताया कि उच्च न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह के बाद होगी.

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