कर्नाटक के मंत्री ने कहा, शिक्षक का छात्र को ‘‘कसाब’’ कहना ‘‘इतना गंभीर नहीं’’

समुदाय विशेष का नाम बना राष्ट्रीय मुद्दा, जबकि ‘‘रावण’’ या ‘‘शकुनि’’ जैसे नाम संर्दिभत करने के लिए किए जाते हैं इस्तेमाल

बेंगलुरु. कर्नाटक के स्कूल शिक्षा और साक्षरता मंत्री बी. सी. नागेश ने हाल ही में एक सहायक प्रोफेसर द्वारा एक छात्र को ‘‘कसाब’’ कहने के बाद हुए विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यह ‘‘इतना गंभीर नहीं है’’. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि एक समुदाय विशेष का नाम राष्ट्रीय मुद्दा क्यों बन गया, जबकि ‘‘रावण’’ या ‘‘शकुनि’’ जैसे नाम जो आमतौर पर संर्दिभत करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें लेकर कोई मुद्दा नहीं बनता है.

नागेश ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है, घटना नहीं होनी चाहिए थी, शिक्षक को उस नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था. लेकिन मुझे यह भी लगता है कि यह उतनी गंभीर बात नहीं है, क्योंकि हम कई छात्रों के लिए कई बार रावण के नाम का उपयोग करते हैं, हम कई बार शकुनि के नाम का भी उपयोग करते हैं, लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं बनता है.’’

संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘क्यों किसी समुदाय विशेष से आने वाला (एक व्यक्ति का) नाम मुद्दा बन जाता हैं, मुझे नहीं पता. यद्यपि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की गई है. लेकिन, क्यों कुछ नाम राष्ट्रीय मुद्दा बन जाते हैं, मैं नहीं समझ सकता.’’ सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी प्रसारित हुआ था, जिसमें मनिपाल के एक सहायक प्रोफेसर एक छात्र को ‘‘कसाब’’ के नाम से पुकारते हैं और छात्र इसका विरोध करता है.

बाद में प्रोफेसर ने माफी मांगी. विश्वविद्यालय ने हालांकि शिक्षक को फिलहाल कक्षाएं लेने से रोक दिया है. नागेश की टिप्पणी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘‘रावण’’ वाले बयान के बीच आई, जिसने कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छेड़ दी थी.

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