डार्ट अभियान पृथ्वी को भविष्य में क्षुद्रग्रह की संभावित टक्कर से बचाने की दिशा में एक कदम है: भारतीय वैज्ञानिक

नयी दिल्ली. करीब 6.6 करोड़ वर्ष पहले किसी क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने के कारण डायनासोर जैसे विशालकाय प्राणियों का अंत हो गया था लेकिन अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक भविष्य में धरती को ऐसी किसी संभावित टक्कर से बचाने के प्रयासों में जुटे हैं और डार्ट मिशन इसी दिशा में एक कदम है.

हालांकि भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे जीवनकाल में ऐसी किसी घटना की आशंका बहुत कम है. अपने तरह के पहले अभियान के तहत नासा के एक अंतरिक्ष यान ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ (डार्ट) ने धरती की रक्षा से संबंधित एक परीक्षण में सोमवार को एक क्षुद्रग्रह को सफल टक्कर मारी. यह परीक्षण यह पता लगाने के लिए किया गया था कि भविष्य में पृथ्वी के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले किसी क्षुद्र ग्रह को पृथ्वी से टकराने से रोकने के लिए उसका मार्ग परिर्वितत किया जा सकता है या नहीं.

यह घटना 96 लाख किलोमीटर दूर हुई जिसमें ‘डार्ट’ नामक अंतरिक्ष यान 22,500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही एक अंतरिक्ष चट्टान से टकराया. इस प्रयोग के तहत डाइमॉरफोस नाम के 160 मीटर व्यास वाले एक उल्कांिपड को निशाना बनाया गया. डाइमॉरफोस वास्तव में डिडमोस नाम के क्षुद्रग्रह का पत्थर है. यह जोड़ी पृथ्वी को खतरे में डाले बिना अनंतकाल से सूर्य की परिक्रमा कर रही है, जिससे वे परीक्षण के लिए आदर्श वस्तु बन गए हैं.

इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए), बेंगलुरु के वैज्ञानिक क्रिसफिन कार्तिक ने कहा, ‘‘हम कई क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं से घिरे हुए हैं जो हमारे सूर्य की परिक्रमा करते हैं. उनमें से बहुत कम पृथ्वी के लिए संभावित रूप से खतरनाक हैं. इसलिए, भविष्य में पृथ्वी को ऐसे क्षुद्रग्रहों से संभावित टक्कर से बचाने के लिए अपनी सुरक्षा तैयारी करना बेहतर है.’’ डार्ट परियोजना में शामिल कार्तिक ने कहा कि यह अभियान ‘‘भविष्य की ऐसी किसी संभावित घटना के लिए दुनिया को तैयार करने की दिशा में निश्चित रूप से एक कदम है’’ जो लगभग 6.6 करोड़ वर्ष पहले डायनासोर के विलुप्त होने का कारण बनी थी.

कार्तिक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह सफल डार्ट अभियान उसका एक उदाहरण है. अब हम जानते हैं कि इतने छोटे क्षुद्र ग्रह को अंतरिक्ष यान के जरिये कैसे सटीक रूप से लक्षित करना है. हम इस डार्ट अभियान के प्रभाव के बाद के अवलोकन से खुद को किसी बड़े क्षुद्र ग्रह को टक्कर मारने के लिए भी तैयार कर सकते हैं.’’ डाइमॉरफोस वास्तव में 780 मीटर के एक बड़े क्षुद्रग्रह डिडमोस की परिक्रमा करता है. इसमें से कोई भी क्षुद्रग्रह पृथ्वी के लिए खतरा नहीं है. डायनासोर का अस्तित्व समाप्त करने वाला क्षुद्रग्रह लगभग 10 किलोमीटर व्यास का था.

अमेरिका में नासा की ‘जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी’ (जेपीएल) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम चट्टोपाध्याय ने भी कहा कि यह अभियान भविष्य के लिए खतरनाक क्षुद्रग्रह से संभावित टक्कर बचाने की तैयारी में मदद करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रयोग से वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या पृथ्वी की तरफ आने वाले किसी उल्कांिपड को टक्कर मारकर उसका रास्ता बदला जा सकता है, ताकि धरती की रक्षा की जा सके.’’ हालांकि, वैज्ञानिकों ने उल्लेखित किया कि अधिकांश क्षुद्रग्रह, जो आकार में कुछ हद तक बड़े हैं और पृथ्वी से टक्कर की दशा में उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनके ग्रह से टकराने की संभावना बहुत कम है.

चट्टोपाध्याय ने कहा, ‘‘हालांकि, इसकी संभावना शून्य नहीं है और हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए. हमेशा एक आशंका है कि संभवत: कोई बड़ा क्षुद्रगह हमारी ओर बढ़ रहा हो . और सवाल उठ खड़ा होता है कि इसको लेकर हमारा दृष्टिकोण क्या होगा और हम इसे कैसे कम कर सकते हैं. ये कार्यक्रम इसीलिए महत्वपूर्ण हैं.’’

कार्तिक ने कहा, ‘‘कम से कम अगली शताब्दी के लिए, ज्ञात क्षुद्रग्रहों से ऐसा कोई खतरा नहीं है जो बड़े पैमाने पर लोगों को हताहत करने का कारण बन सकता है. हालांकि, जोखिम का आकलन अब तक ज्ञात क्षुद्रग्रहों पर आधारित है.’’ छोटे-छोटे क्षुद्र ग्रह हर समय पृथ्वी से टकराते रहते हैं लेकिन वातावरण में उत्पन्न गर्मी के कारण वे जल जाते हैं. हालांकि, पर्याप्त रूप से बड़े क्षुद्रग्रहों के मामले में ऐसा नहीं है क्योंकि उसका बाहरी हिस्सा जल जाएगा लेकिन नुकसान के लिए पर्याप्त द्रव्यमान शेष रहेगा.

टीम अब दूरबीनों का उपयोग करके डाइमॉरफोस का निरीक्षण करेगी ताकि यह पुष्टि हो सके कि डार्ट के प्रभाव ने डिडमोस के चारों ओर क्षुद्रग्रह की कक्षा को बदल दिया है. हालांकि, चट्टोपाध्याय ने कहा कि क्या अभियान क्षुद्रग्रह की कक्षा को बदलने में सक्षम है या नहीं, यह सभी डेटा एकत्र होने के बाद ही पता चलेगा.

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