आज विधेयक पारित हुआ तो 2029 में लोकसभा में 33 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होंगी : नड्डा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण के प्रावधान वाला संविधान संशोधन विधेयक यदि आज संसद से पारित हो जाता है तो 2029 में लोकसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं की मौजूदगी सुनिश्चित हो जाएगी.
राज्यसभा में ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए नड्डा ने कहा कि महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने की खातिर केंद्र सरकार ने जो रास्ता चुना है, वह सबसे छोटा और सही रास्ता है. उन्होंने कहा, ”हम यह मानते हैं कि आज अगर यह विधेयक पारित करते हैं तो 2029 में 33 प्रतिशत महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी. यह बात पक्की है.” विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक को अभी लागू किए जाने की मांग का उल्लेख करते हुए नड्डा ने कहा कि कुछ संवैधानिक व्यवस्थाएं होती हैं और सरकारों को संवैधानिक तरीके से काम करना होता है.
उन्होंने कहा कि इसके लिए दो चीजें आवश्यक हैं, पहला, जनगणना और फिर न्यायिक निकाय के माध्यम से जन सुनवाई.
उन्होंने कहा, ”सीट निकाली जाए, नंबर निकाला जाए और उसको निकालने के बाद आगे बढ.ा जाए.” उन्होंने कहा, ”आखिर हमें महिलाओं को आरक्षण मुहैया कराना है. किस सीट पर उन्हें आरक्षण मिले, किस सीट पर ना मिले, इसका फैसला कौन करेगा? इसका फैसला सरकार नहीं कर सकती है. यह फैसला एक न्यायिक निकाय करता है. उसका गठन करना होता है.”
उन्होंने कहा, ”यही एकमात्र तरीका है और यही सबसे छोटा तरीका भी है, यही सबसे सटीक तरीका भी है, जिस पर आगे बढ.ने की आवश्यकता है.” कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, ”मैं सरकार में हूं और वायनाड को आरक्षित कर दूं तो? अगर मैं अमेठी को आरक्षित कर दूं तो? अगर मैं रायबरेली को कर दूं तो? कलबुर्गी को कर दूं तो.” उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट पर गांधी परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है. वायनाड से अभी राहुल गांधी सांसद हैं. इससे पहले वह अमेठी का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं.
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने वर्ष 2029 में प्रस्तावित कानून के लागू होने के नड्डा के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार चाहे तो इसे अभी लागू कर सकती है. उन्होंने हवाला दिया कि पंचायत कानून और जिला पंचायत कानून के तहत जब आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है तो इस मामले में क्यों नहीं.
उन्होंने सरकार को सुझाव दिया, ”कल करे सो आज कर और आज करे सो अब.” नड्डा ने सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ तीन के ओबीसी समुदाय से संबंधित होने संबंधी दावे के लिए राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि आज जो अधिकारी सचिव बने हैं, वह 1990 के करीब भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए होंगे.
उन्होंने कांग्रेस पर काका कालेलकर रिपोर्ट और मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी को यह बताना चाहिए कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच केंद्र में ओबीसी समुदाय के कितने सचिव थे. लोकसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके जितने सांसद हैं उनसे ज्यादा तो भाजपा के ओबीसी सांसद हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बहुत सोच-समझकर यह विधेयक तैयार किया है क्योंकि देखा गया है कि पूर्व की सरकारों ने भी कोशिश की लेकिन वह विफल रही. उन्होंने कहा कि लंबे समय से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अनुच्छेद 370 निरस्त करने का मुद्ददा भाजपा के हर घोषणापत्र में रहा है, उसी प्रकार महिला आरक्षण का मुद्दा भी शामिल रहा है.
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक भाजपा के लिए कभी राजनीति का विषय नहीं रहा बल्कि आस्था का मुद्दा रहा है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक ‘जुमला’ नहीं है जैसा कि कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा. चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा की सरोज पांडे ने कहा कि अमृत काल में एक नयी शुरुआत की है और इस विधेयक के माध्यम से भारत में एक नया सूर्योदय होगा. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पारित होगा और इतिहास बनेगा.
विधेयक को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाने के लिए उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा कि हर जगह राजनीति अनुचित है.
उन्होंने कहा, ”इसका जश्न मनाएं. हर जगह पर राजनीति हो यह ठीक नहीं है. विपक्ष के लोग महिला सशक्तीकरण के विधेयक पर भी राजनीति कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षण का संघर्ष लंबा हो गया है इसलिए जरूरी है कि संविधान प्रदत्त यह विधेयक कानून का स्वरूप ले और महिलाओं का उसका लाभ मिले.
भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो लोग जल्दबाजी में महिला आरक्षण को 2024 के संसदीय चुनाव से ही लागू कराने की बात कर रहे हैं, वही ऐसे कदम के खिलाफ सबसे पहले उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में नरसिंह राव की सरकार ने कार्यपालक आदेश जारी कर ऊंची जाति के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर आरक्षण खारिज कर दिया था.
उन्होंने कहा, ”महिलाओं को आरक्षण देने का फैसला करने और इसे लागू करने में केंद्र सरकार कोई वैधानिक त्रुटि नहीं छोड़ सकती.” भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल पर निशाना साधा जिन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए मणिपुर में महिलाओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था. तिवाड़ी ने कहा कि मूल रूप से केरल के रहने वाले वेणुगोपाल सदन में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं.
भाजपा सदस्य ने कहा कि वेणुगोपाल को अपने प्रदेश के बारे में भी सोचना चाहिए जहां से वह सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि वेणुगोपाल को मणिपुर के साथ ही राजस्थान में महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं का भी उल्लेख करना चाहिए था. तिवाड़ी ने कहा कि नए संसद भवन में प्रवेश के लिए गणेश चतुर्थी एक शुभ दिन था. उन्होंने कहा कि ऋषि पंचमी एक और शुभ दिन था जब महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया.
उन्होंने कहा कि कई सदस्य प्रस्तावित कानून को तुरंत लागू करने की मांग कर रहे हैं लेकिन संसद से पारित कानून के अनुसार परिसीमन 2026 में होना है. भाजपा की कविता पाटीदार, कांता कर्दम, रमिला बेन बेचारभाई बारा, इंदू बाला गोस्वामी, गीता चंद्रप्रभा, सीमा द्विवेदी, सुमित्रा बाल्मीक, दर्शना सिंह, संगीता यादव, कल्पना सैनी और सहित कुछ अन्य सदस्यों ने भी महिला विधेयक का समर्थन किया और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया. महेश जेठमलानी (मनोनीत) के अलावा विवेक ठाकुर, बिप्लब देव, के लक्ष्मण सहित भाजपा के कई पुरुष सदस्यों ने भी विधेयक पर अपना पक्ष रखा और इसका समर्थन किया.