धरती ने अपने आठ अरबवें निवासी का किया स्वागत

संयुक्त राष्ट्र/बीजिंग. मानवता के एक अहम पड़ाव में, पिछले 12 वर्षों में एक अरब लोगों को जोड़ने के बाद मंगलवार को वैश्विक जनसंख्या आठ अरब तक पहुंच गई. बहरहाल, बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का अगले साल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनना तय है. जनसंख्या घड़ी ने 15 नवंबर को 8,000,000,000 का आंकड़ा दर्शाया. खास बात यह है कि इनमें से एक अरब लोग तो पिछले 12 वर्षों में जुड़े हैं.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने ट्वीट किया, ‘‘आठ अरब उम्मीदें. आठ अरब सपने. आठ अरब संभावनाएं. हमारा ग्रह अब आठ अरब लोगों का घर है.’’ संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या के आठ अरब तक पहुंचने को ‘‘मील का एक उल्लेखनीय पत्थर’’ करार दिया. मानव आबादी लगभग 1800 तक एक अरब से कम थी, और एक से दो अरब तक बढ़ने में 100 से अधिक वर्षों का समय लगा. यूएनएफपीए ने कहा, ‘‘हमारी आबादी की वृद्धि मानवता की उपलब्धियों का एक प्रमाण है, जिसमें गरीबी और लैंगिक असमानता में कमी, स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति और शिक्षा तक पहुंच का विस्तार शामिल है.’’ उसने कहा, ‘‘इनके परिणामस्वरूप अधिक महिलाएं प्रसव के बाद जीवित रहीं, अधिक बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षों में जीवित रहे, और उनका जीवनकाल दशक दर दशक लंबा व स्वस्थ रहा.’’

तुलनात्मक रूप से, पिछली शताब्दी में दुनिया की आबादी में वृद्धि काफी तेज रही है और वृद्धि की क्रमिक रूप से धीमी होती गति के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक, वैश्विक जनसंख्या 2037 के आसपास नौ अरब होने तथा 2058 के आसपास 10 अरब से अधिक होने का अनुमान है. इस साल जुलाई में जनसंख्या विभाग के आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग द्वारा जारी विश्व जनसंख्या संभावना 2022 में कहा गया कि वैश्विक जनसंख्या के 2080 के दौरान लगभग 10.4 अरब लोगों के साथ शिखर पर पहुंचेगी और इसके वर्ष 2100 तक उस स्तर पर रहने का अनुमान है.

भारत के लिए वर्ष 2023 एक ऐतिहासिक वर्ष हो सकता है क्योंकि उसके दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष एक भारतीय की औसत आयु 28.7 वर्ष, जबकि चीन के लिए औसत आयु 38.4 वर्ष है. आंकड़ों के अनुसार जापान में औसत आयु 48.6 वर्ष है जबकि वैश्विक लिहाज से यह आंकड़ा 30.3 वर्ष का है.

जनसंख्या संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की 1.426 अरब आबादी की तुलना में 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है. 2050 में भारत की आबादी 1.668 अरब होने का अनुमान है, जो सदी के मध्य तक चीन की 1.317 अरब जनसंख्या से काफी आगे है.
यूएनएफपीए के अनुमान के मुताबिक, 2022 में भारत की 68 फीसदी आबादी 15-64 साल की उम्र के बीच की है, जबकि 65 साल और उससे अधिक उम्र के लोग आबादी का सात फीसदी हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, देश की 27 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 15-29 वर्ष की आयु के बीच है. 25.3 करोड़ के साथ भारत दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी (10-19 वर्ष) का भी घर है. उसके मुताबिक भारत 2030 तक दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक बना रहेगा.

वहीं चीन की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र अनुमानों के मुताबिक, उसकी आबादी 2035 में ‘‘गंभीर उम्र’’ के दौर में होगी और वहां लगभग 40 करोड़ लोगों की उम्र तब 60 साल से ज्यादा होगी. इसका दोष मुख्य रूप से उसकी दशकों पुरानी एक बच्चा नीति को दिया जाता है.
चीनी आधिकारिक मीडिया की खबर के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के उम्र संबंधी व स्वास्थ्य विभाग के निदेशक वांग हैडोंग ने सितंबर में अनुमान जताया था कि 2025 तक बुजुर्गों की आबादी 30 करोड़ और 2035 तक 40 करोड़ हो जाएगी.

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