काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में निर्णय सुरक्षित…

व्यास जी के तहखाना मामले में अपील पर फैसला 11 दिसंबर को

प्रयागराज/वाराणसी: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।

वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी। इस वाद में उस स्थान पर प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है। वाद में दलील दी गई है कि वह मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है।

इससे पूर्व, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रींितकर दिवाकर ने 28 अगस्त, 2023 को इस मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया से अपने पास यह कहते हुए मंगा लिया था कि रोस्टर के मुताबिक, इस मामले पर सुनवाई उनके (प्रकाश पाडिया के) न्यायिक क्षेत्र में नहीं था, उन्होंने दो वर्षों से अधिक समय तक इस पर सुनवाई की थी।

तत्कालीन

मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि एकल न्यायाधीश से इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भेजने का निर्णय न्यायिक संपत्ति, न्यायिक अनुशासन और पारर्दिशता के हित में प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश दिवाकर 22 नवंबर, 2023 को सेवानिवृत्त हो गए थे और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद इस मामले को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी के मुताबिक, इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का एक समग्र सर्वेक्षण करने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिए गए निर्देश को भी चुनौती दी गई है। यह निर्देश वाराणसी की एक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दिया था।

व्यास जी के तहखाना मामले में अपील पर फैसला 11 दिसंबर को

वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने को जिलाधिकारी को सौंपने के मामले में एक वकील के पक्षकार बनने की अपील पर आदेश सुनाने के लिए 11 दिसंबर की तिथि तय की है. हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने शुक्रवार को बताया कि व्यास जी के तहखाने की चाबी जिलाधिकारी को सौंपने के मामले में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी के पक्षकार बनने की अपील पर पिछले सोमवार को सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने आदेश को शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था.

उन्होंने कहा कि लेकिन एक अधिवक्ता के निधन पर आज कचहरी परिसर में शोक होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी, जिला जज ने इस मामले में आदेश सुनाने के लिए 11 दिसंबर की तिथि तय की है. उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने की चाबी जिलाधिकारी को सौंपने के मामले में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने एक प्रार्थना पत्र देते हुए खुद को इस मामले में पक्षकार बनाए जाने और उन्हें सुनने की अपील जिला जज ए के विश्वेश से की थी.

यादव ने बताया कि इससे पूर्व, अधिकारियों ने ‘व्यास जी का तहखाना’ की 1993 में घेराबंदी कर दी थी. इससे पूर्व, यह तहखाना पूजा-पाठ के लिए पुजारी सोमनाथ व्यास द्वारा उपयोग किया जाता था. उन्होंने बताया कि सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र कुमार पाठक ने इस वर्ष सितंबर में सिविल जज सीनियर डिवीजन नितेश कुमार सिन्हा की अदालत में व्यास जी के तहखाने पर मुस्लिम पक्ष के कब्जे की आशांका जताते हुए तहखाने को जिलाधिकारी को सौंपने सम्बंधित वाद दाखिल किया था.

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