भारत-अमेरिका ने समग्र रक्षा साझेदारी स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षा की फिर पुष्टि की

वाशिंगटन. भारत और अमेरिका ने एक उन्नत एवं समग्र रक्षा साझेदारी स्थापित करने के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं की फिर से पुष्टि की है जिसमें दोनों देशों की सेनाएं सभी क्षेत्रों में साथ मिलकर समन्वय कर सकेंगी. सोमवार को यहां भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के समापन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका के बीच प्रमुख रक्षा साझेदारी में महत्वपूर्ण और निरंतर प्रगति की सराहना की.

बयान में कहा गया कि अक्टूबर 2021 में भारत-अमेरिका रक्षा नीति समूह की बैठक से आगे बढ़ने के क्रम में दोनों देशों ने एक उन्नत और समग्र रक्षा साझेदारी स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षाओं की फिर पुष्टि की जिसमें अमेरिकी और भारतीय सेनाएं सभी क्षेत्रों में साथ मिलकर समन्वय कर सकेंगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2+2 मंत्रिस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जबकि अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आॅस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ंिब्लकन ने किया.

चूंकि सूचना साझा करना भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, मंत्रियों ने एक समग्र ढांचे की स्थापना के महत्व को रेखांकित किया जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं सभी क्षेत्रों में सही समय पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार होंगी. संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच बहुत सार्थक और गहन चर्चा हुई.

सिंह ने कहा, “यह भारत-अमेरिका संबंधों की गति को बनाए रखने और हमारे काम को आगे बढ़ाने में मदद करेगा. हमारे दो महान राष्ट्रों के परस्पर हित हैं और आपसी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साझा इच्छाशक्ति है.”

उन्होंने कहा, “हमने कई द्विपक्षीय, रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. यह जानकर खुशी हुई कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में, उनमें से अधिकतर पर हमारे विचार समान हैं. भारत और अमेरिका दोनों ही एक स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और नियम-आधारित हिन्द-प्रशांत तथा हिन्द महासागर क्षेत्र की साझा दृष्ट रखते हैं.’’ सिंह ने कहा, ‘‘हिन्द-प्रशांत और हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारी साझेदारी महत्वपूर्ण है.’’

बैठक के दौरान सिंह ने कहा कि उन्होंने “हमारे पड़ोस और हिन्द महासागर क्षेत्र की स्थिति के बारे में हमारे आकलन को साझा किया.” रक्षा मंत्री ने कहा कि इस दौरान भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित आतंकवाद के इस्तेमाल का मुद्दा प्रमुखता से उठा. इस दौरान घरेलू क्षमताओं को विकसित करने और विश्वसनीय रक्षा आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करने पर भारत के फोकस पर प्रकाश डाला गया.

मंत्रियों ने कहा कि वे भारत में सह-उत्पादन, सह-विकास, उन्नत प्रणालियों के सहकारी परीक्षण, निवेश प्रोत्साहन और रखरखाव सुविधाओं के विकास पर अपनी-अपनी सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मंत्रियों ने भारत-अमेरिका संयुक्त तकनीकी समूह (जेटीजी) में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग को गहरा करने और अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और साइबर सहित नए रक्षा क्षेत्र विकसित करने के महत्व को भी स्वीकार किया.

उन्होंने अंतरिक्ष में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया और 2022 में एक शुरुआती रक्षा अंतरिक्ष वार्ता आयोजित करने की योजना का स्वागत किया. उन्होंने 2021 में आयोजित दूसरी रक्षा साइबर वार्ता का स्वागत किया और इस वर्ष अगले दौर को लेकर आशान्वित हैं.

मंत्रियों ने नए क्षेत्र में संयुक्त नवाचार और सहयोग के अवसरों का दोहन करने के लिए इस वर्ष एक शुरुआती एआई वार्ता आयोजित करने का निर्णय लिया. मंत्रियों ने अपनी-अपनी सेनाओं के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण के अवसरों पर भी चर्चा की और अमेरिका ने इन उभरते क्षेत्रों में उन्नत पाठ्यक्रमों में भारतीय भागीदारी में वृद्धि का स्वागत किया.

