प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणियों के लिए निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस जारी किया

बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी पर पुलिस से जवाब तलब

नयी दिल्ली. निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर की गईं ‘पनौती’, ‘जेबकतरे’ और बड़े-बड़े उद्योगपतियों की कर्ज माफी संबंधी टिप्पणियों के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बृहस्पतिवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया. आयोग ने उनसे शनिवार शाम तक जवाब देने को कहा है.

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि ‘एक वरिष्ठ नेता’ द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है. निर्वाचन आयोग ने गांधी को याद दिलाया कि आदर्श चुनाव आचार संहिता नेताओं को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाने से रोकती है.

कांग्रेस नेता ने राजस्थान में हाल की रैलियों में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए ‘पनौती’, जेबकतरे व अन्य टिप्पणियां की थी.
आयोग को दिए अपने ज्ञापन में भाजपा ने कहा था कि पिछले नौ वर्षों में उद्योगपतियों को 14,00,000 करोड़ रुपये की छूट देने के आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. आयोग के नोटिस में कहा गया है कि ‘पनौती’ शब्द प्रथम दृष्टया भ्रष्ट गतिविधियों से निपटने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 पर रोक की समानता में आता है.

नोटिस में राहुल गांधी को याद दिलाया गया है कि धारा 123 की उपधारा (्र्र) के खंड 2 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी उम्मीदवार या निर्वाचक को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित करता है या प्रयास करता है कि वह, या कोई भी व्यक्ति जिसमें वह रुचि रखता है, दैवीय नाराजगी या आध्यात्मिक निंदा का पात्र बन जाएगा या बना जाएगा, उसे ऐसे उम्मीदवार या निर्वाचक के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने वाला माना जाएगा.

राहुल गांधी ने अहमदाबाद में विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार के बाद राजस्थान में एक चुनावी भाषण में मोदी के खिलाफ ‘पनौती’ शब्द का इस्तेमाल किया था. आम तौर पर पनौती शब्द ऐसे व्यक्ति के लिए इंगित किया जाता है जो बुरी किस्मत लाता है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बुधवार को एक चुनावी भाषण के दौरान मोदी पर निशाना साधते हुए ‘जेबकतरे’ वाली टिप्पणी की थी और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान भटकाते हैं जबकि उद्योगपति गौतम अडाणी उनकी (लोगों की) जेब से पैसे निकालते हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि जेबकतरे इसी तरह काम करते हैं. नोटिस में आयोग द्वारा जारी एक सामान्य परामर्श का भी जिक्र किया गया है, जिसमें चुनाव प्रचार के दौरान ‘राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर’ पर चिंता व्यक्त की गई थी.

आयोग ने गांधी को उच्चतम न्यायालय की उस टिप्पणी के बारे में भी बताया जिसमें कहा गया था कि यदि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है, तो प्रतिष्ठा के अधिकार को भी अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित जीवन के अधिकार का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है और ‘इन दो अधिकारों को संतुलित करना एक संवैधानिक आवश्यकता है’.
आयोग ने कहा, ”तदनुसार, आपसे अनुरोध किया जाता है कि आप लगाए गए आरोपों पर अपना स्पष्टीकरण दें और कारण बताएं कि आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता और प्रासंगिक दंड प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए उचित कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए.”

उसने कहा, ”यदि आपके पास कोई जवाब है तो वह 25 नवंबर की शाम छह बजे तक पहुंच जाए. अगर तब तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो आयोग द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी.” विधानसभा चुनावों के मौजूदा दौर में राहुल गांधी को आयोग की ओर से पहली बार नोटिस जारी किया गया जबकि उनकी बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को दो बार नोटिस जारी किया जा चुका है.

बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी पर पुलिस से जवाब तलब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2021 में बलात्कार और हत्या की शिकार दलित लड़की की पहचान उजागर करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को पुलिस को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया.

गांधी पर पीड़िता के माता-पिता के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा कर पीड़िता की पहचान उजागर करने का आरोप है. याचिकाकर्ता मकरंद सुरेश म्हादलेकर के वकील ने दलील दी कि गांधी ने गंभीर अपराध किया है लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के वकील ने कहा कि यौन अपराधों के नाबालिग पीड़ितों की पहचान छुपाने वाले कानून में किसी तरह की छूट नहीं है और पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पुलिस के जवाब दाखिल करने के बाद कार्यवाही आगे बढ़ेगी. पीठ ने दिल्ली पुलिस से 10 दिनों में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध की. गांधी की ओर से पेश वकील तरन्नुम चीमा ने कहा कि जनहित याचिका पर कांग्रेस नेता को अभी तक कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया है. सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के वकील ने कहा कि संबंधित पोस्ट के बाद गांधी का अकाउंट अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और बाद में पोस्ट को भी हटा दिया गया था.

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया मंच गांधी को बचाने की कोशिश कर रहा है और पोस्ट को केवल भारत में हटाया गया है. वर्ष 2021 में, सामाजिक कार्यकर्ता म्हादलेकर ने नाबालिग दलित लड़की की पहचान कथित तौर पर उजागर करने के लिए गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.

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