फिरौती के लिए अगवा हुए, 26/11 के हमले में बचे गौतम अडानी के सामने सबसे बड़ी चुनौती

एलआईसी ने अडाणी पर बड़ा दांव लगाना जारी रखा, शेयर गिरने के बावजूद फायदे में

नयी दिल्ली. अडाणी समूह के मुखिया गौतम अडाणी को डकैतों ने 1998 में फिरौती के लिए अगवा कर लिया था और इसके करीब 11 साल बाद जब आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया तो वह ताज होटल में बंधक बनाए गए लोगों में शामिल थे. कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले गौतम अडाणी को संकटों से बचे रहने की आदत और व्यापार कौशल ने भारत के सबसे अमीर लोगों की श्रेणी में ला दिया, लेकिन अब उनके सामने शायद कारोबारी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है.

न्यूयॉर्क की एक छोटी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च, जो शॉर्ट सेलिंग में माहिर है, की एक रिपोर्ट के कारण उनके समूह का बाजार मूल्यांकन केवल दो कारोबारी सत्रों में 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया. इसके साथ ही अडाणी को 20 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. ये उनकी कुल दौलत का पांचवां हिस्सा है. इसके साथ ही वह दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति से सातवें स्थान पर आ गए हैं. अडाणी समूह इस समय 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) भी लाया है. अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के लिए आए इस एफपीओ को पहले दिन सिर्फ एक प्रतिशत अभिदान मिला.

गुजरात के अहमदाबाद में एक जैन परिवार में जन्मे अडाणी कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर मुंबई चले गए और कुछ समय के लिए हीरा कारोबार क्षेत्र में काम किया. वह 1981 में अपने बड़े भाई महासुखभाई की एक छोटे स्तर की पीवीसी फिल्म फैक्टरी चलाने में  मदद करने के लिए गुजरात लौट आए. उन्होंने 1988 में अडाणी एक्सपोर्ट्स के तहत एक जिंस व्यापार उद्यम स्थापित किया और इसे 1994 में शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया. इस फर्म को अब अडाणी एंटरप्राइजेज कहा जाता है.

जिंस कारोबार शुरू करने के करीब एक दशक बाद उन्होंने गुजरात तट पर मुंद्रा में एक बंदरगाह का संचालन शुरू किया. उन्होंने भारत के सबसे बड़े निजी बंदरगाह परिचालक के रूप में जगह बनाई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और बिजली उत्पादन, खनन, खाद्य तेल, गैस वितरण और नवीकरणीय ऊर्जा में अपने व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार किया. अडाणी के व्यापारिक हितों का विस्तार हवाई अड्डों, सीमेंट और हाल ही में मीडिया में हुआ.

एलआईसी ने अडाणी पर बड़ा दांव लगाना जारी रखा, शेयर गिरने के बावजूद फायदे में

जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अडाणी समूह की प्रमुख फर्म में और निवेश कर रही है. फर्जीवाड़े के आरोपों के बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट के बावजूद बीमा कंपनी फायदे में है. शेयर बाजार के आंकड़ों से यह जानकारी मिली. अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने शेयर बाजार को बताया कि भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने एईएल के 20,000 करोड़ के एफपीओ में एंकर निवेशक के तौर पर 300 करोड़ रुपये निवेश करके 9,15,748 शेयर खरीदे हैं.

एलआईसी ने एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित शेयरों में से पांच प्रतिशत शेयर खरीदे. एईएल में एंकर निवेशक के तौर पर 33 संस्थागत निवेशकों ने कुल 5,985 करोड़ रुपये का निवेश किया. एलआईसी की पहले ही एईएल में 4.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेयर बाजार को दी जानकारी के मुताबिक एलआईसी ने पिछले कुछ सालों में अडाणी के शेयरों में 28,400 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अमेरिकी निवेश कंपनी ंिहडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले इन शेयरों की कीमत 72,000 करोड़ रुपये थी.

अडाणी समूह की कंपनियों में एलआईसी के मौजूदा शेयरों की कीमत गिरकर 55,700 करोड़ रुपये रह गई है, लेकिन फिर भी वह वास्तविक निवेश से 27,300 करोड़ रुपये ज्यादा है. एलआईसी के पास अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन में नौ प्रतिशत, अडाणी ट्रांसमिशन में 3.7 प्रतिशत, अडाणी ग्रीन एनर्जी में 1.3 प्रतिशत और अडाणी टोटल गैस लिमिटेड में छह प्रतिशत शेयर हैं.

Related Articles

Back to top button