इनोसेंट: कारोबार में मिली नाकामी तो अभिनय में आजमाई किस्मत और बन गए बेमिसाल अभिनेता

प्रधानमंत्री ने मलयाली अभिनेता व पूर्व सांसद इनोसेंट के निधन पर शोक जताया

कोच्चि/नयी दिल्ली. दिग्गज अभिनेता इनोसेंट के देसी अंदाज और पटकथा की लीक से हटकर कुछ करने की चाह ने उन्हें रातोंरात मलयाली फिल्म जगत का चमकता हुआ सितारा बना दिया. कारोबारी के तौर पर इनोसेंट को मिली नाकामी सिनेमा जगत के लिए फायदेमंद साबित हुई और संयोगवश अभिनय की दुनिया में कदम रखने के बाद देखते ही देखते मलयाली सिनेमा के सबसे चहेते अभिनेता बन गए.

रविवार शाम यहां एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाले इनोसेंट बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वाकपटुता और शालीनता के साथ शानदार हास्य बोध से मिलकर बनी सकारात्मक छवि के जरिए उन्होंने मलयाली सिने प्रेमियों के दिलों में खास जगह बना ली थी.
इनोसेंट (75) ने एक टीवी प्रस्तोता और संवाद कलाकार के रूप में भी गहरी छाप छोड़ी और फिर राजनीति में कदम रखा तथा सांसद बने.

इनोसेंट कारोबारी और छोटे-मोटे उद्योगपति के तौर पर जीवनयापन करना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया. उन्होंने कभी भी एक अभिनेता बनने का सपना नहीं देखा था. कारोबार में नाकामी के बाद अभिनय उनके लिए अंतिम विकल्प था. इस बात को बखूबी समझते हुए उन्होंने अभिनय से दिल लगा लिया और धीरे-धीरे सफलता के शिखर की बढ़ने लगे. पांच दशक लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने 700 से अधिक फिल्में कीं, जिनमें से ज्यादातर में उन्होंने हास्य अभिनेता की भूमिका निभाई.

फिल्मों के जानकार बालगोपाल निरुथमपथ के अनुसार, 1972 में मलयाली फिल्म “नृथासला” के साथ उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. उस वर्ष वह एक फिल्म निर्माण कंपनी में सहायक के रूप में काम कर रहे थे, तभी उन्हें संयोग से अभियन का मौका मिला. मोहन द्वारा निर्देशित फिल्मों के जरिए उन्हें एक अभिनेता के तौर पर पहचान मिली और उनका करियर आगे बढ़ता चला गया. मोहन इंिरजलक्कुड़ा के निवासी थे और इनोसेंट भी वहीं से ताल्लुक रखते थे.

उन्होंने कहा, ‘‘इनोसेंट को एक अभिनेता के रूप में जिस चीज ने तत्काल सफलता दिलाई, वह थी पटकथा के तय खांचे से अलग हटकर कुछ करने की चाह.’’ काफी हद तक हास्य भूमिकाओं के लिए मशहूर इनोसेंट ने अपने मिलनसार व्यक्तित्व को हमेशा बनाए रखा. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी और अन्य राजनीतिक विरोधियों से बैर नहीं पाला. 2014 के लोकसभा चुनाव में चलाकुडी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें जीत मिली थी, लेकिन 2019 के चुनाव में वह कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए थे.

1948 में त्रिशूर जिले के इंिरजलक्कुड़ा में पैदा हुए इनोसेंट आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए थे. ‘‘गॉडफादर’’, ‘‘वियतनाम कॉलोनी’’ और ‘‘मनिचित्रथजु’’ सहित कई लोकप्रिय फिल्मों ने उन्होंने शानदार कॉमेडी की. ‘‘मझाविल कवाड़ी’’ और ‘‘देवासुरम’’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं ने साबित किया कि वह गंभीर भूमिकाओं को भी आसानी से निभा सकते हैं.

इनोसेंट ने लेखन में भी हाथ आजमाए और ‘मिस्टर बटलर’ और ‘संदरम’ फिल्मों में कुछ गीत भी गाए. वह वर्ष 2000 से 18 साल तक एसोसिएशन आॅफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (एएमएमए) के अध्यक्ष भी रहे. वह दो बार कैंसर से पीड़ित हुए, लेकिन फिर भी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखा. ंिजदगी की बाजी में भले ही उन्हें मात मिली हो, लेकिन अभिनय की बाजी में उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

प्रधानमंत्री ने मलयाली अभिनेता व पूर्व सांसद इनोसेंट के निधन पर शोक जताया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को प्रसिद्ध मलयाली अभिनेता एवं पूर्व सांसद इनोसेंट वरीद ठेक्केथाला के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक ट्वीट के मुताबिक मोदी ने कहा, ‘‘प्रसिद्ध अभिनेता एवं पूर्व सांसद इनोसेंट वरीद ठेक्केथाला के निधन से दुखी हूं. उन्हें अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने और लोगों के जीवन में हास्य भरने के लिए याद किया जाएगा. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.’’

इनोसेंट का रविवार को कोच्चि के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. वह 75 साल के थे. अभिनेता से नेता बने इनोसेंट काफी समय से बीमार थे. कुछ वर्ष पहले वह कैंसर की चपेट में आ गए थे. हालांकि, 2015 में उन्होंने कैंसर को मात देने की जानकारी दी थी.

Back to top button