‘घुसपैठिये’ वोट बैंक को नाराज नहीं करने के लिए राम मंदिर के समारोह में नहीं पहुंचीं ममता : शाह

मेमारी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में इसलिए शामिल नहीं हुईं क्योंकि उन्हें अपने ‘घुसपैठिये वोट बैंक’ के नाराज होने का डर था.
शाह ने पूर्व बर्धमान जिले के मेमारी में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव तय करेंगे कि जनता देश में ‘परिवार राज’ चाहती है या फिर ‘राम राज्य’.

उन्होंने कहा, ”वर्षों से हमारे देश के लोग और राम भक्त चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने, लेकिन कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी ऐसा नहीं चाहते थे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण ममता दीदी और उनके भतीजे (अभिषेक बनजी) दोनों को भेजा गया था. लेकिन वे शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें डर था कि घुसपैठिये नाराज हो सकते हैं जो उनकी पार्टी के वोट बैंक हैं.” बनर्जी ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव से पहले ‘तिकड़म’ करके एक धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

शाह ने तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियों की ‘वंशवाद की राजनीति’ पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष ”भ्रष्टाचार में उलझा हुआ है” और वहां ”परिवारवाद”, जो भारत के विचार के खिलाफ है. गृहमंत्री ने बनर्जी और उनके भतीजे पर भाजपा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार करने का आरोप लगाया, क्योंकि वे केंद्र की सत्तारूढ. दल से ”डरते” हैं क्योंकि उनको अहसास है कि उनकी ”सत्ता से विदाई” निकट है.

शाह ने कहा, ”ममता बनर्जी और अभिषेक दोनों भाजपा से डरे हुए हैं. इस असुरक्षा के कारण, वे हमारे नेताओं को होटल बुक करने और कार लेने की अनुमति नहीं देते हैं. अगर होटल बुक भी हो जाते हैं तो तृणमूल कांग्रेस के गुंडे उन्हें खाली करा देते हैं. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि भाजपा कार्यकर्ता इससे परेशान नहीं हैं. चाहे वह कितनी भी कोशिश कर लें, सत्ता से उनकी विदाई तय है.” उन्होंने कहा कि यह चुनाव यह तय करने के लिए भी है कि आप भतीजे को पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं या नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं.

शाह ने ममता बनर्जी पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर लोगों को ‘गुमराह’ करने और वोट बैंक की राजनीति के लिए घुसपैठियों का ‘स्वागत’ करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने सवाल किया, ”वह शरणार्थियों को नागरिकता मिलने के खिलाफ क्यों हैं. वह बंगाल में घुसपैठ का समर्थन कर रही हैं, लेकिन हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का विरोध करती हैं.” बनर्जी ने हाल ही में दावा किया था कि अगर विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन सत्ता में आता है तो संसद में एक नया कानून लाकर सीएए को रद्द कर दिया जाएगा. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन का घटक है.

केंद्र ने पिछले महीने संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 लागू किया था, जिसमें 31 दिसंबर 2014 को या इससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को शीघ्रता से भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
शाह ने पड़ोसी राज्य असम का संदर्भ देते हुए कहा कि 2016 में सत्ता में आने के बाद भाजपा ने ”घुसपैठ की स्थायी समस्या” का समाधान किया.

उन्होंने कहा, ”असम को भी घुसपैठ की ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ा था. राज्य के लोगों ने भाजपा को वोट देकर सत्ता सौंपी और अब इस समस्या से छुटकारा मिल गया है. बंगाल में भी केवल भाजपा ही घुसपैठ की समस्या को खत्म कर सकती है.” गृहमंत्री ने यह भी कहा कि यह भाजपा ही है जो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के ‘भ्रष्टाचार और कट मनी के शासन’ को समाप्त कर सकती है.
उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में हुई घटनाओं पर शाह ने कहा कि यह शर्म की बात है कि ”ममता बनर्जी ने एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद दोषियों को बचाने की कोशिश की”. संदेशखालि में महिलाओं ने तृघणमूल के नेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.

उन्होंने कहा, ”वर्षों तक, उनके शासन में अत्याचार जारी रहे. तुष्टीकरण के माध्यम से कुछ वोट पाने के लिए आप संदेशखालि के अपराधियों को बचा रहे हैं. भाजपा इन दोषियों को सजा देगी.” शाह ने मुख्यमंत्री पर तृणमूल की ‘वोट बैंक की राजनीति’के लिए चुप्पी साधने क आरोप लगाया. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ने पश्चिम बंगाल में 30 से अधिक लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य तय किया है. उन्होंने कहा, ”मोदी जी को बंगाल से 30 से अधिक सीट दीजिए और वह सुनिश्चित करेंगे कि यहां के लोगों को पांच-पांच लाख रुपये का मुफ्त इलाज मिले.”

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