कर्नाटक में सूखा राहत के लिए केंद्रीय धन जारी नहीं करने पर सिद्धरमैया व अमित शाह में तकरार

बेंगलुरु/मैसुरु. केंद्र द्वारा कर्नाटक को कथित तौर पर सूखा राहत राशि जारी नहीं करने को लेकर मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक हुई. सिद्धरमैया ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर राज्य के लोगों को धोखा देने और उनके साथ अन्याय करने का आरोप लगाया, वहीं शाह ने राहत के लिए प्रस्ताव भेजने में राज्य की कांग्रेस सरकार की ओर से देरी का आरोप लगाया.

शाह ने कहा, “यहां जो (कांग्रेस) सरकार सत्ता में है वह कर्नाटक और उसके विकास के हित में काम नहीं कर रही है. यहां के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री… एक अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं तो दूसरे कुर्सी छीनने में लगे हैं. किसी के मन में कर्नाटक की जनता नहीं है.” बेंगलुरु में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, “कर्नाटक में सूखा है, उन्होंने (राज्य सरकार ने) केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने में तीन महीने की देरी की और आज केंद्र से सूखा राहत के लिए आवेदन निर्वाचन आयोग के पास है. वे (कांग्रेस सरकार) इस पर राजनीति कर रहे हैं.”

कर्नाटक ने 240 में से 223 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया है और उनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इससे पहले दिन में, सिद्धरमैया ने मैसूरु में दावा किया कि शाह को कर्नाटक के मतदाताओं से वोट मांगने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने विशेष रूप से सूखा राहत निधि जारी करने में देरी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर राज्य के लोगों को धोखा देने और अन्याय करने का आरोप लगाया.

सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से बात करते हुए पूछा, “अमित शाह आएं या (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी आएं या (भाजपा अध्यक्ष) जेपी नड्डा आएं. कोई भी आए. अमित शाह उच्चाधिकार प्राप्त समिति के प्रमुख हैं, क्या उन्होंने सूखा राहत दी है? उन्हें कर्नाटक के लोगों से वोट मांगने का क्या नैतिक अधिकार है?” मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच महीने हो गए हैं जब उनकी सरकार ने पहली बार सूखा राहत के लिए केंद्र से संपर्क किया था लेकिन राज्य को एक रुपया भी नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर से अब तक तीन ज्ञापन दिए जा चुके हैं; केंद्रीय टीम भी निरीक्षण के लिए आई थी और उन्होंने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी.

मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से 19 दिसंबर को प्रधानंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला था, 20 दिसंबर को अमित शाह से, उन्होंने कहा था कि वह 23 दिसंबर को बैठक बुलाएंगे और फैसला करेंगे. तब से कितने दिन बीत गए? क्या उन्होंने राशि दी? पांच माह हो गये, अब तक सूखा राहत नहीं दी गई. क्या अमित शाह अपने घर से पैसा दे रहे हैं? क्या यह ‘भिक्षा’ है? यह हमारा पैसा है, हमारे कर का पैसा है.” अपने लोकसभा चुनाव अभियान में कांग्रेस सूखा राहत में देरी को प्रमुख मुद्दा बना रही है, साथ ही केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी, सहायता अनुदान और केंद्रीय परियोजनाओं को मंजूरी में देरी में राज्य के साथ कथित अन्याय का मुद्दा भी उठा रही है.

इस बीच शाह ने सवाल किया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 10 साल के शासन के दौरान कांग्रेस द्वारा कर्नाटक के लिये क्या किया गया. शाह ने अपने संबोधन में कहा, “उन्हें इसका हिसाब देना चाहिए या नहीं? मैं हिसाब लेकर आया हूं, संप्रग के दस साल के शासनकाल में मनमोहन सिंह सरकार ने कर्नाटक को सिर्फ एक लाख 42 करोड़ रुपये दिये, जबकि नरेन्द्र मोदी ने तीन गुना ज्यादा चार लाख 91 हजार करोड़ रुपये दिये.”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा 25 हजार करोड़ रुपये की सड़कें, 75 हजार करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाएं और 11 हजार करोड़ रुपये हवाई मार्ग के लिए लगाए गए.” उन्होंने कहा कि मोदी ने बेंगलुरु का विकास किया और कर्नाटक में विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के साढ.े तीन करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं.

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