मोदी सरकार के ‘अहंकार’ ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है: कांग्रेस

सरकार नीरव मोदी, ललित मोदी को देश वापस लाए तो हम भी प्रधानमंत्री का स्वागत करेंगे: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बृहस्पतिवार को निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा’ ने देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को इस भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के ‘अहंकार’ ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है.

खरगे ने ट्वीट किया, ”मोदी जी, संसद जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है. राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है. आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है.” उन्होंने कहा, ”140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं?” ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस ने मोदी सरकार पर नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए देश की राष्ट्रपति को निमंत्रित नहीं कर आदिवासियों का ‘अपमान करने’ का आरोप लगाया और इस कदम के विरूद्ध 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ”कल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया. एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नयी दिल्ली में संसद के नए भवन के उद्घाटन के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है.” उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ”अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्यरेट.” कांग्रेस की इस टिप्प्णी से एक दिन पहले ही करीब 20 विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले की घोषणा की.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्­यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि विपक्षी दलों की ओर से नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना अनुचित है. बसपा प्रमुख ने कहा कि ”इसको जनजातीय महिला के सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है. यह उन्हें (मुर्मू) निर्विरोध ना चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था.” उनकी (मायावती) टिप्पणी के बारे में पार्टी के विचार के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि चुनाव लड़ना विचारधारा का मामला है और पार्टी को उम्मीदवार खड़ा करने का अधिकार है.

उन्होंने कहा, ”चुनाव लड़ने का मतलब यह भी नहीं है कि हम उस व्यक्ति के साथ व्यक्तिगत लड़ाई लड़ रहे हैं. एक बार जब वह राष्ट्रपति बन गईं, तो वह सभी की राष्ट्रपति हैं. उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है.” खेड़ा ने कहा, ”यदि सरकार उनका सम्मान नहीं कर रही है, तो उसे याद दिलाना भी हमारी जिम्मेदारी है. प्रधानमंत्री को ‘राज धर्म’ की याद दिलाना हमारी जिम्मेदारी है. मायावती अगर यह सोचती हैं कि प्रधानमंत्री को ‘राजधर्म’ की याद दिलाने की जरूरत नहीं है तो यह उनकी निजी राय हो सकती है.” उन्होंने कहा, ”लगभग 20-21 राजनीतिक दलों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ”राज धर्म” का पालन नहीं कर रहे हैं.” यहां कांग्रेस मुख्यालय में ‘ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस’ के प्रमुख शिवाजीराव मोघे ने कहा कि राष्ट्रपति के बजाय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नये संसद भवन का उद्घाटन लोकतंत्र का ‘अपमान’ है.

कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की और आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी. विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उनकी निंदा की और उसके इस कदम को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया.

राजग के अनुसार, विपक्षी दलों का यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है. कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने मांग की है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति मुर्मू करें.

सरकार पर राष्ट्रपति मुर्मू को ‘पूरी तरह दरकिनार’ करने का आरोप लगाते हुए 19 दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि जब ‘लोकतंत्र की आत्मा को छीन लिया गया है’ तो उन्हें नए भवन में कोई महत्व नजर नहीं आता. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे.

सरकार नीरव मोदी, ललित मोदी को देश वापस लाए तो हम भी प्रधानमंत्री का स्वागत करेंगे: कांग्रेस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर उनका भव्य स्वागत होने के कुछ ही समय बाद कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लाती है तो पार्टी नेता भी प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”हम भी भव्य स्वागत (प्रधानमंत्री का) करेंगे, लेकिन केवल इस शर्त पर कि अन्य मोदी को वापस लाया जाए. अगर ललित मोदी या नीरव मोदी को सरकार द्वारा भारत वापस लाया जाता है तो हम भी दिल्ली हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे और भव्य स्वागत करेंगे.” जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा से लौटने पर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के बारे में खेड़ा से सवाल किया गया था. खेड़ा ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि मोदी के वापस आते ही ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय ने पांच राज्यों के भारतीय छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाने की घोषणा कर दी.

उन्होंने कहा, ”क्या यह प्रधानमंत्री की उपलब्धि है? वह हवाई अड्डे से घर भी नहीं पहुंचे होंगे कि यह खबर आ गयी. जब भी भारतीय प्रधानमंत्री बाहर जाते हैं तो वह भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनकी पहली जिम्मेदारी भारत के हितों की रक्षा करना है, भले ही उन्हें सम्मान मिले और उनके लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित हों.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”ऑस्ट्रेलिया द्वारा पांच राज्यों के छात्रों पर रोक लगाने के फैसले पर आपने क्या कदम उठाये और जब भारतीय छात्रों का भविष्य खतरे में है तो कब इस पर चर्चा होगी.”

उन्होंने यह भी कहा कि सही सोच रखने वाला हर भारतीय यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन कर रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा भी प्रदर्शन स्थल पर गयीं और पहलवानों के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया.
खेड़ा ने कहा, ”हमारे अन्य नेता और अन्य चिंतित नागरिक भी पहलवानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री चार किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं. स्मृति ईरानी और ये सारे मंत्री जंतर मंतर से करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि वहां किसी भी मंत्री को नहीं देखा गया.” कांग्रेस नेता ने कहा, ”जब हम सत्ता में थे तो सरकारों में एक संवेदनशीलता होती थी. इस सरकार में या इस सरकार के किसी भी व्यक्ति में रत्ती भर भी संवेदना नहीं दिखती. खेल मंत्री में भी नहीं.”

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