भाजपा विधायकों के बहिर्गमन के बीच केजरीवाल सरकार ने विश्वास मत किया हासिल

नयी दिल्ली. दिल्ली विधानसभा ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल द्वारा पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया. वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन विधायकों को उपाध्यक्ष के साथ बहस के बाद मार्शल की मदद से सदन से बाहर निकाले जाने के बाद विपक्षी दल के अन्य पांच विधायकों ने बहिर्गमन किया.

केजरीवाल ने कहा कि वह देश के सामने यह साबित करने के लिए प्रस्ताव लाए हैं कि भाजपा आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों को नहीं खरीद सकती और भाजपा का ‘आॅपरेशन लोटस’ दिल्ली में ‘विफल’ हो गया है. दिल्ली विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 70 है जिनमें से 62 विधायक ‘आप’ के हैं जबकि शेष आठ विधायक भाजपा के हैं.

सदन में मौजूद ‘आप’ के सभी विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया. इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा क्योंकि भाजपा का कोई भी विधायक सदन में मौजूद नहीं था. भाजपा के तीन विधायकों विजेंद्र गुप्ता, अभय वर्मा तथा मोहन सिंह बिष्ट को उपाध्यक्ष राखी बिड़ला के साथ ‘नोंकझोंक’ के बाद विधानसभा से मार्शल के जरिए बाहर निकाल दिया गया. बिड़ला ने विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संबंधी नोटिस पर गौर करने की उनकी मांग नहीं मानी थी. भाजपा के बाकी विधायकों ने इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन कर दिया. बाद में बिड़ला ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.

विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए, केजरीवाल ने कहा, ‘‘हमारे पास 62 विधायक हैं, जिनमें से विधानसभा अध्यक्ष (रामनिवास गोयल) कनाडा में हैं, नरेश बाल्यान आॅस्ट्रेलिया में हैं और सत्येंद्र जैन जेल में हैं. बाकी यहां हैं और आप गिनती कर सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि वह यह दिखाने के लिए प्रस्ताव लाए हैं कि भाजपा उनके विधायकों को नहीं खरीद सकती.

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘आप’ को भाजपा के विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अभी केवल दो पार्टी हैं – ‘कट्टर ईमानदार पार्टी और कट्टर बेईमान पार्टी’. विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी के गुजरात में चुनाव मैदान में उतरने की तैयारियों के बीच उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के छापे के बाद उस राज्य में उनकी पार्टी के मत प्रतिशत में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि ‘‘अगर सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाता है’’ तो यह मत प्रतिशत दो प्रतिशत और बढ़ जाएगा. केजरीवाल ने दावा किया, ‘‘सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई की, उनके गांव गए और उनके बैंक लॉकर तक की तलाशी ली. सीबीआई के लोगों ने कहा कि उन्हें उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला लेकिन उन पर उन्हें गिरफ्तार करने का दबाव है.’’ केजरीवाल ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि यह स्पष्ट है कि जांच एजेंसी को सिसोदिया के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सिसोदिया और ‘आप’ को ‘ईमानदारी का प्रमाण पत्र’ दिया है.

केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने उनकी पार्टी के विधायकों को खरीदने की कोशिश की लेकिन उनमें से किसी ने भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘‘पूरी तरह से भ्रष्ट पार्टी में शिक्षित लोगों की कमी है जबकि ‘कट्टर ईमानदार’ पार्टी के पास बेहतर शिक्षा वाले, प्रामाणिक आईआईटी डिग्री वाले लोग हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘कट्टर भ्रष्ट’ पार्टी विधायकों को खरीदने के लिए पैसा खर्च करती है. ‘कट्टर ईमानदार’ पार्टी स्कूलों और अस्पतालों के निर्माण पर पैसा खर्च करती है.’’ उन्होंने भाजपा की तुलना अपनी पार्टी से करते हुए कहा, ‘‘एक पक्ष जहां दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाना चाहता है, वहीं दूसरा भारत को नंबर एक बनाना चाहता है.’’ छात्रों के लिए अपनी योजना पेश करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उनके दोनों बच्चे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में पढ़े हैं और वह ‘भारत के हर बच्चे को ऐसी ही शिक्षा’ देना चाहते हैं.

हाल में जारी एक अध्ययन रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली महिलाओं के लिए देश का सबसे असुरक्षित स्थान माना जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम इस पर उपराज्यपाल और केंद्र को पूरा सहयोग देंगे.’’ उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए ‘आप’ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी पर केजरीवाल ने कहा, ‘‘अगर हम सार्वजनिक जीवन में हैं तो हमें किसी भी जांच का स्वागत करना चाहिए.’’

भाजपा विधायकों को दिल्ली विधानसभा से मार्शल की मदद से बाहर निकाला गया
दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला के साथ बहस के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन विधायकों को मार्शल की मदद से बृहस्पतिवार को बाहर निकाल दिया गया. बिड़ला ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा एवं मतदान से पहले ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने की भाजपा विधायकों की मांग स्वीकार नहीं की, जिसके बाद विधायकों ने उनसे बहस की. भाजपा के तीन विधायकों को मार्शल की मदद से बाहर निकाले जाने के बाद पार्टी के शेष विधायक भी सदन से बहिर्गमन कर गए.

केजरीवाल ने भाजपा पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों को लुभाने की कोशिश करने के आरोप लगाते हुए यह ‘‘साबित’’ करने के लिए सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पेश किया कि भाजपा का ‘आॅपरेशन लोटस’ राष्ट्रीय राजधानी में विफल हो गया है.
बिड़ला ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर बहस और मतदान होने तक कोई ध्यानाकर्षण नोटिस नहीं लिया जाएगा.

विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विधानसभा में चर्चा के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं — ‘‘पेयजल की कमी है, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है … स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं.’’ उन्होंने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई ‘‘नाटक’’ करने की आवश्यकता नहीं है कि मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल के पास 62 ‘आप’ विधायकों का समर्थन है. बिड़ला ने कहा, ‘‘विपक्ष शासित राज्यों में जो कुछ भी हुआ है’’, उसे देखते हुए विश्वास प्रस्ताव महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विपक्ष के सभी मुद्दों को उठाया जाएगा.

जब विपक्षी दल के सदस्य नहीं माने, तो बिड़ला ने आदेश दिया कि भाजपा विधायकों विजेंद्र गुप्ता, अभय वर्मा और मोहन सिंह बिष्ट को मार्शल की मदद से बाहर कर दिया जाए. इसके तुरंत बाद भाजपा के बाकी विधायक विधानसभा से बहिर्गमन कर गए. विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 58 विधायकों ने केजरीवाल सरकार के समर्थन में मत दिया. उपाध्यक्ष बिड़ला ने मतदान में भाग नहीं लिया. इस तरह विधानसभा ने विश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया. इसके बाद उपाध्यक्ष ने सदन के विशेष सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.

बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों को सदन में लगातार पांचवें दिन विशेष सत्र में बोलने नहीं दिया गया. भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि विपक्षी दल के विधायकों ने विधानसभा में उनकी आवाज दबाए जाने और केजरीवाल सरकार में भ्रष्टाचार के विरोध में मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना भी दिया.

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