झारखंड सरकार ने धन शोधन मामले में गिरफ्तार खनन सचिव पूजा सिंघल को किया निलंबित

रांची. धन शोधन के संदिग्ध मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को निलंबित कर दिया. एक अधिकारी ने इस आशय की जानकारी दी. गौरतलब है कि ईडी ने सिंघल को गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ के लिए मंगलवार और बुधवार दोनों दिन उन्हें प्रभाग कुमार शर्मा की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया था. सिंघल को पांच दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजे जाने के बाद बुधवार की रात उन्हें होटवार स्थित बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार ने पूजा सिंघल को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील नियम, 1969) प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.’’ सिंघल की गिरफ्तारी पर बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि राज्य सरकार ‘‘इस संबंध में उचित कानूनी कदम उठाएगी.’’ मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अनियमितताएं ‘‘भाजपा के शासनकाल में हुई हैं और उनकी जांच की जानी चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के शासनकाल में 2017 में उन्हें क्लिन चिट मिली थी. उन्हें क्लिन चिट देने वालों की जांच होनी चाहिए. आपने (भाजपा) उनसे गलती करायी और आप ही ने उन्हें क्लिन चिट भी दिया.’’

आईएएस अधिकारी धनशोधन के लिए मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल का इस्तेमाल करती थीं: ईडी

झारखंड की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और उनके परिवार के ‘स्वामित्व’ वाले रांची स्थित अस्पताल का दागदार पैसे के ‘शोधन’ करने के लिए कथित इस्तेमाल किया जा रहा था और यहां (अस्पताल में) आम तौर पर नकदी में भारी भुगतान स्वीकार किया जाता था. ईडी ने सचिव स्तर की अधिकारी सिंघल की गिरफ्तारी के बाद अदालत में यह बात कही.

ईडी ने दावा किया कि झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू क्षेत्र में स्थित इस अस्पताल के निर्माण एवं उसके प्रबंधन में सिंघल ने ‘अहम भूमिका’ निभायी. पिछले सप्ताह ईडी ने इस अस्पताल की तलाशी ली थी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को यहां 2000 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सिंघल को धनशोधन रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार किया था. फिलहाल वह ईडी की हिरासत में हैं.

झारखंड सरकार ने बृहस्पतिवार को पूजा सिघंल (44) को निर्धारित प्रक्रिया के तहत निलंबित कर दिया था क्योंकि सरकारी सेवक के किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तारी की स्थिति में सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर ऐसा प्रावधान है. सिंघल उद्योग सचिव के पद पर कार्यरत थीं और खान एवं भूगर्भ विभाग के सचिव के रूप में अतिरिक्त पदभार संभाल रही थीं.

उन्हें मनरेगा के धन की कथित हेराफेरी से जुड़े धनशोधन एवं कुछ अन्य कथित संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के मामले में उनके पति अभिषेक झा, चार्टर्ड एकउंटेंट सुमन कुमार एवं अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था. उससे पहले ईडी ने छह मई को उनके परिसर पर छापा मारा था. सुमन कुमार को उसके आवासीय एवं कार्यालय परिसर से 17.79 करोड़ रूपये नकद कथित रूप से मिलने के बाद पिछले सप्ताह इस मामले में गिरफ्तार किया गया. वह भी ईडी की हिरासत में हैं.

एजेंसी ने कहा था कि सिंघल ने अतीत में अपने निजी खाते से सुमन कुमार के स्वामित्व एवं नियंत्रण वाले तीन बैंक खातों में 16.57 लाख रूपये अंतरित किये. एजेंसी ने पहले पूछताछ में शामिल रहे कुछ गवाहों के बयानों का हवाला देकर बुधवार को अपने रिमांड नोट में अदालत से कहा कि सिंघल ने ‘‘पल्स सुपर स्पेशलियटी अस्पताल के निर्माण एवं उसके प्रबंधन में अहम भूमिका निभायी और नकद राशि में बड़े-बड़े भुगतान किये गये. ’’

ईडी ने कहा कि अस्पताल (पूजा सिंघल के स्वामित्व वाले डायग्नोस्टिक सेंटर समेत) की जमीन एवं भवन 40 करोड़ रूपये से ज्यादा की है तथा संयंत्र एवं मशीनरी 30 करोड़ रूपये से अधिक की है. लेकिन अस्पताल के वित्तीय लेखाजोखा में बहुत कम मूल्य बताया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल का मूल्य कथित रूप से कागजों पर तीन करोड़ रूपये बताया गया है, झा भी कथित रूप से इस अस्पताल का प्रबंधन करते हैं.

ईडी ने दावा किया , ‘‘ जांच से खुलासा हुआ है कि दागदार पैसे का इस कथित अस्पताल के माध्यम से शोधन किया जा रहा था.’’ उसने आरोप लगाया कि सुमन कुमार ने उसके सामने बयान दिया कि उसके घर से बरामद ज्यादातर धनराशि पूजा सिंघल की है जिसे उसने उसकी ओर से प्राप्त किया था.

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