उन्होंने भू-स्थानिक सूचनाओं के आदान-प्रदान का समर्थन करने के लिए बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते (बीईसीए) के पूर्ण कार्यान्वयन की दिशा में हुई प्रगति का भी स्वागत किया.

मंत्रियों ने उल्लेख किया कि सूचना का आदान-प्रदान और एक-दूसरे के सैन्य संगठनों में संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति एकीकृत और बहु-क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करने के लिए सेनाओं के बीच संयुक्त सेवा सहयोग को बढ़ावा देगी.

यह स्वीकार करते हुए कि उनकी नौसेनाएं हिन्द महासागर क्षेत्र और व्यापक हिन्द-प्रशांत में अमेरिका और भारत के साझा हितों को आगे बढ़ाने में एक प्रेरक शक्ति रही हैं, उन्होंने जलक्षेत्र जागरूकता सहित समुद्री सहयोग को और आगे बढ़ाने तथा गहरा करने के अवसरों पर चर्चा की.

अमेरिका ने हिन्द महासागर में बहुपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के लिए एक सहयोगी भागीदार के रूप में संयुक्त समुद्री बल कार्य बल में शामिल होने के भारत के निर्णय का भी स्वागत किया.

मंत्रियों ने 2022 हिन्द-प्रशांत सेना स्वास्थ्य आदान-प्रदान की सराहना की, जिसमें भारत और अमेरिका ने सैन्य चिकित्सा मुद्दों की चुनौतियों और समाधानों पर चर्चा करने के लिए 38 देशों के विशेषज्ञों को एक साथ लाने के लिए सह-मेजबानी की. दोनों पक्ष 2023 में हिन्द-प्रशांत सेना प्रमुखों के सम्मेलन (आईपीएसीसी) और हिन्द-प्रशांत सेना प्रबंधन संगोष्ठी (आईपीएएमएस) की भारत की सह-मेजबानी के लिए तत्पर हैं.

मंत्रियों ने साइबर सुरक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए भारत-अमेरिका साइबर वार्ता और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) कार्य समूह की हालिया और आगामी बैठकों की सराहना की. उन्होंने रैंसमवेयर और अन्य साइबर संबंधी अपराधों की कड़ी ंिनदा की तथा महत्वपूर्ण नेटवर्क और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता को पहचाना.

अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रयासों की अपने देशों की मजबूत परंपरा का उल्लेख करते हुए उन्होंने अंतरिक्ष स्थिति संबंधी जागरूकता पर एक समझौता ज्ञापन के पूरा होने की घोषणा की और द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार करने का संकल्प लिया.

उन्होंने नासा-इसरो ंिसथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) उपग्रह के चल रहे विकास की सराहना की, जिसे 2023 में भारत से प्रक्षेपित करने की योजना है. निसार मिशन जलवायु संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा. मंत्रियों ने 2022 में अगले भारत-अमेरिका नागरिक अंतरिक्ष संयुक्त कार्य समूह बैठक के आयोजन की भी उम्मीद की.

भारत में ‘‘मानवाधिकार उल्लंघन के हाालिया ंिचताजनक घटनाक्रम’’ पर अमेरिका की नजर: ंिब्लकन 
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ंिब्लकन ने कहा है कि अमेरिका भारत में कथित रूप से कुछ सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं में बढ़ोतरी समेत ‘‘हालिया कुछ ंिचताजनक घटनाक्रम’’ पर नजर रख रहा है. ंिब्लकन ने सोमवार को यहां ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन के बाद अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आॅस्टिन और भारतीय समकक्षों विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ ंिसह के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की.

ंिब्लकन ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, ‘‘हम सरकार, पुलिस और जेल के कुछ अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार हनन के मामलों में वृद्धि समेत भारत में हाल के कुछ ंिचताजनक घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं.’’ बहरहाल, उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी.

ंिब्लकन ने कहा, ‘‘हम मानवाधिकारों की रक्षा करने जैसे हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम इन साझा मूल्यों को लेकर हमारे भारतीय साझेदारों के नियमित संपर्क में रहते हैं.’’ भारत देश में नागरिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूहों द्वारा लगाए गए आरोपों को पहले ही खारिज कर चुका है.

भारत सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सुस्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं और मजबूत संस्थाएं हैं. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय संविधान मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनों के तहत पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है.

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