भारत की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित : राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं और देश के लोगों को सशस्त्र बलों पर पूरा भरोसा होना चाहिए. ‘टाइम्स नाउ समिट’ के समापन दिवस पर बातचीत के दौरान अग्निवीर योजना की आलोचना को लेकर एक सवाल पर मंत्री ने कहा कि ऐसे सवालों का ”कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि हर कोई मानता है कि सशस्त्र बलों का युवा स्वरूप होना चाहिए.

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने लगभग 50 साल लंबे अपने राजनीतिक सफर के किस्से भी साझा किए. यह पूछे जाने पर कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विपक्षी दलों सहित कई लोगों द्वारा उठाए गए सवालों पर उन्होंने क्या प्रतिक्रिया दी, सिंह ने कहा कि वे कभी उनसे परेशान नहीं हुए.

सिंह ने कहा, ”देश के हितों को ध्यान में रखते हुए, मैं उन्हें (विपक्षी दलों को) जो कुछ भी बता सकता हूं, बताता हूं. लेकिन रक्षा क्षेत्र में कई चीजें हैं जिनका रणनीतिक महत्व है और हम उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं बता सकते. हम उन चीजों को बताने से बचने की कोशिश करते हैं, चाहे वह उत्तरी, पश्चिमी या पूर्वी क्षेत्र (के बारे में) हो या कुछ और.”

रक्षा मंत्री ने कहा, ”मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं…उन्हें हमारी सेना और सुरक्षा र्किमयों पर पूरा भरोसा होना चाहिए.” पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच साढ़े तीन साल से अधिक समय से गतिरोध है. वहीं, दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

सिंह ने कहा, ”पांच साल तक रक्षा मंत्री और उससे पहले गृह मंत्री रहने के दौरान, मैंने जो देखा, समझा और आकलन किया, उसके आधार पर मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सीमाएं और हमारा देश पूरी तरह से सुरक्षित है.” पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया. गलवान घाटी की झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था.

कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की. सिंह ने अग्निवीर योजना का बचाव करते हुए कहा कि युवाओं की भर्ती से जोखिम लेने की भावना बढ़ेगी और तकनीक-कुशल सशस्त्र बल तैयार होंगे.

उन्होंने कहा, ”इस बात को हर कोई स्वीकार करेगा कि सशस्त्र बलों में युवा जोश होना चाहिए. आम तौर पर हमारे जवानों की उम्र सीमा 30-50 वर्ष होती है. लेकिन 18-20 साल के जवानों के अग्निवीर के रूप में शामिल होने से जोखिम लेने की भावना कुछ और बढ़ेगी.” उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि वरिष्ठ जवान अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं.

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज तकनीक का युग है और भारतीय युवाओं को भी तकनीक कुशल होना चाहिए. सिंह ने कहा कि अग्निवीर जवानों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसमें अर्द्धसैन्य बलों में उनके लिए आरक्षण का प्रावधान भी शामिल है. उन्होंने कहा, ”अगर हमें कोई कमियां दिखती हैं तो हम उन्हें सुधारने के लिए तैयार हैं.”

जून 2022 में, केंद्र ने सेना के तीनों अंगों के स्वरूप को युवा बनाने के उद्देश्य से सशस्त्र बलों में र्किमयों को अल्पकालिक रूप से शामिल करने के लिए ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना शुरू की. अग्निवीर योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल की अवधि के लिए भर्ती करने का प्रावधान है. भर्ती किए गए जवानों में से 25 प्रतिशत को 15 और वर्षों के लिए सेवा में रखा जाएगा.

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