भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार एवं प्रतिबद्ध: मोदी

जी7 शिखर सम्मेलन में उपस्थिति विशेष रूप से अहम, क्योंकि भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है: मोदी

नयी दिल्ली.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार एवं प्रतिबद्ध है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य केवल परस्पर सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित हो सकता है.

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध से जुड़े सवालों पर जापानी प्रकाशन निक्की एशिया के साथ एक साक्षात्कार में मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि पड़ोसी मुल्कों के साथ सामान्य द्विपक्षीय रिश्तों के लिए सीमा पर शांति आवश्यक है. उन्होंने कहा, ”भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार और प्रतिबद्ध है.” उन्होंने संप्रभुता, कानून के शासन और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने देश के सम्मान पर जोर दिया.

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य केवल परस्पर सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित हो सकता है. उन्होंने कहा कि संबंधों के ‘सामान्य’ होने से क्षेत्र और दुनिया को लाभ होगा. वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. दोनों पक्ष सीमा पर संकट को कम करने के लिए समय-समय पर बैठकें करते रहे हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है. पाकिस्तान के बारे में अखबार ने उनके हवाले से कहा कि भारत ‘सामान्य और पड़ोसी संबंध’ चाहता है.

उन्होंने कहा, ”हालांकि, यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एक अनुकूल माहौल बनाएं. इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की भी है.” भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ.ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है.

उन्होंने कहा, ”हमारी प्रगति दिख रही है, क्योंकि हम 2014 में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से बढ.कर अब विश्व स्तर पर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं… हालांकि यह सच है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां विकास के लिए चुनौतियां पेश करती हैं, लेकिन हमने हाल के वर्षों में एक मजबूत नींव बनाई है, जो हमें अनुकूल स्थिति में पहुंचाती है.” रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मोदी ने कहा कि इस मामले में भारत का रुख स्पष्ट और अटल है.

उन्होंने कहा, ”भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और मजबूती से वहां रहेगा. हम उन लोगों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करते हैं, खासकर भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ.ती लागतों के सामने. हम रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संवाद बनाए रखते हैं.” उन्होंने निक्की एशिया से कहा, ”आज का समय सहयोग का है संघर्ष का नहीं.” प्रधानमंत्री तीन देशों जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर हैं.

इससे पहले मोदी जी-7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन और क्वाड नेताओं की बैठक में भाग लेने के लिए जापान के हिरोशिमा पहुंचे.
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वह हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों के संदर्भ में ग्लोबल साउथ की आवाज और चिंताओं को आगे बढ.ाएंगे.

ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और आपूर्ति शृंखला जैसे क्षेत्रों में वैश्विक बदलावों और चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ”मैं इन चुनौतियों से निपटने में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में भारत की भूमिका पर जोर दूंगा.” जापान के साथ भारत के संबंधों पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्यों को स्वाभाविक रूप से करीब लाया है.
भारत जी-7 का सदस्य नहीं है. मेजबान और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया है.

उन्होंने कहा, ”अब हम अपने राजनीतिक, रणनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक हितों में बढ.ते कनवर्जेंस को देखते हैं.” सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की लंबी और सतत कोशिश के बीच संयुक्त राष्ट्र सुधार के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने वैश्विक संस्थानों की ‘सीमाओं’ के बारे में बात की और कहा कि वे ‘पुरानी मानसिकता तक ही सीमित’ हैं.

उन्होंने कहा, ”जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, आतंकवाद और वित्तीय संकट जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने में ये कमियां स्पष्ट हो गई हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर हमेशा सवाल उठाया जाएगा अगर यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ-साथ अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे पूरे महाद्वीपों को स्थायी आधार पर प्रतिनिधित्व से वंचित करना जारी रखता है.”

जी7 शिखर सम्मेलन में उपस्थिति विशेष रूप से अहम, क्योंकि भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि जापान में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति विशेष मायने रखती है, क्योंकि भारत इस समय जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है. तीन देशों की छह दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले एक बयान में मोदी ने कहा कि वह जी7 देशों और अन्य आमंत्रित साझेदारों के साथ दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों और उनसे सामूहिक रूप से निपटने की जरूरत पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर उत्सुक हैं.

उन्होंने कहा, ह्लमैं हिरोशिमा जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करूंगा.ह्व मोदी ने कहा कि उन्हें अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा से मिलकर बेहद खुशी होगी.

उन्होंने कहा, ह्लमैं आभारी हूं कि सभी 14 प्रशांत द्वीपीय देशों (पीआईसी) ने इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. एफआईपीआईसी की शुरुआत 2014 में मेरी फिजी यात्रा के दौरान की गई थी. मैं पीआईसी नेताओं के साथ उन मुद्दों पर बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं, जो हमें साथ लाते हैं, जैसे कि जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास, क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण, स्वास्थ्य एवं कल्याण, बुनियादी ढांचा और आर्थिक विकास.ह्व पापुआ न्यू गिनी से ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी रवाना होने से पहले मोदी कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे. उनकी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ भी द्विपक्षीय बैठक होगी.
मोदी ने कहा कि अल्बनीज के साथ बैठक ‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों का जायजा लेने और मार्च में नयी दिल्ली में आयोजित पहले भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन का प्रभाव जानने’ का अवसर होगी.

उन्होंने कहा, ह्लमैं ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) और शीर्ष उद्योगपतियों के साथ संवाद करूंगा और सिडनी में एक विशेष कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुखातिब भी होऊंगा.ह्व प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ह्लयह यात्रा भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगी.ह्व

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