हरिद्वार धर्म संसद मामला: न्यायालय ने त्यागी को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी

नयी दिल्ली.उच्चतम न्यायालय ने हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी को स्वास्थ्य आधार पर मंगलवार को तीन महीने की अंतरिम जमानत दे दी. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने जितेंद्र नारायण त्यागी को नफरत फैलाने वाला भाषण नहीं देने का और इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी नहीं करने का वादा करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया. त्यागी का नाम पहले वसीम रिजवी था.

पीठ ने कहा, ‘‘योग्य वकीलों की दलील सुनने के बाद और याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य संबंधी स्थिति पर विचार करते हुए हम उन्हें अंतरिम जमानत देना उचित समझते हैं. उन्हें हलफनामा जमा करना होगा कि वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सोशल मीडिया पर बयान नहीं देंगे और आगे इस तरह की किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हलफनामा जमा करने पर और निचली अदालत को संतुष्ट करने वाली शर्तों का पालन करने पर याचिकाकर्ता को तीन महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत पर छोड़ा जाएगा.’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतरिम जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर प्रतिवादियों को अंतरिम जमानत निरस्त करने के लिए आवेदन दाखिल करने की स्वतंत्रता होगी.

शीर्ष अदालत अब मामले में 29 अगस्त को सुनवाई करेगी. उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस साल मार्च में त्यागी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया था. हरिद्वार कोतवाली के अंतर्गत ज्वालापुर के निवासी नदीम अली द्वारा दो जनवरी 2022 को की गई शिकायत के आधार पर त्यागी तथा अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक हिंदू संतों द्वारा हरिद्वार में धर्म संसद या धार्मिक संसद का आयोजन किया गया और इसकी आड़ में वहां आए लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया गया. शिकायत में दावा किया गया कि पवित्र कुरान और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि ये भड़काऊ बयान बाद में सोशल मीडिया पर देखे गये.

अली ने आरोप लगाया कि वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरंिसहानंद और अन्य लोगों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर डाला. प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि प्रबोधानंद गिरि ने हरिद्वार की मस्जिदों में रहने वाले लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाने का प्रयास किया.

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