महंगाई पर काबू के लिए सरकार भी समान रूप से गंभीर : शक्तिकांत दास
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा ‘समन्वित रुख’ अख्तियार किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक के साथ सरकार भी ’समान रूप से गंभीर’ है.
रिजर्व बैंक कुछ सप्ताह पहले ही सरकार को लिखित रूप से मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में लाने से चूकने की वजह बताई है. इसके बाद अब गवर्नर का यह बयान आया है. दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि महंगाई पर काबू के लिए केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच ‘समन्वित रुख’ अपनाया गया है.
उन्होंने दोनों द्वारा महंगाई पर अंकुश के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए यह बात कही.
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर नीतिगत दर, मौद्रिक समीक्षा और तरलता जैसे उपाय किए हैं वहीं सरकार ने आपूर्ति पक्ष के कदम उठाए हैं. इनमें पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती, आयातित खाद्य सामान पर शुल्कों में कटौती जैसे कदम शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार भी महंगाई को लेकर समान रूप से गंभीर है.
दास ने कहा, ‘‘हर कोई महंगाई को नीचे लाना चाहता है. मुझे विश्वास है कि सरकार भी महंगाई पर काबू चाहती है.’’ दास ने 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले फरवरी, 2023 के सरकार के आखिरी पूर्ण बजट संबंधी सवाल पर कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए है.
दास ने दो नवंबर को कहा था कि रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति पर ‘अर्जुन की आंख’ की तरह नजर है. अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए उन्होंने कहा कि अर्जुन की नजर मुद्रास्फीति और महंगाई पर है. नवंबर में करीब 10 माह बाद मुद्रास्फीति पहली बार छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से नीचे आई है. चुनाव संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि राज्यों के चुनावों को भी देखा जाए, तो यह पूरे साल भर चलता है.
बुनियादी आर्थिक गतिविधि मजबूत लेकिन बाहरी कारक विकास के लिए अवरोधक होंगे: दास
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि भारत में बुनियादी आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, लेकिन बाहरी कारकों से अर्थव्यवस्था को कुछ ‘नुकसान’ होगा. दास ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022’ में कहा कि आरबीआई 70 तेजी से बढ़ने वाले संकेतकों पर नजर रखता है और उनमें से ज्यादातर ‘अच्छी स्थिति ‘ में हैं.
उन्होंने कहा कि ये बाहरी कारक है, जो दुनिया के एक बड़े हिस्से में मंदी के डर से प्रेरित है, जहां चुनौतियां हैं.’’ उन्होंने कहा कि बाहरी मांग का प्रभाव अर्थव्यवस्था को ‘प्रभावित’ करेगा. केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया. दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र लचीला बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है.
उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए नियामक और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों, दोनों का श्रेय है. दास ने कहा कि मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति और विकास पर घरेलू कारकों द्वारा निर्देशित होती रहेगी. इसके अलावा यह अमेरिकी फेडरल बैंक की कार्रवाई जैसी अन्य इनपुट को भी ध्यान में रखता है.