स्वयं वाहन चलाकर प्रधानमंत्री मोदी को संग्रहालय लेकर गए जॉर्डन के युवराज

शाह अब्दुल्ला द्वितीय के साथ वार्ता से प्रमुख क्षेत्रों में भारत जॉर्डन साझेदारी हुई मजबूत: मोदी

अम्मान: भारत और जॉर्डन के संबंधों में गर्मजोशी को दर्शाते हुए अरब देश के युवराज अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं वाहन चलाकर जॉर्डन संग्रहालय लेकर गए। युवराज पैगंबर मोहम्मद की 42वीं पीढ़ी के सीधे वंशज हैं। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में मोदी ने कहा कि वह संग्रहालय में जॉर्डन के इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दिखाने के लिए अल-हुसैन के प्रति ‘आभारी’ हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने युवराज के साथ ‘विस्तृत बातचीत’ की है तथा ‘जॉर्डन की प्रगति के प्रति उनका जुनून स्पष्ट रूप से नजर आया।’’ मोदी ने कहा,‘‘युवा विकास, खेल, अंतरिक्ष, नवाचार और दिव्यांगजनों के कल्याण को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में उनका योगदान वास्तव में उल्लेखनीय है।’’

उन्होंने अल-हुसैन को जॉर्डन के विकास पथ को मजबूत करने के उनके प्रयासों में सफलता की शुभकामनाएं दीं। मोदी जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर सोमवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे थे। जॉर्डन प्रधानमंत्री की तीन देशों की चार दिवसीय यात्रा का पहला पड़ाव है। इस यात्रा के दौरान वह इथियोपिया और ओमान भी जाएंगे।

अम्मान के रस अल-ऐन जिले में स्थित जॉर्डन संग्रहालय देश का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसमें जॉर्डन की कुछ सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया है। वर्ष 2014 में निर्मित यह संग्रहालय प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान समय तक क्षेत्र की सभ्यतागत यात्रा को दर्शाता है।

संग्रहालय में 15 लाख वर्ष पुरानी जानवरों की हड्डियां और चूना प्लास्टर से बनीं 9,000 वर्ष पुरानी ऐन गजल की मूर्तियां हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे प्राचीन मूर्तियों में से एक माना जाता है।

शाह अब्दुल्ला द्वितीय के साथ वार्ता से प्रमुख क्षेत्रों में भारत जॉर्डन साझेदारी हुई मजबूत: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि शाह अब्दुल्ला द्वितीय के साथ उनकी वार्ता ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन, डिजिटल परिवर्तन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विरासत सहयोग समेत प्रमुख क्षेत्रों में भारत-जॉर्डन साझेदारी को मजबूत किया है.
दो दिवसीय यात्रा के अंत में मोदी ने कहा, ‘‘मेरी जॉर्डन यात्रा बेहद फलदायी रही है.’’ उन्होंने शाह अब्दुल्ला द्वितीय और जॉर्डन के लोगों को उनकी ‘असाधारण’ मित्रता के लिए धन्यवाद दिया.

उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ह्लहमारी चर्चाओं ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन, डिजिटल परिवर्तन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विरासत सहयोग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत-जॉर्डन साझेदारी को मजबूत किया है. हमने मिलकर जो परिणाम हासिल किए हैं, वे हमारे नागरिकों के लिए प्रगति और समृद्धि के नए रास्ते खोलेंगे.ह्व प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले सोमवार को मोदी ने हुसैनीया महल में शाह अब्दुल्ला द्वितीय के साथ आमने-सामने बैठक की.

मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की सराहना की, जिसकी पहचान आपसी विश्वास, सौहार्द और सद्भावना है. इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों ने भारत-जॉर्डन के बहुआयामी संबंधों का सकारात्मक मूल्यांकन किया है, जो राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा, सुरक्षा, संस्कृति और शिक्षा सहित सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं.’’ दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय स्तर पर और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच ‘‘उत्कृष्ट सहयोग’’ की भी सराहना की.

अपनी बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी विकास संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करने में विश्वसनीय साझेदार के रूप में आपसी हित के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और एक साथ खड़े रहने पर सहमति व्यक्त की. उन्होंने मजबूत द्विपक्षीय व्यापार की सराहना की, जिसका वर्तमान मूल्य 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर है और भारत जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है.

संयुक्त बयान में कहा गया है,‘‘दोनों नेता द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाने के लिए व्यापार में विविधता लाने की आवश्यकता पर सहमत हुए. उन्होंने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में प्रगति की निगरानी के लिए 2026 की पहली छमाही में 11वीं व्यापार और आर्थिक संयुक्त समिति की शीघ्र बैठक आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की.’’ दोनों देशों के उच्च स्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने दोनों देशों के बीच व्यापार एवं आर्थिक सहयोग को और मजबूत और विस्तारित करने के तरीकों पर चर्चा की.

शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए में भारत के नेतृत्व की सराहना की. भारत ने आईएसए, सीडीआरआई और जीबीए में शामिल होने की जॉर्डन की तत्परता का स्वागत किया.

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