कांग्रेस की पांच ‘गारंटी’ को लागू करने से कर्नाटक के खजाने पर 50,000 करोड़ रुपये का पड़ सकता है भार

बेंगलुरु. कर्नाटक चुनाव से पूर्व कांग्रेस द्वारा किए गए पांच ‘गारंटी’ के वादे को लागू करने से राज्य के खजाने पर हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये का भार पड़ सकता है. कल्याणकारी उपायों पर होने वाले खर्च को लेकर पार्टी के प्रमुख नेताओं ने जोर देकर कहा है कि कोई उन्हें ‘‘मुफ्त उपहार’’ नहीं कह सकता क्योंकि ये सशक्तीकरण के उपकरण हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 10 मई के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत दिलाने में पांच ‘गारंटी’ का खासा योगदान रहा है.

राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीटें अपने नाम कीं, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा नीत जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमश: 66 और 19 सीटें जीतीं.

कांग्रेस ने कर्नाटक में सत्ता में आने के पहले दिन ‘पांच गारंटी’ लागू करने का वादा किया है. इन वादों में सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपये मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार (अन्न भाग्य) के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल, बेरोजगार स्रातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपये (युवा निधि) और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल हैं.

भाजपा के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया है कि इन ‘गारंटी’ का कार्यान्वयन राज्य को वित्तीय दिवालिएपन में धकेल देगा और यह भी दावा किया है कि कांग्रेस अपने चुनाव-पूर्व वादों का पूरी तरह से सम्मान नहीं कर पाएगी. कांग्रेस घोषणापत्र मसौदा समिति के उपाध्यक्ष प्रोफेसर के.ई. राधाकृष्ण ने बुधवार को पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि पांच ‘गारंटी’ योजनाओं के कार्यान्वयन पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च नहीं होगा. राधाकृष्ण ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी इन गारंटी को लागू किए जाने को लेकर संशय जताया है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कुछ नेताओं की भी यह धारणा है लेकिन हम बहुत आश्वस्त हैं क्योंकि मैंने वित्तीय निहितार्थों पर काम किया है. यह 50,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है. यहां तक कि 50,000 करोड़ रुपये भी दान नहीं है. यह सशक्तिकरण है.’’ इन योजनाओं को कैसे लागू किया जाएगा, इसके बारे में विस्तार से बताते हुए शिक्षाविद ने कहा कि कर्नाटक सरकार का कुल बजट लगभग तीन लाख करोड़ रुपये है.

राधाकृष्ण ने कहा कि किसी भी अच्छी अर्थव्यवस्था का कम से कम 60 प्रतिशत राजस्व निरंतर विकास पर खर्च किया जाता है. उन्होंने कहा कि यह सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने और सशक्तिकरण कार्यक्रमों को लागू करने में खर्च होता है.
राधाकृष्ण ने कहा, ‘‘राजस्व पूंजी को स्थानांतरित करता है, पूंजी राजस्व को स्थानांतरित करती है. लिहाजा, तीन लाख करोड़ रुपये के बजट में से 1.50 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो हमारे पास और 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कोष नहीं होगा. ये दोनों चीजें एक-दूसरे से जुड़ी हैं.’’ उन्होंने कहा कि पांच गारंटी में से ‘अन्न भाग्य’ योजना पहले से ही लागू है और नये वादे के तहत इसे विस्तार दिया गया है.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम सात किलोग्राम चावल दे रहे थे. भाजपा ने इसे घटाकर पांच किलोग्राम कर दिया. अब एक बार फिर हम इसे 10 किलोग्राम करना चाहते हैं. हम चावल और मोटा अनाज देने जा रहे हैं, जिससे इसकी खेती और उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा.’’ ‘गृह ज्योति’ के बारे में राधाकृष्ण ने कहा कि कर्नाटक अतिरिक्त बिजली उपलब्धता वाला राज्य है और दूसरे राज्यों को बिजली बेच रहा है.

उन्होंने कहा कि ‘गृह लक्ष्मी’ योजना के तहत 2,000 रुपये की ‘गारंटी’ सभी परिवारों की महिला मुखियाओं के लिए नहीं है. राधाकृष्ण ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘यह केवल गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए है. हम अमीर लोगों को यह राशि नहीं देंगे. यह योजना केवल गरीब लोगों को सशक्त बनाने के लिए है.’’ उन्होंने ‘युवा निधि’ के बारे में कहा कि दुनिया भर में कई देशों में बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है.

महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा से संबंधित ‘शक्ति’ योजना के बारे में उन्होंने कहा कि पहले से ही छात्रों को अपने घर से कॉलेज जाने के लिए मुफ्त ‘पास’ मिल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हर महिला बसों में यात्रा नहीं करती है. केवल वे लोग बसों में यात्रा करते हैं, जो अमीर नहीं हैं. यह (मुफ्त यात्रा गारंटी) कपड़ा श्रमिकों, घरेलू नौकरों और छोटे कामों में लगी महिलाओं को सशक्त बनाएगी.’’

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