उभरते विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करें, रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव के लिए ज्ञान का विस्तार करें: मोदी

नागपुर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अगले 25 वर्षों के लिए विज्ञान के दृष्टिकोण को रेखांकित किया और शोधकर्ताओं से देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए अपने ज्ञान का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया.

मोदी ने यहां 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने, क्वांटम प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, नए टीकों के विकास जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने, नई बीमारियों के लिए निगरानी के प्रयासों को तेज करने और युवाओं को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘विज्ञान के प्रयास, बड़ी उपलब्धियों में तभी बदल सकते हैं जब वह प्रयोगशाला से निकलकर जमीन तक पहुंचें. जब उसका प्रभाव ग्लोबल से लेकर ग्रासरूट तक हो, जब उसका विस्तार जर्नल्स से लेकर जमीन तक हो, जब उससे बदलाव रिसर्च से होते हुए रियल लाइफ में दिखने लगे.’’ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और जितेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में यहां राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया गया.

प्रधानमंत्री ने एक संस्थागत ढांचा और गुरु-शिष्य प्रणाली बनाने की जोरदार वकालत की जो युवाओं को विज्ञान की ओर आर्किषत करने के लिए प्रतिभा खोज और हैकाथन की सफलताओं का निर्माण कर सके. प्रधानमंत्री ने अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुड़कर निजी कंपनियों और स्टार्टअप के लिए अवसरों पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने शोधकर्ताओं से क्वांटम कंप्यूंिटग पर ध्यान केंद्रित करने और इस क्षेत्र में अग्रणी होकर उभरने का आग्रह किया. इस अवसर पर अपने सम्­बोधन में मोदी ने कहा कि भारत को अगले 25 वर्ष में नयी ऊंचाइयां हासिल करनी है और इस कार्य में देश के वैज्ञानिक समुदाय को महत्­वपूर्ण भूमिका निभानी है.

उन्­होंने कहा, ‘‘विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने दुनिया के 10 शीर्ष देशों में अपना स्­थान बनाया है. वर्ष 2015 तक वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत का 81वां स्­थान था और वर्ष 2022 में बढ़कर 40वां स्­थान हो गया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएचडी और स्­टार्टअप की व्­यवस्­था में भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल है.

उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय का आ’’ान किया कि वे उन विषयों पर कार्य करें, जो सम्­पूर्ण मानवता और भारत की बढ़ती जरूरतों के लिए महत्­वपूर्ण हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि वैज्ञानिक समुदाय ऊर्जा आवश्­कताओं के क्षेत्र में नवाचार के लिए काम करता है तो इससे देश को मदद मिलेगी. मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत के पास डाटा और प्रौद्योगिकी बहुतायत में हैं और इन दोनों में भारत के विज्ञान को बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है.

मोदी ने कहा कि भारत में विज्ञान भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाला होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी में हमारे पास दो चीजें बहुतायत में हैं, पहली डाटा और दूसरी प्रौद्योगिकी. इन दोनों में भारत के विज्ञान को बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है. अगले 25 वर्षों में भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसमें भारत की वैज्ञानिक शक्ति की बड़ी भूमिका है.’’ उन्होंने कहा कि आज देश की सोच केवल यह नहीं है कि विज्ञान के जरिए महिला सशक्तिकरण करें बल्कि महिलाओं की भागीदारी से विज्ञान का भी सशक्तिकरण करें. इस वर्ष के आईएससी का मुख्य विषय ‘‘महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी’’ है.

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