कंपनी क्षेत्र को तोहफा नहीं दे रहे, निर्माण क्षेत्र को गति देना है मकसद : वित्त मंत्री सीतारमण

नयी दिल्ली. कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा लक्षित ढंग से राहत प्रदान करने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था के मंदी में नहीं जाने का दावा करते हुए बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कंपनी क्षेत्र को करों में राहत देने की नीति का बचाव किया और कहा कि यह राहत इस क्षेत्र को कोई तोहफा नहीं है, बल्कि विनिर्माण क्षेत्र को बढावा देने के लिए है.

इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मुद्रास्फीति पर नजर रख रही है कि कीमतों में वृद्धि नहीं हो.
उन्होंने विश्वास जताया कि 2022-23 में 3.25 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त राजस्व के कारण राजकोषीय घाटा लक्ष्य को पार नहीं करेगा.

वित्त मंत्री ने उच्च सदन में अनुदान की अनुपूरक मांगों और अतिरिक्त मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों को संसद में लाना कोई असामान्य बात नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार सरकार एक बार, कभी दो बार या तीन बार यह मांग लेकर आती है.

वित्त मंत्री ने कहा कि इस बार सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में पहली बार अनुपूरक मांगें लेकर आयी है और यह बजट अनुमान के मात्र आठ प्रतिशत के बराबर है. उन्होंने कहा कि पूर्व में यह बीस प्रतिशत तक लाया गया था और उसे देखते हुए तथा वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मंदी को देखते हुए यह, मांगों की कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है.

सीतारमण ने कहा, ‘‘हम यह मांगें इसलिए लेकर आये हैं क्योंकि सरकार ने जनवरी या फरवरी में बजट बनाने के दौरान कुछ बातों का अनुमान नहीं लगाया था.’’ उन्होंने हालांकि कहा कि 11.1 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान जनवरी 2021-22 में लगाया गया था.
उन्होंने कहा कि जब सरकार इस साल का बजट बना रही थी तब दुनिया भर में माना जा रहा था कि महामारी के प्रभाव घट रहे हैं और सुधार के जो कदम उठाये जा रहे हैं उनसे अर्थव्यवस्था सुधार के पथ पर आगे बढ़ेगी.

सीतारमण ने कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी 2022 की अपनी एक रिपोर्ट में भारत में नौ प्रतिशत से अधिक की विकास दर रहने का अनुमान व्यक्त किया था. उन्होंने कहा कि इसके बाद फरवरी के अंत में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया जिससे अड़चने पैदा हो गयीं, विशेषकर अनाज एवं ऊर्जा आपूर्ति के क्षेत्र में.

वित्त मंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सरकार अनुदान की जो अनुपूरक मांगें लेकर आयी है वह खाद्य सुरक्षा, उर्वरकों के लिए है जो किसानों के लिहाज से अति महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इन अनुपूरक मांगों का लक्ष्य यही है कि अर्थव्यवस्था में किसानों, गरीबों सहित सभी वर्गों को समुचित सहयोग दिया जा सके. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि चर्चा में अधिकतर सदस्यों ने इन मांगों का समर्थन किया है.

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा चर्चा के दौरान धन जुटाने को लेकर किए गए प्रश्नों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार सितंबर 2021 में ही इस बात की घोषणा कर चुकी थी कि उसके उधारी कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी उधार योजना नहीं बदलेंगे.’’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक, पहले सात महीनों के दौरान सकल कर प्राप्ति में पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. उन्होंने कहा कि इस तेजी से सरकार के विश्वास को बल मिलेगा कि वह अनुपूरक मांगों की भरपाई कर लेगी.

उन्होंने निगमित कर को लेकर चर्चा के दौरान चिदंबरम सहित कई सदस्यों द्वारा किए गए प्रश्नों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1994 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन ंिसह ने निगमित कर को 45 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत किया था. उन्होंने कहा कि 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने इसे 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत किया था और अधिभार को भी खत्म किया था.

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2000 से अधिभार फिर से लगा दिये गये जिससे निगमित कर बढ़कर 36-38 प्रतिशत हो गया, जो पांच साल तक चलता रहा. उन्होंने कहा कि इसके बाद 2005 में चिदंबरम ने वित्त मंत्री के रूप में इसे फिर घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया और यदि इसमें अधिभार मिला दें, तो यह 33 प्रतिशत होता था. उन्होंने सवाल किया कि क्या उस समय भी ‘‘तोहफा’’ दिया गया था? उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार का मानना है कि निगमित कर घटाना तोहफा नहीं है बल्कि यह कंपनियों के व्यापार और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

वित्त मंत्री ने विपक्षी सदस्यों द्वारा निजी निवेश नहीं होने पर ंिचता जताये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि वार्षिक आधार पर गैर खाद्य बैंंिकग ऋण आठ अप्रैल 2022 से दहाई अंक की दर से बढ़ रहे हैं और दो दिसंबर 2022 को समाप्त हुए सप्ताह तक यह दर बढ़कर 17.9 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. उन्होंने कहा कि सकल गैर निष्पादक आस्तियां (एनपीए) छह साल के निम्नतम स्तर 5.9 प्रतिशत पर आ गयी है. उन्होंने निजी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों की भी जानकारी दी.

चिदंबरम ने चर्चा के दौरान सरकार से जानना चाहा था कि वर्तमान सत्तासीन गठबंधन की सरकार के नौ साल पूरे हो रहे हैं और क्या दस साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़कर दुगना होगा? इसका जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि 2014-15 से 2019-20 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 6.6 प्रतिशत रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान दशक के पांच वर्षों को कोविड के दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए क्योंकि एक साल तो बिल्कुल नकारात्मक तस्वीर रही.

उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके बावजूद हम इसे (विकास दर को) दुगना करने के बहुत करीब हैं और अभी हमें (सरकार को) दस वर्ष पूरा करने के लिए करीब डेढ़ वर्ष और हैं.’’ वित्त मंत्री ने दावा किया कि दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने जिस तरह कोविड का सामना किया और जिस तरह से भारत ने इसका सामना किया, उसमें यह बात निहित है कि वे क्यों मंदी का सामना कर रही हैं? उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने लोगों के हाथ में धन दिया और नोट छापना बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने भी उधार लेकर लोगों को धन देने का सुझाव दिया था ंिकतु इन्हीं सुझावों के कारण कई देशों में मंदी आयी.

उन्होंने कहा कि धन्यवाद दिया जाना चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस निर्णय को, जिसके तहत कोविड महामारी के दौरान लक्षित ढंग से राहत प्रदान की गयी. उन्होंने कहा कि लक्षित रखने के रवैये के कारण ‘‘हम सुरक्षित तट पर बने रहे और मंदी के दौर की तरफ नहीं बढ़े.’’ सीतारमण ने कहा कि 2013 में भारत को जहां कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं में रखा गया था वहीं विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के बाद भारत की अर्थव्यवस्था के सूक्ष्म आधार मजबूत हैं. देश में कीमतों की स्थिति के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार मुद्रास्फीति पर लगातार नजर रख रही है जो ईंधन और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि जैसे बाहरी कारकों की वजह से है.

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