महाराष्ट्र मंत्रिमंडल विस्तार : 18 मंत्रियों ने ली शपथ, कोई महिला नहीं

मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 41 दिन बाद एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया. शिवसेना के बागी गुट और भारतीय जनता पार्टी के नौ-नौ सदस्यों को इसमें जगह दी गयी है. मंत्रिमंडल में किसी भी महिला को शामिल नहीं किया गया है, जिसकी नेताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है.

राज्य में भाजपा की 12 महिला विधायक हैं. शिंदे गुट में दो महिला विधायक हैं तथा उसे एक निर्दलीय महिला विधायक का समर्थन भी हासिल है. महाराष्ट्र में कुल 28 महिला विधायक हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र महिलाओं को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य है. जब भारत की 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है, तब भी उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. यह भाजपा की मानसिकता को दिखाता है.

भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत 18 विधायकों ने दक्षिण मुंबई में राज भवन में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली. इसके साथ ही महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या अब 20 हो गयी है, जो अधिकतम 43 सदस्यों की संख्या से आधी से भी कम है. शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

भाजपा की ओर से मंत्रिमंडल में शामिल सदस्यों में राधाकृष्ण विखे पाटिल, सुधीर मुन्गंतीवार, चंद्रकांत पाटिल, विजयकुमार गावित, गिरीश महाजन, सुरेश खडे, रवींद्र च’’ाण, अतुल सावे और मंगलप्रभात लोढा हैं. शिंदे गुट से मंत्री पद की शपथ लेने वाले सदस्यों में गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संजय राठौड़, संदीप भुमरे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, दीपक केसरकर और शंभुराज देसाई शामिल हैं.

शिंदे के एक सहायक ने बताया कि किसी राज्य मंत्री ने आज शपथ नहीं ली. बाद में फिर मंत्रिमंडल विस्तार होगा. भाजपा ने मुंबई से लोढा को शामिल किया है जबकि शिंदे गुट ने वहां से किसी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया. मुंबई महानगरपालिका के चुनाव इस साल होने हैं.

नए मंत्रियों में शिंदे समूह के विधायक संजय राठौड़ शामिल हैं जो उद्धव ठाकरे की सरकार में वन मंत्री थे तथा भाजपा द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा वाग ने राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिला की मौत के लिए जिम्मेदार पूर्व मंत्री संजय राठौड़ को फिर से मंत्री पद दिया गया है. मैं राठौड़ के फिर से मंत्री बनने के बावजूद उनके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी.’’

विवादों में रहे तीन विधायक शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार में मंगलवार को शपथ लेने वाले 18 में से तीन मंत्रियों का नाता विवादों से रहा है. नव नियुक्त मंत्री संजय राठौड़ उद्धव ठाकरे नीत सरकार में भी मंत्री थे और पुणे में एक महिला की मौत के मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें पिछले साल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ जून में बगावत की तो राठौड़ भी उनके साथ आ गए.

मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को कहा कि पुलिस ने राठौड़ को क्लीन चिट दी है, इसलिए ही उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि वह महिला की मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘भले ही उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया हो, लेकिन मैं उनके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी. मुझे न्यायपालिका पर पूरा यकीन है. हम लड़ेंगे और जीतेंगे.’’ दूसरे नव नियुक्त मंत्री और शिवसेना के बागी अब्दुल सत्तार हैं. वह सोमवार को विवाद के केंद्र में तब आ गए जब उनकी तीन बेटियों और एक बेटे का नाम 7880 अर्भ्यिथयों की उस सूची में शामिल है जिन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2019-2020 में कथित गड़बड़ी करने के सिलसिले में अयोग्य घोषित किया गया है, और प्रतिबंधित कर दिया गया है.

