‘मौन की बात’: प्रधानमंत्री के मासिक रेडियो कार्यक्रम की 100वीं कड़ी पर कांग्रेस का तंज

कर्नाटक को भाजपा के ध्रुवीकरण नहीं, कांग्रेस के प्रदर्शन की जरूरत : जयराम रमेश

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इसकी 100वीं ‘कड़ी’ को लेकर काफी हो-हल्ला है, लेकिन चीन, अडाणी, बढ़ती आर्थिक असमानता और पहलवानों के प्रदर्शन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह ‘मौन की बात’ है.

प्रधानमंत्री मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी का रविवार को प्रसारण हुआ. केन्द्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने देश-विदेश में विभिन्न जगहों पर प्रधानमंत्री के संबोधन को सुना. भाजपा ने कार्यक्रम की 100वीं कड़ी का प्रचार-प्रसार करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखा है.

कार्यक्रम का प्रसारण शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया था, ‘‘आज ‘फेंकूमास्टर’ स्पेशल है. ‘मन की बात’ की 100वीं ‘कड़ी’ को लेकर खूब हो-हल्ला हो रहा है. लेकिन यह चीन, अडाणी, बढ़ी आर्थिक असमानता, जरूरत की चीजों की बढ़ती कीमतों, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले, महिला पहलवानों का अपमान, किसान संगठनों से वादा खिलाफी, कर्नाटक जैसे राज्यों में तथाकथित डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार, भाजपा के साथ ठगों के करीबी संबंध जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह ‘मौन की बात’ है.’’

रमेश ने लिखा, ‘‘आईआईएम रोहतक ने ‘मन की बात’ के प्रभाव पर मनगढ़ंत अध्ययन किया है, जबकि उसके निदेशक की शिक्षा पर शिक्षा मंत्रालय ने ही सवालिया निशान लगाए हैं.’’ कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी मोदी पर तंज कसा और आरोप लगाया कि वह चीन की आक्रमकता, बेरोजगारी, कीमतों में वृद्धि (महंगाई), गौतम अडाणी के कारोबार और महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.

कर्नाटक को भाजपा के ध्रुवीकरण नहीं, कांग्रेस के प्रदर्शन की जरूरत : जयराम रमेश
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांग रही है, जबकि कांग्रेस प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ नारे को अपनाकर राज्यों के लोगों के मुद्दे उठा रही है.

रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से फोन पर साक्षात्कार के दौरान कहा कि कर्नाटक को भाजपा शासन के चार साल बाद ‘विटामिन-पी’ की जरूरत है, जहां ‘पी’ का मतलब कांग्रेस के ‘परफॉर्मेंस’ (प्रदर्शन) से है, न कि भाजपा के ‘पोलराइजेशन’ (ध्रुवीकरण) से. रमेश ने सशस्त्र बलों की भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं की ‘‘कार्पेट बॉंिम्बग’’ (किसी एक विशेष स्थान को नष्ट करने के लिए बड़ी संख्या में बम गिराना) प्रचार रणनीति से कांग्रेस ंिचतित नहीं है, क्योंकि उसके पास ‘‘पर्याप्त विमान रोधी बंदूकें’’ हैं.

रमेश ने कहा, ‘‘भाजपा जितना अधिक ‘कार्पेट बॉंिम्बग’ प्रचार अभियान चलाएगी, उसकी ‘‘निराशा और हताशा’’ उतनी स्पष्ट दिखेगी.’’ कांग्रेस के स्टार प्रचारक रमेश ने कहा कि कर्नाटक के चुनाव ‘भाजपा के खतरे बनाम कांग्रेस प्रशासन की गारंटी’ की लड़ाई हैं.
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को चुनाव में ‘‘स्पष्ट बहुमत’’ मिलेगा, जिससे ‘आॅपरेशन कमल’ पूरी तरह नाकाम हो जाएगा.

‘आॅपरेशन कमल’ विपक्षी दलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. वे राज्य सरकारों को गिराने के लिए विपक्ष के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करने की भाजपा की कथित कोशिशों को ‘आॅपरेशन कमल’ कहते हैं. भाजपा का चुनाव चिह्न कमल है.
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए होड़ मचने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि इस बार कांग्रेस में असंतोष सबसे कम है और भाजपा की तुलना में यह कुछ भी नहीं है, जिसने ‘‘अपने पूर्व मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों और कई राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर के नेताओं को गंवा दिया है.’’

उन्होंने कहा कि यह चुनाव प्रधानमंत्री चुनने के लिए नहीं, बल्कि राज्य में सरकार बनाने के लिए है. रमेश ने कहा कि कर्नाटक के मतदाता बुद्धिमान हैं और जानते हैं कि किस स्तर पर किसके लिए मतदान करना है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ के नारे को उनसे अधिक हमने गंभीरता से लिया है.’’ रमेश ने कहा कि भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है, जबकि यह राष्ट्रीय स्तर का चुनाव नहीं, बल्कि विधानसभा चुनाव है. कर्नाटक में 10 मई को चुनाव होगा और नतीजे 13 मई को घोषित किए जाएंगे.

Related Articles

Back to top button