ईसाइयों पर कथित हमलों को लेकर राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का गृह मंत्रालय को निर्देश

नयी दिल्ली.उच्चतम न्यायालय ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की ‘सच्चाई का पता लगाने’ की आवश्यकता जताते हुए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, लेकिन यदि जनहित याचिका में किये गये दावों में से केवल 10 प्रतिशत भी सही है तो इसकी जांच करना जरूरी है. केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि ‘मनमर्जी’ रिपोर्ट के आधार पर आधारित जनहित याचिका की सुनवाई नहीं करनी चाहिए.

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘यद्यपि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, फिर भी हमें सच्चाई का पता लगाना जरूरी है. हमें जनहित याचिका (पीआईएल) के माध्यम से किये गये ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत है.’’

अदालत के रुख से असहमति व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि जनहित याचिका में उल्लेखित मामलों में 162 मामले सत्यापन के बाद गलत पाये गये हैं. केंद्र की इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘‘यह एक जनहित याचिका है और हम शुरू में यह मानकर चलते हैं कि जो दावा किया गया है, वह उचित होगा.’’ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ईसाई समुदाय के सदस्यों पर हुए ज्यादातर हमलों में एक ही तरह की पद्धति अपनाई गयी है और ये हमले पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से कराये जा रहे हैं.

गोंजाल्विस ने दलील दी कि ज्यादातर मामलों में ईसाई पादरियों के खिलाफ पुलिस द्वारा मुकदमा चलाया जाता है, जबकि हमलावरों को आजाद घूमने की आजादी दी जाती है. अदालत का यह निर्देश ‘नेशनलिटी सॉलिडरिटी फोरम’ के डॉ. पीटर मशेदो और एवेनजेलिकल फेलोशिप आॅफ इंडिया के विजयेश लाल और अन्य की याचिका पर आया है.

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