सत्तार पहले कांग्रेस में थे और 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले वह शिवसेना में शामिल हो गए थे. वह भी जून में शिंदे के गुट में शामिल हो गए. टीईटी विवाद पर, सत्तार ने सोमवार को आरोप लगाया था कि यह राजनीतिक साजÞशि है और महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के विस्तार से एक दिन पहले सूची के सामने पर सवाल खड़े किए थे.

इसके अलावा तीसरे नव नियुक्त मंत्री एवं भाजपा नेता विजय कुमार गावित हैं जिन्हें पांच साल पहले जनजाति विकास विभाग में भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं का दोषी पाया गया था. 2004-2009 के दौरान उनके पास इस विभाग का जिम्मा था. गावित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में थे और कांग्रेस-राकांपा सरकार में मंत्री थे. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और 2014 और 2019 में विधानसभा चुनाव जीता.

चाय बेचकर गुजर बसर करने वाले परिवार में जन्मे चंद्रकांत पाटिल दूसरी बार मंत्री बने

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल दूसरी बार राज्य में मंत्री बने हैं. साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले पाटिल (63) इससे पहले 2014-19 के दौरान राजस्व और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री रह चुके हैं. दो बार विधान पार्षद रहे और पहली बार पश्चिमी महाराष्ट्र से विधायक बने पाटिल को मंगलवार को एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल किया गया.

मुंबई में चाय बेचकर गुजर-बसर करने वाले परिवार में पैदा हुए पाटिल ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में जगह बनाने से पहले कॉलेज के दिनों में संघर्ष किया. उन्होंने 1990 में श्रीनगर में तिरंगा लहराने के लिए एबीवीपी के ‘चलो कश्मीर’ अभियान का भी नेतृत्व किया था.

पाटिल 2005 में भाजपा में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का सचिव बनाया गया. वह 2008 और 2014 में पुणे स्रातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद का चुनाव जीते. इसके बाद 2014 में भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता में आयी और पाटिल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया तथा उनके पास राजस्व, कपड़ा, लोक निर्माण विभाग तथा सहकारिता और वाणिज्य विभाग का प्रभार रहा. उन्होंने 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और भाजपा ने उन्हें पुणे शहर से पार्टी की तत्कालीन विधायक मेधा कुलकर्णी के बजाय उम्मीदवार बनाया.

पाटिल का ताल्लुक कोल्हापुर जिले से है लेकिन वह वहां से कभी चुनाव नहीं लड़े. एबीवीपी में रहने के दौरान ही वह भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के संपर्क में आए, जो अभी केंद्रीय गृह मंत्री हैं. जून में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के 39 अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी सरकार गिर गयी. महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने बाद में शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया था. 20 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

चंद्रकांत पाटिल ने पिछले महीने कहा था कि पार्टी ने ‘‘भारी मन’’ से फडणवीस के बजाय शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया.
हालांकि, बाद में भाजपा नेता आशीष सेलार ने कहा था कि यह न तो पाटिल का अपना रुख है और न ही पार्टी का रुख है और वह केवल सामान्य कार्यकर्ताओं की भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहे थे.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने संजय राठौड़ को मंत्री बनाने का बचाव किया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना विधायक संजय राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का मंगलवार को बचाव करते हुए कहा कि पुलिस ने एक महिला की मौत के मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. अपनी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में शिंदे ने यह भी कहा कि दूसरे दौर का मंत्रिमंडल विस्तार जल्द ही होगा. पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शामिल रहे राठौड़ को एक महिला की मौत के मामले में उनका नाम आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था.

वह इस साल जून में शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने वाले शिंदे गुट में शामिल हो गए. इस बगावत के कारण ठाकरे नीत सरकार गिर गयी थी. शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘‘एमवीए सरकार के दौरान उन्हें (राठौड़) क्लीन चिट दे दी गयी थी, इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दी थी. अगर किसी को इस पर और कुछ कहना है तो उसकी बात भी सुनी जा सकती है.’’ शिंदे ने उन दावों को भी खारिज किया कि संजय शिरसाट समेत कुछ बागी विधायक मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं.

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