जम्मू कश्मीर: अल्पसंख्यकों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग को लेकर केपीएसएस पहुंची अदालत

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में लक्षित हत्याओं की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए केपीएसएस प्रमुख संजय के. टिक्कू ने दावा किया कि कश्मीर में रहने वाले ंिहदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

टिक्कू ने कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ई-मेल के माध्यम से याचिका दायर की है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के तहत (धार्मिक अल्पसंख्यकों के) जीवन के अधिकार की गारंटी देने और धार्मिक पुनर्वास सहित विभिन्न उपाय किये जाने का अनुरोध किया गया है.

उन्होंने ई-मेल में लिखा है, ‘‘केंद्र शासित प्रदेश/ केंद्र सरकार को कश्मीर घाटी में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर ले जाने/ स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए, क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों को आतंकवादियों से सीधे खतरा है.’’ टिक्कू ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले जून 2020 में अनंतनाग में एक सरपंच अजय पंडिता की हत्या के साथ शुरू हुए.

उन्होंने हाल की हत्याओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘तब से लेकर 31 मई, 2022 तक स्थानीय धार्मिक अल्पसंख्यकों के 12 लोगों पर हमला किया गया, जिनमें से 11 की मौत हो गई.’’ इन हत्याओं में सरकारी कर्मचारी राहुल भट और शिक्षिका रजनी बाला की हत्याएं शामिल हैं. उन्होंने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह संबंधित अधिकारियों को तलब करे और उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अपनाई गई नीति और तंत्र की व्याख्या करने का निर्देश दे. टिक्कू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्हें अभी तक उच्च न्यायालय से कोई जवाब नहीं मिला है.

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