
रायपुर. छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश में जिस मुठभेड़ में नक्सली कमांडर माडवी हिडमा मारा गया वह फर्जी थी और उसके पीछे बड़े माओवादी नेता देवजी की भूमिका है. पुलिस के मुताबिक 18 नवंबर की सुबह पड़ोसी आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली के जंगल में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में हिडमा (51), उसकी पत्नी मडकम राजे और चार अन्य नक्सली मारे गए.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक कुंजाम अब अपने संगठन ‘बस्तरिया राज मोर्चा’ का नेतृत्व करते हैं. उन्होंने दावा किया कि देवजी ने फायदा उठाने और खुद को बचाने के लिए हिडमा की मौत की साजिश रची. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कुंजाम ने आरोप लगाया कि हिडमा को जिंदा पकड़ा गया और फिर मार दिया गया. उन्होंने दावा किया कि मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी थी.
कुंजाम ने कहा, ”हिडमा की मौत के दो दिन बाद, आंध्र प्रदेश में 50 लोग (नक्सली) गिरफ्तार हुए थे. क्या 50 लोग गिरफ्तार होने के लिए वहां जाएंगे? उनमें से अधिकतर स्थानीय लड़के हैं और सुकमा तथा बीजापुर (दक्षिण बस्तर) से हैं.” उन्होंने दावा किया कि ह्लसारा खेलह्व देवजी ने रचा था जो नक्सलियों का एक बड़ा नेता है.
कुंजाम ने कहा ”देवजी उन सभी को आत्मसमर्पण करवाने के बहाने आंध्र प्रदेश ले गया तथा अपनी छवि सुधारने तथा राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उनका इस्तेमाल किया.” उन्होंने कहा, ”अखबारों में हिडमा को सभी बड़ी (नक्सली) घटनाओं का सूत्रधार बताया गया है, जबकि आंध्र प्रदेश से आए पढ़े-लिखे लोगों का क्या (जो माओवादी के तौर पर सक्रिय थे), क्या वे सिर्फ घास छील रहे थे? उन्होंने सारा इल्जाम हिडमा पर डाल दिया. उन्होंने उसे मरवा दिया और बाकी को गिरफ्तार करा दिया.” कुंजाम ने आरोप लगाया कि देवजी न तो गिरफ्तार हुआ है और न ही मारा गया है, वह आंध्र प्रदेश सरकार के मेहमान के तौर पर आराम से कहीं बैठा है.
उन्होंने आंध्र प्रदेश के नक्सली नेताओं पर बस्तर के आदिवासी युवाओं को हथियारबंद आंदोलन के लिए ‘हथियार देने और उकसाने’ का भी आरोप लगाया.कुंजाम ने कहा, ”मैं (माओवादी नेताओं) हिर्रा, सुकमा में देवा और दूसरों से आत्मसमर्पण करने की अपील करना चाहता हूं. आंध्र या तेलंगाना जाने की कोई जरूरत नहीं है. अगर जरूरत पड़ी तो मैं उन्हें वापस लाने और आत्मसमर्पण कराने में उनकी मदद करने जाऊंगा.” आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस ने कहा है कि कुछ लोग गलत जानकारी फैलाने की कोशिश कर रहे है.
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ”आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे अल्लूरी सीतारामराजू जिले में पुलिस और सुरक्षाबलों के हालिया संयुक्त अभियान ने माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका दिया है. कुछ सबसे हिंसक और खूंखार माओवादियों के मारे जाने से प्रतिबंधित माओवादी संगठन की ताकत कमजोर हो गई है और पूरे बस्तर में सुरक्षा तथा लोगों का भरोसा बढ़ा है.” सुंदरराज ने कहा कि कुछ लोगों की गलत जानकारी फैलाने की कोशिश इस बात को छिपा नहीं सकती कि यह अभियान वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम मोड़ है.
उन्होंने कहा कि बस्तर में सुधार और पुनर्वास का रास्ता हर माओवादी कैडर के लिए खुला है, चाहे उसका रैंक कुछ भी हो. पुलिस अधिकारी ने कहा, ”चाहे वह बरसे देवा हो, पापा राव, देवजी, एर्रा, केसा, या कोई और, यह हिंसा छोड़कर शांतिपूर्ण, सम्मान पूर्वक ज.दिंगी जीने का समय है.” उन्होंने आगे कहा, ”वे पुलिस, जिला प्रशासन, सुरक्षा बलों, गांव के बुजुर्गों, मीडिया, जन प्रतिनिधियों या किसी भी भरोसेमंद स्थानीय निवासी से संपर्क कर सकते हैं. मदद हर जगह उपलब्ध है.”
जनवरी 2024 से छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में 450 से अधिक माओवादी मारे गए हैं, जिनमें कई केंद्रीय समिति के सदस्य और महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू जैसे बड़े नेता शामिल हैं. पिछले महीने केंद्रीय समिति के सदस्य रूपेश समेत लगभग 300 नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण किया, जबकि नक्सली नेता मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति और 60 दूसरे नक्सलियों ने पड़ोसी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में हथियार डाल दिए.



