भारत ने सेना को आधुनिक बनाने और रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाए हैं: अमेरिका

वाशिंगटन. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने संसद को बताया कि साल 2023 में भारत ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों का मुकाबला करने की अधिक इच्छाशक्ति प्रर्दिशत करते हुए अपनी सेना के आधुनिकीकरण और रूस के उपकरणों पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाए. रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस ने चीन को लेकर रक्षा खुफिया पर संसद में एक सुनवायी के दौरान यह बात कही थी.

क्रूस ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति और खुफिया उपसमिति के सदस्यों को बताया, ”पिछले वर्ष भारत ने जी-20 के आर्थिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके खुद को एक वैश्विक अगुआ के रूप में प्रर्दिशत किया और पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) की गतिविधि का मुकाबला करने की इच्छाशक्ति प्रर्दिशत की.” उन्होंने कहा कि भारत ने प्रशिक्षण और रक्षा बिक्री के माध्यम से फिलीपीन जैसे दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रीय दावेदारों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी बढ.ायी है और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस व जापान के साथ अपने सहयोग को और मजबूत किया है.

चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं. क्रूस ने कहा, ”वर्ष 2023 में भारत ने चीन से प्रतिस्पर्धा करने और रूसी उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए कदम उठाए. भारत ने स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत का समुद्री परीक्षण किया और प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर कई पश्चिमी देशों के साथ बातचीत भी की है.” भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना तटस्थ रुख बरकरार रखा है.

क्रूस ने कहा कि रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार है और भारत ने अपनी रक्षा खरीद साझेदारी में विविधता लाने की इच्छा के बावजूद रूस से सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली जैसे हथियारों खरीद जारी रखी है. उन्­होंने सांसदों से कहा कि भारत सरकार आगामी लोकसभा चुनाव को सुरक्षित करने, आर्थिक विकास को बनाए रखने और अपनी ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सैन्­य आधुनिकीकरण के लिए तैयार करने पर ध्­यान केंद्रित करेगी जिसका उद्देश्­य चीन का मुकाबला करना है.

भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार : अमेरिका
बाइडन प्रशासन ने जोर देकर कहा है कि भारत, अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और उन्हें उम्मीद है कि यह संबंध भविष्य में भी इसी तरह बरकरार रहेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर भारत में लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय सरकार पर कुछ लेख और आलोचनात्मक राय के परिदृश्य में अमेरिका-भारत संबंधों पर सोमवार को संवाददाताओं द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब दे रहे थे.

मिलर ने भारत में कथित तौर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाये जाने और विपक्षी दलों पर कथित कार्रवाई के संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी हालिया बयानों पर एक सवाल के जवाब में कहा, ”भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यह अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और मुझे उम्मीद है कि आगे भी यह सिलसिला बना रहेगा.” अमेरिकी अधिकारी हाल के दिनों में दोहरा चुके हैं कि भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है तथा दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.

पाकिस्तान ने परमाणु आधुनिकीकरण के प्रयास जारी रखे: शीर्ष अमेरिकी खुफिया अधिकारी
अमेरिका के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने संसद को बताया कि आर्थिक उथल-पुथल के बावजूद पाकिस्तान ने पिछले साल अपने परमाणु आधुनिकीकरण के प्रयासों को जारी रखा और भारत के साथ उसके विवादास्पद संबंध उसकी रक्षा नीति को आगे बढ़ा रहे हैं. सोमवार को चीन के संबंध में हुई बैठक के दौरान रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस ने यह टिप्पणियां कीं.
क्रूस ने सांसदों को बताया कि पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर भारत के साथ अपने विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विभिन्न देशों से समर्थन मांगा है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच नियंत्रण रेखा पर फरवरी 2021 से एक असहज युद्धविराम कायम है. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने आर्थिक उथल-पुथल के बावजूद अपने परमाणु आधुनिकीकरण प्रयासों को जारी रखा है. पिछले साल पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हिंसा में भी वृद्धि हुई.” क्रूस ने शीर्ष अमेरिकी सांसदों को बताया कि भारत के साथ पाकिस्तान के विवादास्पद रिश्ते उसकी रक्षा नीति को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि, फरवरी 2021 में युद्धविराम के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पार हिंसा में कमी आई है.

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