इंडोनेशिया के कलाकारों ने सीता हरण, राम-रावण युद्ध की अविस्मरणीय प्रस्तुति दी

रायपुर. रायगढ़ के रामलीला मैदान में चल रहे राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के दूसरे दिन इंडोनेशिया से आए कलाकारों ने इंडोनेशिया की रामायण के आधार पर सीता हरण और राम-रावण युद्ध की अविस्मरणीय प्रस्तुति दी. इस पूरे प्रसंग को इंडोनेशियाई कलाकरों ने अपनी भावभंगिमा के माध्यम से इतना प्रभावी बना दिया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. कलाकारों की यह प्रस्तुति अद्भूत धुनों के साथ आरंभ हुई. इंडोनेशिया के जावा द्वीप के काकवीन रामायण और बाली द्वीप के रामायण प्रमुख हैं. यह भट्टी कवि के काव्य से प्रेरित है. बाली द्वीप में भारतीय सभ्यता स्थानीय प्रभाव के साथ अक्षत हैं. विद्वान मानते हैं कि इस पर दक्षिण का प्रभाव अधिक है. अतएव इनकी भावमुद्रा दक्षिण के कत्थककली कलाकारों जैसी है.

इंडोनेशियाई रामायण की प्रस्तुति में संगीत बेहद शानदार है. राम और सीता जी के बाद मंच पर आए हनुमान. इस प्रस्तुति में हनुमान जी की बड़ी भूमिका हैं. उनका मुकुट, उनकी वस्त्र सज्जा बताती है कि भारतीय समाज की तरह ही बाली का समाज भी प्रकृति का गहरा आदर करता है. हाथों की मुद्रा संगीत के साथ बदल रही है. यहां का संगीत बिल्कुल अलग और विशिष्ट है. केवल संगीत के साथ ताल में भाव मुद्रा के माध्यम से राम कथा कही जा रही है. इंडोनेशिया से आए कलाकारों की प्रस्तुति में प्रसंग जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, संगीत तीव्र होता जाता है. आंखों की मुद्राओं से बताया जा रहा है कि किस तरह सीता जी का हरण हुआ. दर्शकों के लिए चकित करने वाला दृश्य. बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के अद्भुत सुरों के साथ रामकथा आगे बढ़ते जाती है. कलाकार केवल भाव मुद्रा में ही पूरे प्रसंग का जीवंत वर्णन करते हैं. यह बड़ी बात है कि इस कला में उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी है और राम जैसे उदात्त चरित्र को अपनाने की चेष्टा भी. खास बात यह है कि सीता जी का स्पर्श किये बगैर अपनी चेष्टाओं से ही रावण की अदाकारी कर रहे कलाकार ने हरण का दृश्य दिखाया. यह एक बैले जैसी प्रस्तुति है. आखिर में स्थानीय भाषा में प्रस्तुत गीत से पूरी कथा स्पष्ट होती है.

प्रस्तुति के दौरान अशोक वाटिका के दृश्य में हनुमान जी मुद्रिका लेकर जाते हैं. हनुमान जी ने लंका दहन किया और भयंकर ऊर्जा से लंका का नाश किया़. हनुमान जी मुद्रिका श्री राम को दिखाते हैं. आखिर चरण में राम रावण युद्ध होता है. लक्ष्मण राम के हाथों धनुष देते हैं. यहां यह रोचक प्रसंग भी देखने को मिला कि हनुमान जी भी रावण के साथ द्वंद्व कर रहे हैं. राम और सीता पुनः एक होते हैं. आगे राम सीता, फिर लक्ष्मण, पीछे हनुमान जी. तुमुल ध्वनि से लोगों ने जयजयकार किया. गौरतलब है कि इंडोनेशिया की रामायण प्रस्तुति में भगवान श्रीराम का यह चरित्र एक महिला कलाकार श्रीयानी ने निभाया, जो बाली द्वीप की रहने वाली हैं. उन्होंने आज अपने साथी कलाकारों के साथ ऐसी यादगार प्रस्तुति दी कि पूरा वातावरण राममय हो गया था.

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