राज्यपाल को अपने अपेक्षित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए : मान

चंडीगढ़. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि राज्यपाल को अपने अपेक्षित कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. इससे कुछ ही घंटे पहले उच्चतम न्यायालय ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति नहीं देने के लिए राज्यपाल को आड़े हाथ लिया था.

उच्चतम न्यायालय ने विधेयकों पर सहमति को लेकर पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध को ‘गंभीर चिंता’ का मामला बताया और कहा कि राज्य में जो कुछ हो रहा है, उससे वह खुश नहीं है. राज्य के विभिन्न विभागों में नई र्भितयों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद यहां संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत के दौरान मान से शीर्ष अदालत की टिप्पणियों पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था.

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित का जिक्र करते हुए मान ने कहा, ”हम किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, हम संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं. हम जीतने या हारने के लिए कोई खेल नहीं खेल रहे हैं और हमारे लिये यह जीत या हार का मामला नहीं है.” मान ने कहा, ”लेकिन कानून के तहत हमारे कर्तव्य क्या हैं और उसके तहत मुझे जो करना चाहिए, मैं वह कर रहा हूं. इसी तरह, राज्यपाल के कर्तव्य क्या हैं, उन्हें भी उनका निर्वहन करना चाहिए.” इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शीर्ष अदालत ने जो कहा है उस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “माननीय उच्चतम न्यायालय ने जो कहा है, मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं… मैं कह रहा हूं कि मामला इतना आगे नहीं बढ़ना चाहिए था.” मान ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह राज्य के हित में है कि ‘मुख्यमत्री आवास और राजभवन’ के बीच अच्छे संबंध हों.” उन्होंने कहा, ”शीर्ष अदालत ने पहले भी देखा था कि जब सरकार ने अदालत का रुख किया तो राज्यपाल ने प्रतिक्रिया क्यों दी, फिर वह विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के लिए क्यों तैयार हो गये.” मान ने कहा कि वह राज्यपाल का सम्मान करते हैं और सुझाव देते हैं कि उन्हें अच्छी कानूनी सलाह लेनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ”मैं राज्यपाल का सम्मान करता हूं, वह एक बुजुर्ग हैं… मेरा मुद्दा यह नहीं है कि शीर्ष अदालत ने उनके बारे में क्या टिप्पणी की हैं. मेरे मन में उनके प्रति जो सम्मान है, वह वैसा ही रहेगा.” मान ने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री राज्य चलाता है, इसलिए विधायी कार्य करना उसका कर्तव्य है. उन्होंने कहा, “इसके लिए मैं लोगों के प्रति जवाबदेह हूं. लोगों ने हमें पांच साल के लिए चुना है, हमें विधेयक, धन विधेयक पारित करना है. इसलिए, यह राज्यपाल का कर्तव्य है कि वह विधेयकों पर हस्ताक्षर करें ताकि ये अधिनियम बन सकें.”

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