
हिमांचल: हिमाचल में सोमवार की रात को आसमान से आफत बरसी। नींद में सोए लोगों पर कहर इस कद्र बरपा कि देखते ही देखते सैलाब सबकुछ बहा ले गया। आखों में आसुओं की बाढ़ आ गई। जान बचाने के लिए लोग सबकुछ छोड़ घरों से भागे। प्रदेश में 17 जगह बादल फटे। मंडी जिले में 15, जबकि कुल्लू और किन्नौर जिले में एक-एक जगह बादल फटा। बादल फटने, बारिश और भूस्खलन से सबसे ज्यादा नुकसान जिला मंडी में हुआ।
मकान मिट्टी हो गए। ब्यास नदी का पानी रिहायशी इलाकों में घुसने से अफरातफरी मच गई। मंडी में 16 लोगों समेत पूरे प्रदेश में 18 की जान चली गई है। 33 लोग अभी लापता हैं। दर्जनों लोग घायल हो गए हैं। 332 लोगों को जगह-जगह से रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई गई है। अकेले मंडी जिले में 24 घर और 12 गोशालाएं जमींदोज हो गई हैं। 30 पशुओं की मौत हो गई है। कुकलाह के समीप पटीकरी प्रोजेक्ट बह गया है। कई पुल ध्वस्त हो गए हैं।
बादल फटने के बाद करसोग के पुराना बाजार, पंजराट, कुट्टी, बरल, सकरोल, सनारली में पानी और मलबे ने तबाही मचा दी। नींद में सो रहे लोगों पर आसमान से आफत बरसी। अंधेरे में पानी से घिरे लोग सहम गए। चीख-पुकार करते हुए मदद मांगने को मजबूर हो गए। प्रशासन भी तेज बहाव के बीच बेबस नजर आया। बहाव कम होने पर फंसे हुए लोगों को रेस्क्यू किया। पानी के बीच घिरे लोगों के अनुसार उन्हें दूसरी जिंदगी मिली है। एक बार लगा कि अब नहीं बच पाएंगे। सकरोल निवासी कामेश्वर ने बताया कि उसका सकरोल में ढाबा है।
रात करीब 11:00 बजे थोड़ा थोड़ा पानी आया, लेकिन इसके बाद पानी की रफ्तार अचानक बढ़ गई। देखते ही देखते ही ढाबे के अलावा अन्य दो तीन ढाबे, गाड़ियां और एक व्यक्ति पानी की चपेट में आया। आंखों के सामने सब बह गया। कामेश्वर ने बताया कि उसके तीन मकान भी पानी में बह गए। करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कुट्टी निवासी तेतू ने बताया कि पहाड़ी से रात 12 बजे पहले पानी आया। बाद में पत्थर आना शुरू हो गए। चंद मिनटों में ही चारों तरफ मलबे के ढेर लग गए और गाड़ियों भी बह गईं। पानी और मलबा दुकान को भी अपने साथ बहाकर ले गया।
नाले के बहाव में बह गए खेत और सड़क…
पंजराट में रिश्तेदारी में गए चेतन ने बताया कि सोमवार रात पानी ऐसा आया कि कई घर इसकी चपेट में आ गए। रिक्की गांव से सात लोगों को सुरक्षित निकाला गया। पुराना बाजार करसोग के मतिधर ने बताया कि अचानक ही पानी आना शुरू हुआ और पूरे घरों को अपनी चपेट में ले लिया। वहीं, भडारणू के पंचायत प्रधान दिलीप कुमार ने बताया कि उनके घर के साथ बहता नाला बेहद तेज रफ्तार से आया, जिससे खेत बह गए। मलबा सड़क पर आ गया। सड़क खत्म हो गई।
गोहर उपमंडल की स्यांज पंचायत का छोटा सा गांव पंगलियुर कभी इतना खामोश नहीं था। सोमवार रात तक यहां जीवन सधी हुई लय में आगे बढ़ रहा था। रात दो बजे ज्यूणी खड्ड ने रौद्र रूप दिखाया और सब कुछ हमेशा के लिए बदल दिया। बच्चों की किताबें, कपड़े, चप्पलें और आंगन की मिट्टी सब गवाही दे रही हैं कि यहां कभी बस्ती थी। स्यांज पंचायत के प्रधान मनोज शर्मा बताते हैं कि जैसे ही घटना की सूचना मिली, भागे भागे घटनास्थल पर पहुंचे। यहां बस सन्नाटा था, मलबा था और बहता पानी। दो परिवारों के नौ लोग ज्यूणी खड्ड के उफनते पानी में समा गए।
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नींद से जागने तक का मौका तक नहीं मिला
कुछ को नींद से जागने तक का मौका नहीं मिला। मकान मिट्टी बन गए। दो परिवारों के लोग बिखर चुके थे। गांववालों की आंखों में आस थी और दिल में डर था। रात का अंधेरा इंतजार को और भारी बना रहा था। प्रशासन तो आया मगर तब जब उजाले ने तबाही के मंजर को दिखाना शुरू कर दिया था। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें करीब 12 घंटे बाद पहुंचीं, तब तक पंगलियुर गांव में मलबे के ढेर के अलावा कुछ नहीं बचा था। स्यांज पंचायत प्रधान मनोज शर्मा ने आरोप लगाया है कि सोमवार रात घटना के समय प्रशासन को सूचित कर दिया गया था, मगर सर्च ऑपरेशन 12 घंटे बाद शुरू किया गया।