अपराध से अर्जित आय को छिपाना, कब्जे में रखना PMALA के तहत अपराध: न्यायालय

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अपराध की आय से जुड़ी संपत्ति को छिपाना, कब्जे में रखना या इसे बेदाग के रूप में पेश करना धनशोधन रोधी कानून के तहत अपराध है. शीर्ष अदालत ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-3 की भाषा से यह स्पष्ट है कि अपराध की आय से संबंधित प्रक्रिया या गतिविधि के संबंध में धनशोधन एक अलग अपराध है.
अधिनियम की धारा-3 धनशोधन के अपराध से संबंधित है.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, “प्रक्रिया या गतिविधि किसी भी रूप में हो सकती है- चाहे वह छिपाने, कब्जे, अधिग्रहण, अपराध की आय का उपयोग हो, या इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करना या ऐसा होने का दावा करना हो.” पीठ ने कहा, “इस प्रकार, अपराध की आय से जुड़ी ऐसी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल होना धनशोधन का अपराध होगा.” शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. इसने पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, धनशोधन से संबंधित संपत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती से संबंधित ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा.

 

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