अगर कोई भारत पर बुरी नजर डालेगा तो सशस्त्र बल मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार: राजनाथ

हमें रक्षा क्षेत्र में भारत की क्षमताओं पर भरोसा है, पिछली सरकारें संशय में थीं: राजनाथ

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर कोई भारत पर बुरी नजर डालता है तो सशस्त्र बल अच्छी तरह से सुसज्जित, सक्षम और मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ करीब चार साल से सीमा विवाद और चीनी सेना के हिंद महासागर में प्रवेश को लेकर चिंताओं की पृष्ठभूमि में उनका यह बयान आया है.

सिंह ने कहा कि देश की रक्षा प्रणाली लोगों के दृष्टिकोण के अनुरूप सरकार द्वारा ”एक नयी ऊर्जा से प्रेरित है” और इसके परिणामस्वरूप भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना के साथ वैश्विक मंच पर शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है. एनडीटीवी द्वारा आयोजित ‘डिफेंस समिट’ में उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रक्षा तंत्र आज पहले से कहीं अधिक मजबूत है क्योंकि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे ”भारतीयता की भावना” के साथ मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

उन्होंने नजरिया को वर्तमान और पिछली सरकार के बीच प्रमुख अंतर बताया और कहा कि मौजूदा सरकार भारत के लोगों की क्षमताओं में दृढ़ता से विश्वास करती है, जबकि पहले सत्ता में रहने वाले लोग उनकी क्षमता के बारे में कुछ हद तक सशंकित थे. सिंह ने कहा, ”केंद्र में शक्तिशाली नेतृत्व के कारण आज हमारी सेनाओं में दृढ़ इच्छाशक्ति है. हम सैनिकों का मनोबल ऊंचा रखने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं.”

भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर साढ़े तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है. सिंह ने रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने को सरकार द्वारा लाया गया सबसे बड़ा बदलाव बताया और कहा कि यह भारत के रक्षा क्षेत्र को एक नया आकार दे रहा है.

उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए विभिन्न उपायों को भी रेखांकित किया, जिनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना, घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत खरीद बजट का 75 प्रतिशत आरक्षित करना और आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण करना शामिल है.

उन्होंने कहा, ”वार्षिक रक्षा उत्पादन, जो 2014 में लगभग 40,000 करोड़ रुपये था, अब रिकॉर्ड 1.10 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है.” उन्होंने कहा, ”नौ-दस साल पहले रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये था जो आज बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. हमने 2028-29 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है.” रक्षा मंत्री ने कहा कि जब प्रौद्योगिकी की बात आती है, तो विकासशील देशों के पास दो विकल्प-नवाचार और अनुकरण- होते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार देश को अनुकरण करने वाला बनाने के बजाय प्रौद्योगिकी निर्माता बनाने पर विशेष जोर दे रही है.

उन्होंने कहा, ”अगर कोई देश दूसरे देशों की तकनीक की नकल करता है, तब भी वह पुरानी तकनीक से आगे बढ़ता है, लेकिन समस्या यह है कि वह नकल का और दोयम दर्जे की तकनीक का आदी हो जाता है.” उन्होंने कहा कि यह उन्हें एक विकसित देश से 20-30 साल पीछे रहने के लिए मजबूर करता है.

हमें रक्षा क्षेत्र में भारत की क्षमताओं पर भरोसा है, पिछली सरकारें संशय में थीं: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार रक्षा क्षेत्र में ”भारत और भारतीयों की क्षमताओं में विश्वास करती है”, जबकि पिछली सरकारें कुछ हद तक अपनी क्षमताओं को लेकर ”संशय” में थीं. रक्षा मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह भी कहा कि अगर किसी सरकारी योजना पर मीडिया की ओर से कोई आलोचना होती है तो ”हम उसे स्वीकार करते हैं और उसके अनुरूप बदलाव लाने का प्रयास करते हैं”.

‘एनडीटीवी डिफेंस समिट’ में सिंह ने कहा, ”जब 2014 में मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, तो हमने रक्षा क्षेत्र को अपनी मुख्य प्राथमिकताओं में से एक बनाया.” उन्होंने कहा, ”हमने रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम उठाया. सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) की स्थापना से लेकर सीडीएस (प्रमुख रक्षा अध्यक्ष) पद के गठन तक, भारत में हथियारों के विनिर्माण के लिए सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी करना…वे स्वाभाविक रूप से इसे (रक्षा क्षेत्र को) मजबूत करते हैं.”

