कोलकाता से भुवनेश्वर लाए जा रहे बीजू पटनायक के डकोटा विमान को देखने भीड़ उमड़ी

भुवनेश्वर. ओडिशा के दिग्गज नेता दिवंगत बीजू पटनायक के टूट चुके डकोटा विमान की एक झलक पाने के लिए बुधवार को सैकड़ों लोग कोलकाता-भुवनेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंतजार करते देखे गए. विमान के टूटे हुए हिस्सों को लेकर तीन वाहन ओडिशा-पश्चिम बंगाल सीमा पर स्थित लक्ष्मणनाथ टोल प्लाजा से गुजरे और बुधवार को तड़के जलेश्वर पहुंचे. ओडिशा पुलिस द्वारा अनुरक्षित लॉरी, बुधवार रात तक राजधानी भुवनेश्वर पहुंचने वाली हैं. टूट चुके इस डकोटा (डीसी-3) वीटी-एयूआई विमान को फिर से तैयार किया जाएगा और फिर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक के नाम पर बने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक निर्दिष्ट स्थान पर उसे रखा जाएगा.

यह विमान दशकों तक कोलकाता स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के परिसर में खड़ा था. इसका वजन 8 टन से अधिक है और इसकी लंबाई लगभग 64 फुट 8 इंच है. ओडिशा सरकार ने बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (बीपीआईए) पर वाहनों के पहुंचने के बाद टूटे हुए पुर्जों को फिर से जोड़ने के लिए एक विशेष टीम को लगाया है. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने इस उद्देश्य के लिए बीपीआईए में 1.1 एकड़ जमीन आवंटित की है.

बीजू पटनायक ने कंिलगा एयरलाइंस की स्थापना की थी, जो कोलकाता में अपने मुख्यालय से लगभग एक दर्जन डकोटा विमानों का संचालित करती थी. बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (बीपीआईए) के निदेशक प्रसन्न प्रधान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विमान में काफी टूट-फूट हुई है.

इतिहासकार अनिल धीर ने बताया कि बीजू पटनायक को डकोटा विमानों का बहुत शौक था. उन्होंने कहा, ”बीजू पटनायक ने अप्रैल 1947 में तत्कालीन इंडोनेशियाई प्रधानमंत्री सुलतान जहरीर को बचाने के लिए एक डकोटा विमान का इस्तेमाल किया था. इसे लेकर आभार व्यक्त करने के लिए बीजू पटनायक को दो बार इंडोनेशिया ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भूमिपुत्र’ से अलंकृत किया था.” इतिहासकार के मुताबिक, कुशल पायलट बीजू पटनायक ब्रिटिश शासन के दौरान रॉयल इंडियन एयर फोर्स के भी सदस्य थे और गुप्त रूप से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे.

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