केंद्र पर निर्भर करता है कि हमारा धरना कब तक जारी रहेगा: किसान नेता
केंद्र सरकार निरस्त किए गए कृषि कानूनों को 'वापस लाने' की कोशिश कर रही है: पंजाब के मुख्यमंत्री मान
चंडीगढ़. किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह केंद्र के हाथ में है कि उनका विरोध कब तक जारी रहेगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी मांगों को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि एक संसदीय समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने की सिफारिश की है.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के 38वें दिन कोहाड़ ने कहा कि उनका स्वास्थ्य हर रोज बिगड़ता जा रहा है और उन्होंने किसानों के हित के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया है. यह पूछे जाने पर कि खनौरी और शंभू बॉर्डर पर उनका विरोध कब तक जारी रहेगा, कोहाड़ ने संवाददाताओं से कहा, ”यह केंद्र के हाथ में है. अगर वे हमारी मांगें पूरी करते हैं….” उच्चतम न्यायालय द्वारा बृहस्पतिवार को यह कहे जाने पर कि कुछ किसान नेता जमीनी स्तर पर स्थिति को और अधिक जटिल बनाने के लिए मीडिया में गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, कोहाड़ ने कहा कि उन्होंने अभी अदालत की टिप्पणियों का अवलोकन नहीं किया है.
उन्होंने खनौरी में कहा, ”आज की कार्यवाही का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है….” हालांकि, कोहाड़ ने कहा कि किसान नेता केवल डल्लेवाल की भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं कि केंद्र को किसानों से किए गए वादे पूरे करने चाहिए. उन्होंने कहा, ”हम हमेशा संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करते हैं.” हाल की एक घटना का जिक्र करते हुए कोहाड़ ने कहा कि डल्लेवाल ने अपने गंभीर स्वास्थ्य और कुछ मिनटों के लिए बेहोश होने के बावजूद किसानों के मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की कार्यवाही में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़ने की पेशकश की.
उन्होंने कहा, ”हमने केवल इतना कहा है कि उच्चतम न्यायालय को केंद्र को निर्देश देना चाहिए कि जब एक संसदीय समिति ने भी एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की सिफारिश की है, तो केंद्र सरकार को इसे लागू करना चाहिए.” कोहाड़ ने कहा, ”हम चाहते हैं कि किसानों से किए गए वादे पूरे हों.” संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं.
कोहाड़ ने कहा, ”डल्लेवाल जी के अनशन का 38वां दिन है. एक वरिष्ठ नेता ने अपना जीवन दांव पर लगा दिया है. 4 जनवरी को किसानों के ‘दर्शन’ की उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए खनौरी में किसानों की एक बड़ी सभा बुलाई गई है जिसमें वह एक महत्वपूर्ण संदेश देंगे.” यह पूछे जाने पर कि क्या डल्लेवाल चिकित्सा सहायता लेंगे, कोहाड़ ने कहा कि ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है कि उन्हें ‘ड्रिप’ लगाई जाएगी.
केंद्र सरकार निरस्त किए गए कृषि कानूनों को ‘वापस लाने’ की कोशिश कर रही है: पंजाब के मुख्यमंत्री मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के नए घोषित मसौदे का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि केंद्र अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों को “वापस लाने” की कोशिश कर रहा है. आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने नव घोषित मसौदा नीति को 2020 में पारित तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को “पिछले दरवाजे से” फिर से लागू करने का प्रयास करार दिया है. किसानों के एक साल के लंबे विरोध के बाद केंद्र ने इन कानूनों को निरस्त कर दिया था. यहां पत्रकारों से बात करते हुए मान ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें केंद्र सरकार से संबंधित हैं, जिसे किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए.
मान ने कहा, “किसानों की सभी मांगें केंद्र से संबंधित हैं, चाहे वे शंभू और खनौरी सीमाओं पर चल रहे आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दो मंचों से हों या अन्य किसान संघों से. किसान संघ अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मांगें एक हैं.” उन्होंने पूछा, “केंद्र किसानों को बातचीत के लिए क्यों नहीं आमंत्रित करता है?” संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली कूच को रोके जाने के बाद 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.