सिंह ने कहा, ”रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ.ाने, सैन्य आधुनिकीकरण और भारत के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के प्रयास को लेकर मैं हमारी सरकार की वैचारिक प्रतिबद्धता को प्रासंगिक बनाने का प्रयास करूंगा.” रक्षा मंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद जब ”हम कहते हैं कि हम सैन्य आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तो मेरा इरादा निश्चित रूप से यह कहने का नहीं है कि पिछली सरकारों ने रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने पर ध्यान नहीं दिया.”

रक्षा मंत्री ने कहा, ”पिछली सरकारों ने भी अपने तरीके से ध्यान केंद्रित किया और रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के प्रयास किए. लेकिन उनमें और हमारे बीच एक बड़ा अंतर है. और, वह अंतर नजरिया का है.” सिंह ने कहा, ”रक्षा क्षेत्र के लिए हमारा दृष्टिकोण भारत की क्षमताओं पर विश्वास करना है. पुरानी सरकारों का नजरिया एक तरह से संशय वाला था. शायद वे भारत की क्षमताओं पर उतना विश्वास नहीं करते थे, जितना हमारी सरकार भारत और भारतीयों की क्षमताओं में विश्वास करती है.”

अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ”हमारी सरकार” भारतीय उद्योग और भारतीय युवाओं में विश्वास करती है तथा भारत में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में आत्मनिर्भर भारत की व्यापक दृष्टि के अनुरूप काम करने वाली भारतीय कॉरपोरेट फर्म और डीपीएसयू पर विश्वास करती है. उन्होंने कहा, ”अगर हमारे युवा एक कदम बढ.ाएंगे, तो सरकार 100 कदम बढ.ाएगी और अगर वे 100 कदम बढ.ाएंगे, तो हम 1,000 कदम आगे बढ.ेंगे, यही हमारा संकल्प है.”

आपातकाल के काले दौर के अलावा, किसी भी सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि आपातकाल के ”काले अध्याय” को छोड़ दें तो भारत के लोकतंत्र के इतिहास में प्रेस की स्वतंत्रता पर ”कभी कोई प्रतिबंध देखने को नहीं मिलेगा.” रक्षा मंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि जिन मुद्दों पर ”सामाजिक सहमति” है, सरकार के विचार मीडिया और लेखकों और विचारकों की राय में प्रतिबिंबित हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे ”सरकार की कठपुतली” हैं.

सिंह ने यहां ‘एनडीटीवी डिफेंस समिट’ में अपने संबोधन में कहा कि मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि यह सरकार और लोगों के बीच ”एक कड़ी के रूप में काम करता है” और वे दोनों एक-दूसरे से जुड़ते हैं. उन्होंने कहा, ”आजादी के बाद से कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों ने नियमित रूप से प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर दिया है और मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखा है.” सिंह ने कहा कि इसका परिणाम यह है कि भारत में एक ”जीवंत मीडिया संस्कृति” है.

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने बिना किसी राजनीतिक दल या नेता का नाम लिए 1970 के दशक में लगाए गए आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ”इस देश के लोकतंत्र के इतिहास में अगर हम आपातकाल के काले अध्याय को अलग रख दें तो प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी कोई प्रतिबंध देखने को नहीं मिलेगा.” उन्होंने कहा, ”लेख प्रकाशित होने से पहले पढ़े जाते थे, सुर्खियां एक पार्टी के मुख्यालय से निर्धारित की जाती थीं. सरकार का विरोध करने पर पत्रकारों को जेल भी भेजा जाता था. मैं खुद आपातकाल के दौरान जेल में रहा हूं. कई पत्रकारों को जेल भेजा गया और उन्हें परेशान किया गया.”

उन्होंने कहा, ”अगर हम (आपातकाल के) उस काले दौर को छोड़ दें, तो चाहे हमारी सरकार हो या किसी अन्य पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारें, सभी ने प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखा है.” रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि पिछले कुछ समय से यह आरोप लग रहे हैं कि मीडिया का एक वर्ग आज ”निष्पक्ष नहीं” है और ”सरकार का पक्ष ले रहा है” तथा ”सरकार की भाषा” बोल रहा है. उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि ये सभी आरोप निराधार हैं. फिर भी, मैं कहना चाहूंगा कि सरकार और मीडिया संस्थान समाज के हिस्से हैं.” सिंह ने कहा कि जिन मुद्दों पर सामाजिक सहमति होती है, उन पर सरकार के विचार मीडिया में प्रतिबिंबित होते हैं.

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