पैगम्बर पर की गई टिप्पणियां सरकार के रूख को प्रदर्शित नहीं करतीं : विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली. पैगम्बर मोहम्मद पर भाजपा के दो पूर्व नेताओं की विवादित टिप्पणी को लेकर अरब देशों में व्यापक आक्रोश के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी टिप्पणियां सरकार के रूख को प्रर्दिशत नहीं करती हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘ हमने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे ट्वीट, टिप्पणियां सरकार के रूख को प्रर्दिशत नहीं करती हैं . ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे वार्ताकारों को इसके बारे में बता दिया गया है, साथ ही यह तथ्य है कि ऐसे ट्वीट एवं टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ संबंधित पक्ष द्वारा कार्रवाई की गई है. इस बारे में इसके अतिरिक्त मुझे और कुछ नहीं कहना है. ’’ प्रवक्ता से भारत की यात्रा पर आए ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियन की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के साथ बैठक के दौरान पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी का मुद्दा उठाये जाने की रिपोर्ट के बारे में सवाल पूछा गया जिसको लेकर ईरान के बयान में दावा किया गया है कि ऐसी टिप्पणियां करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया .

इस पर बागची ने कहा कि उनकी समझ यह है कि जिस बयान का जिक्र किया जा रहा है, उसे वापस ले लिया गया है. भारत की यात्रा पर आए ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी . ईरान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा ऐसे समय हुई है, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पूर्व पदाधिकारियों की पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर पश्चिम एशिया के देशों द्वारा आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है. कतर, कुवैत सहित अनेक देशों में इन विवादित टिप्पणियों के विरोध को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इस बारे में हमारे उच्चायोगों ने आधिकारिक बयान जारी कर दिया है.

कुछ देशों में स्टोर से भारतीय चीजें हटाने के खबरों के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम इन बातों से सहमत नहीं हैं, कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं लेकिन इसको लेकर निश्चित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम लगातार स्थिति पर नजर रखेंगे, वहां भारतीय समुदाय हैं..भारतीय हित सुरक्षित हैं . गौरतलब है कि भाजपा ने विवादित बयानों के लिए अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया. वहीं, दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार ंिजदल को पार्टी नेतृत्व ने भाजपा से निष्कासित करने का फैसला किया . दोनों नेताओं की विवादित टिप्पणियों को लेकर कई खाड़ी देशों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.

इस मामले में कतर, कुवैत, ईरान पाकिस्तान ने इस मामले में भारतीय राजदूतों को तलब किया था और इस विवादित बयान की ंिनदा की. सऊदी अरब, बहरीन और अफगानिस्तान ने भी विवादित बयान की ंिनदा की थी. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके भाजपा प्रवक्ता की टिप्पणियों की ंिनदा की थी. , बहरीन के विदेश मंत्रालय ने संबंधित नेताओं के खिलाफ भाजपा की कार्रवाई का स्वागत किया था. इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत सभी धर्मों के प्रति सर्वोच्च सम्मान का भाव रखता है और ये टिप्पणियां किसी भी रूप में भारत सरकार के विचारों को प्रर्दिशत नहीं करती हैं.

हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की एक और कड़ी

पाकिस्तान के कराची में हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ पर विरोध व्यक्त करते हुए भारत ने इस घटना को पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सुनियोजित उत्पीड़न की एक और कड़ी बताया तथा कहा कि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एवं भलाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में इस बारे में एक सवाल के जवाब में यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पाकिस्तान के कराची में हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ की घटना से जुड़ी हाल की घटना पर गौर किया है. यह उस देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सुनियोजित उत्पीड़न की एक और कड़ी है. हमने पाकिस्तान को अपने विरोध से अवगत करा दिया है.’’ बागची ने कहा, ‘‘हमने पड़ोसी देश से कहा है कि वह अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एवं भलाई सुनिश्चित करे.’’ गौरतलब है कि पाकिस्तान के कराची शहर में एक हिन्दू मंदिर में देवताओं की मूर्तियां तोड़ दी गईं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों में तोड़फोड की यह नवीनतम घटना है जो कराची के कोरंगी क्षेत्र में श्री मारी माता मंदिर में बुधवार को हुई.

अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के सभी घटनाक्रम पर सावधानीपूर्वक नजर

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार पश्चिमी क्षेत्र में चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण समेत सभी घटनाक्रम पर सावधानीपूर्वक नजर रखती है तथा क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता की रक्षा के लिये सभी उपाय करने को प्रतिबद्ध है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बृहस्पतिवार को यह बात कही . उनसे अमेरिकी सेना के प्रशांत क्षेत्र के कमांंिडग जनरल चार्ल्स ए. फ्लिन के बुधवार को दिये गए बयान के बारे में पूछा गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत से लगती सीमा के निकट चीन द्वारा कुछ रक्षा बुनियादी ढांचे स्थापित किया जाना ंिचता की बात है. बागची ने कहा कि वह जनरल फ्लिन के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे .

उन्होंने हालांकि कहा, ‘‘ सरकार पश्चिमी क्षेत्र में चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण समेत सभी घटनाक्रम की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है.’’ प्रवक्ता ने कहा कि सरकार क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता की रक्षा के लिये सभी उपाय करने को प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों की आवश्यक्ताओं को पूरा करने तथा आधारभूत ढांचे के विकास के लिये हाल के वर्षो में कई कदम उठाये हैं जिसमें भारत की सामरिक एवं सुरक्षा जरूरतों को पूरा करना और आर्थिक विकास शामिल है.

गौरतलब है कि फ्लिन ने बुधवार को कहा था कि ंिहद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का अस्थिर और कटू व्यवहार मददगार नहीं है और भारत से लगती अपनी सीमा के निकट चीन द्वारा स्थापित किए जा रहे कुछ रक्षा बुनियादी ढांचे ंिचताजनक हैं. चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के संबंध में बागची ने कहा कि राजनयिक एवं सैन्य कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है. इसके अलावा रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के स्तर पर भी बातचीत हुई हैं.

उन्होंने कहा कि इससे कुछ प्रगति हुई है क्योंकि पूर्वी लद्दाख में कुछ क्षेत्रों में पीछे हटने के मामले सामने आए हैं . शेष मुद्दों के हल के लिये चीनी पक्ष के साथ बातचीत जारी रहेगी. बागची ने कहा कि इन वार्ताओं में हमारी यह अपेक्षा है कि चीनी पक्ष, भारतीय पक्ष के साथ शेष मुद्दों के समाधान के लिये सक्रियता से काम करेगा . उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष यह मानते हैं कि मौजूदा स्थिति का लम्बा ंिखचना किसी के हित में नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में हाल ही में यह सहमति बनी है कि दोनों के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की वार्ता जल्द ही होगी . हालांकि उन्होंने इसकी कोई तिथि अभी नहीं बतायी. गौरतलब है कि भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच पांच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जब पैंगोंग त्सो क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच ंिहसक झड़प हुई थी.

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद को सुलझाने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता की है. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिणी तट और गोगरा से सैनिकों को हटा लिया गया था. पिछले महीने ऐसी खबरें आई थीं कि चीन पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग झील के आसपास अपने कब्जे वाले क्षेत्र में एक अन्य पुल का निर्माण कर रहा है और वह ऐसा कदम इसलिए उठा रहा है ताकि सेना को इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को जल्द जुटाने में मदद मिल सके.
चीन, भारत से लगे सीमावर्ती इलाकों में सड़कें और रिहायशी इलाके जैसे अन्य बुनियादी ढांचे भी स्थापित करता रहा है. चीन का ंिहद-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों जैसे वियतनाम और जापान के साथ समुद्री सीमा विवाद है.

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