
नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक वैश्विक प्रशासन ढांचे की वकालत की. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, जयशंकर ने एआई के जिम्मेदार उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया और तर्क दिया कि भारत जैसे देश के लिए इसका अर्थ स्वदेशी उपकरणों का विकास, नवप्रवर्तकों के लिए स्व-मूल्यांकन प्रोटोकॉल और प्रासंगिक दिशानिर्देश स्थापित करना है.
उन्होंने कहा, “अब, विभिन्न समाजों ने एआई के लाभों और जोखिमों पर अलग-अलग स्तर पर ज.ोर दिया है. ज.ाहिर है, कुछ विमर्श उन लोगों से प्रभावित हैं जो इस खेल में शामिल हैं.” विदेश मंत्री ने कहा, “लेकिन अंतत? यह जरूरी है कि हम एक संतुलित और गंभीर दृष्टिकोण अपनाएं. आख.रिकार, पूर्वाग्रह, नैतिकता, गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएं वाजिब हैं, जो पहले से मौजूद अनुभवों से उपजी हैं.” विदेश मंत्री ने “हमारे दैनिक जीवन को आधार प्रदान करने वाली संस्थाओं और प्रथाओं में विश्वास खोने के खतरे” के प्रति एहतियात बरतने का आह्वान किया.
जयशंकर ने कहा कि भारत ने लगातार “वैश्विक एआई प्रबंधन” और एक अंतरराष्ट्रीय एजेंडा तैयार करने की वकालत की है. उन्होंने कहा, “हमने जी20 की अध्यक्षता के समय इसका प्रदर्शन किया और विश्वास, सुरक्षा, निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए इसके उपयोग पर ज.ोर दिया है.” जयशंकर ने कहा, “एआई पर वैश्विक साझेदारी के संस्थापक सदस्य के रूप में, हमने नयी दिल्ली घोषणा पत्र को बढ़ावा दिया, जिसमें जिम्मेदार और समावेशी एआई की परिकल्पना की गई थी.”